होने वाली ताईजी की झोंपड़ी में चुदाई करी हिन्दी XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में : मेरी यह गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में मेरी ताईजी और मेरे बिच हुए पहला सेक्स की है इस देसी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की कैसे मैंने मेरी होने वाली ताईजी को उनके सरसों के खेत में चोदा था. मेरे ताऊजी मेरे घर में ही रहते थे, ताऊजी की उम्र और मेरी उम्र में कोई ज़्यादा फ़र्क नहीं है. मेरे ताऊजी की नई-नई सगाई हुई थी, सगाई के बाद एक दफे मेरे ताऊजी के ससुराल वालों ने उन्हें ससुराल आने का न्यौता दिया. मेरे ताऊजी बहुत शर्मीले इंसान हैं.. तो उन्होंने अकेले जाने से मना कर दिया. मेरी दादी को जब पता हुआ तो उन्होंने मुझे उनके साथ मेरी होने वाली ताईजी के घर जाने को कहा .. तो मैं तैयार हो गया.
अगले दिन हम बहन के लंड दोनों ताऊजी भतीजे मेरे ताऊजी के ससुराल पहुँच गए. वहाँ ताऊजी के ससुराल वालों ने हमारा बहुत अच्छी तरह से स्वागत किया. ताऊजी की नज़र चाचीजी को खोज रही थीं, ताईजी शायद बाहर गई हुई थीं. कुछ समय के बाद ताईजी घर आईं तो ताऊजी उन्हें देखते ही रह गए. गरम चाची को देख कर मेरी हालत तो ताऊजी से भी ज़्यादा खराब हो गई थी. सच में वो बहुत ब्यूटीफुल लग रही थीं.. जैसे कोई संगमरमर की मूरत हों.. वे एकदम दूध सी गोरी थीं. उनके बदन के ऊपर वाले हिस्से में दो खिले हुए फूल.. जो किसी पिंजरे में कैद थे. काश मैं उन्हें आज़ाद कर सकता. ताईजी ने हम बहन के लंड दोनों को पहचाना नहीं था और वे हमारे सामने आकर बैठ गईं.
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जब उन्हें असलियत का पता चला तो एकदम से दूसरे कमरे में भाग गईं. शाम को हम लोग वापस हमारे घर जाने की तैयारी करने लगे तो मैं ताईजी की एक दफे झलक देखने को बेताब था.. पर ताईजी जी लज्जा के मारे कमरे से बाहर ही नहीं निकलीं. हम लोग वहाँ से चल दिए. तीन दिन बाद ताऊजी अपनी ट्रेनिंग के लिए एक महीने के लिए चंडीगढ़ चले गए. थोड़े दिन के बाद ताऊजी के ससुर जी ने मेरे दादाजी को फोन किया. उन्हें फसल के लिए बिज और खाद लाने तीन दिन के लिए मध्य प्रदेश जाना था.. तो उनके सरसों के खेतों का ध्यान रखने वाला कोई नहीं था इस कारण से उन्होंने ताऊजी को कुछ दिन के लिए अपने घर रहने के लिए फोन किया था. किन्तु ताऊजी के घर पर ना होने के कारण दादाजी ने मुझे जाने का कह दिया.
मेरे तो जैसे नसीब खुल गए. कुँवारी ताईजी की अनचुदी फुद्दी पेलने की तमन्ना में मैं जल्दी से तैयार हो गया और अगली मोर्निंग ही घर से निकल गया. दोपहर को मैं ताईजी के घर पहुँच गया, सब लोगों ने मेरा अच्छा स्वागत किया. शाम को ताईजी के पिताजी ने कहा – अरुण बेटे, तुम एक दफे कंचन के साथ खेत जाकर देख आओ और कोई भी सामान की ज़रूरत लगे तो कंचन को बोल देना. मुझे आज नाईट को मध्य प्रदेश जाना पड़ेगा. मैंने उस से कहा- बाबा, आप अपना काम शांति से पूरा करके आइए.. खेत की फ़िक्र ना करें.. मैं सब संभाल लूँगा. शाम को मैं और मेरी ताईजी कंचन खेत देखने गए, हम बाइक पर थे, ताईजी हमारे पीछे बैठी थी. जब कच्ची सड़क आई तो मैंने उस से कहा- ताईजी जी ज़रा कसके पकड़ना.. कहीं गिर ना जाना.
