सौतेली माँ की भोसड़े की खतरनाक चुदाई XXX Hindi Sex Kahani
जब मैंने उसकी गाँड़ में अपना लण्ड घुसाया तो मुझे जन्नत महसूस होने लगा. मेरा फौलादी लण्ड मेरी सौतेली माँ की चौड़ी गाँड़ की छेद को फाड़ते हुवे गाँड़ में चला गया. दोस्तों आज मैं मेरी सौतेली माँ की जबरदस्त चुदाई की कहानी बता रहा हूँ. मेरा नाम आकाश है. मेरी उम्र 25 साल की है. मेरे बाप ने दो शादियां की है. मैं अपने बाप की दूसरी महिला का बेटा हूँ. मेरे बाप की पहली महिला यानी कि मेरी सौतेली माँ शादी के बाद झगड़ा करके अपने मायके चली गई थी. काफी मनाने के बाद भी मेरे बाप के पास नही लौटी जब मेरे बाप ने दूसरी शादी कर ली. उसके कुछ सालों बाद वो हमारे यहाँ जबरदस्ती आकर रहने लगी. वो काफी झगड़ालू किस्म की महिला थी।
इसीलिए उसके मुँह कोई नही लगता था. मेरी सौतेली माँ की वजह से मेरे पापा माँ और बहन शहर में रहने लगे. मैं गाँव में ही अपने दादा दादी के पास रहता था. किन्तु अब मैं और मेरी सौतेली माँ ही बच गए थे. दादा-दादी दोनों का देहांत हो चुका था. मेरी वेश्या सौतेली माँ का व्यवहार मेरे लिए खराब था. वो मुझे हमेशा ताना मारती रहती थी. पर मैं चुपचाप उसके तानो को सुन कर अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए गाँव मे ही रहता था।
अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ. एक दिन जब मेरी कॉलेज की छुट्टी जल्दी हो गयी. तो मैं करीब 12 बजे घर आया तो घर का मेन दरवाजा खुला हुआ था. मैं भीतर अपने कमरे की तरफ जा रहा था. तभी मुझे मेरी सौतेली माँ के कमरे से पंलग चर्चराने की आवाज आ रही थी. पर उसके कमरे का दरवाजा बंद था. मुझे भी ये अजीब सा लगा ।

तो मैं चुपके से उसके उसके दरवाज़े के पास जा कर खड़ा हो गया. तब मुझे मेरी सौतेली माँ की कराहने की आवाज़ धीमी धीमी सुनाई देने लगी. साथ ही किसी मर्द की हल्की आवाज़ भी आ रही थी. मैं तुरंत घर के पीछे से मेरी सौतेली माँ के कमरे की खिड़की के पास पहुंच गया. जब मैंने खिड़की से झांका तो मेरी नज़रे हैरान रह गयी. मेरे पड़ोस का एक लड़का जो उम्र में मुझसे बहुत छोटा था. वो और मेरी सौतेली माँ दोनों नंगे थे।
वो लड़का मेरी सौतेली माँ के नंगे बदन पर चढ़ा हुआ था. और अपना लण्ड उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर डालकर उसको चोद रहा था. और मेरी सौतेली माँ भी रंडियों की तरह उसकी गाँड़ को अपने हाथों से अपनी बुर की तरफ धकेल कर उसका छोटा सा लण्ड अपने चूत के अंदर घुसवा रही थी. ये सब देखकर मेरा दिमाग ख़राब हो गया. सोचा अभी रंगे हातों उन्हें पकड़ लू. पर मैंने अपने फ़ोन में सब रिकॉर्ड कर लिया और वहाँ से हट गया।
मैं चुपके से अपने कमरे में घुस गया और बस उनके बारे में ही सोचता रहा. कुछ देर बाद वो दोंनो बाहर निकले मैं चुपचाप कमरे में रहा. उन्हें भनक नही लगने दी कि मैं घर पर हूँ. 2 घंटे बाद मैं कमरे से बाहर आया तो देखा कि मेरी सौतेली माँ घर का काम कर रही थी. मेरे मन से उसके लिए रंडियों वाली भावना आ चुकी थी. मैं मन