तो मेरी गदराई ताईजी अपना एक हाथ मेरी कमर में और दूसरा हाथ मेरे कंधे पर कस कर पकड़ कर बैठ गईं. हम लोग खेत तक आ गए थे..लेकिन अन्दर जाने का रास्ता खराब होने की वजह से हमारी बाइक स्लिप हो गई और हम बहन के लंड दोनों नीचे गिर गए. ताईजी के दूध के ऊपर मेरा हाथ आ गया था. हम बहन के लंड दोनों चिपके हुए थे मेरी गदराई ताईजी की साड़ी उनकी जाँघों तक आ गई थी. ताईजी ने होश संभाला और जल्दी से खड़ी गईं. उन्होंने अपने कपड़े सही किए और मुझसे बोलने लगीं- अरुण, कहीं चोट तो नहीं आई? मैंने उस से कहा- ताईजी कमर पर थोड़ा दर्द है. ताईजी मुझे अपने कंधे के सहारे खेत की बनी झोंपड़ी में ले गईं.
वहाँ खेत में बनी झोंपड़ी के भीतर एक खाट पहले से पड़ी थी, उस पर ताईजी ने मुझे लिटा दिया और बोलने लगीं- बताओ कहा ँ दर्द हो रहा है? मैं दर्द का नाटक कर रहा था, मैंने ताईजी से कहा – मुझे बताने में शर्म आ रही है. ताईजी ने कहा – अपनी ताईजी से क्या शर्माना? उन्होंने अपने हाथ से मेरी शर्ट को खोल दिया और कमर को देखने लगीं. फिर वो वहाँ पर रखी उनके पिताजी की जोड़ों के दर्द की दवाई लेकर आ गईं. अब वो मेरी कमर की मालिश करने लगीं. जैसे ही उनका कोमल हाथ मेरी कमर को टच हुआ.. मेरा छोटा भाई यानि कि मेरा फौलादी लण्ड तन कर खड़ा हो गया. जैसे-जैसे ताईजी मेरी कमर मालिश करती जा रही थीं वैसे-वैसे मेरा फौलादी लण्ड सख़्त होता जा रहा था आज इस झोंपड़ी के भीतर लण्ड और फुद्दी का घमासान युद्ध छिड़ने वाला था.

जब ताईजी ने मेरा तगड़ा लण्ड देखा तो वो मन ही मन मुस्कुराने लगीं. मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था, लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा होऊँ. ताईजी बोलीं- अब अपनी पैन्ट उतारो.. मुझे कमर के नीचे मालिश करने में दिक्कत हो रही है. तो मैंने उस से कहा- आप खुद ही निकाल दो. ताईजी ने मेरी पैन्ट खोल दी. अब मैं केवल अंडरवियर में था. ताईजी ने अपनी मालिश चालू कर दी. मैंने नोट किया कि वो मालिश करते टाइम मेरे काले मोटे लंड को टच कर रही थीं. मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने ताईजी को पकड़कर जोर से उनके लाल गुलाबी कोमल होंठों को चूम लिया, वो भी मेरा साथ देने लगीं तो मैं पागलों की तरह उनके ऊपर टूट पड़ा.
ताईजी मुझसे कहने लगी जो भी करना है.. शांति से करो.. यहाँ झोंपड़ी में हमें किसी का डर नहीं है. यहाँ कोई नहीं आएगा. मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी उनके बदन से अलग कर दी. उनकी नुकीली चूचियों को देखकर तो मैं पागल ही हो गया, अब मैं फटाफट उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा. वो लाल कलर की जालीदार पैडेड ब्रा में क्या पटाखा माल लग रही थीं. उनके दोनों आमों को मैं बेसब्री से दबाने और सहलाने लगा. ताईजी भी मस्ती में आ गई थीं. मैंने उनकी चूचियों को पैडेड ब्रा से आज़ाद कर दिया और दबाने लगा, वो मस्ती में मेरे काले मोटे लंड को अपने हाथों से मसल रही थीं.
कुछ देर की चुदास में ही ताईजी मेरे काले मोटे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी थीं. वो अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं और एक हाथ से अपनी फुद्दी मसल रही थीं. मैंने ताईजी से कहा – ताईजी आपने कभी अपनी लेट्रिंग से भरी चूतड़ या फुद्दी की खतरनाक चुदाई करवाई है? ताईजी पहले तो हिचकिचाईं.. पर मेरे जोर देने पर उन्होंने बता दिया- जब मैं स्कूल में थी उस वक्त मेरे विद्यालय के टीचर ज़ी ने मुझे दो बार चोदा था. मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि मेरी गदराई ताईजी की पैन्टी गीली हो गई है. मैंने ताईजी का पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे सरका दिया और पैन्टी भी उतार दी.

मेरी गरम ताईजी की चिकनी फुद्दी गजब लग रही थी. उसके ऊपर एक भी बाल नहीं था. एकदम मक्खन जैसी मुलायम फुद्दी देख कर मैं तो बौरा सा गया. अब मैंने ताईजी को खाट के बीच में लिटा दिया और उनकी दोनों टाँगें फैला दीं. उनकी लपलपाती फुद्दी देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपनी जबान से उनकी फुद्दी को चाटने लगा, फुद्दी के रस का पान करने लगा, क्या टेस्टी फुद्दी थी! ताईजी भी अब मेरे छोटे भाई को अपनी फुद्दी में लेने के लिए तड़प रही थीं.
आख़िरकार मैंने अपने लण्ड का ठूंठ ताईजी की फुद्दी के लाल गुलाबी लिप्स पर रख कर एक ज़ोर काशॉट लगा दिया उम्म्ह… अहह… हय… याह…ताईजी दर्द के मारे मेरे सिर के बाल पकड़ कर खींचने लगीं. किन्तु मैंने उनकी तकलीफ को कुछ भी ध्यान न देते हुए फिर से एक धमाकेदार धक्का लगा दिया. इस बार मेरा पूरा लंड ताईजी की फुद्दी में घुस गया. एक पल के लिए ताईजी की चीख निकल गई और वो रो दीं.. किन्तु फुद्दी चुदी हुई थी.. तो जल्द ही फुद्दी ने पेनिस को सैट कर लिया. अब मैं पेनिस को अन्दर-बाहर करने लगा. ताईजी को भी आनंद आ रहा था, वो भी अपने फुद्दीड़ों को उछाल कर फुद्दी चुदवा रही थीं.
हमारे इस चुदाई के गेम खेल में खाट में से खिंचड़-पिंचड़ की आवाज़ आ रही थी. आख़िरकार जबरदस्त चुदाई के बाद हम बहन के लंड दोनों संतुष्ट हो गए. कुछ देर आराम करके हम बहन के लंड दोनों कपड़े पहन कर घर आ गए. उस नाईट घर पर भी मैंने ताईजी को दो बार खूब तबयत से ठोका. आज ताऊजी की उनसे शादी हो गई है और ताईजी ताऊजी हमारे घर पर ही रहते हैं. अब हम बहन के लंड दोनों मौक़ा पाते ही खतरनाक धक्का पेल चुदाई करते हैं. तो मेरे प्यारे भाई और बहनों उम्मीद करता हूँ की आप सभी को मेरी और मेरी होने वाली ताईजी की हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में “होने वाली ताईजी की झोंपड़ी में चुदाई करी हिन्दी XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में” बहुत पसंद आई होगी.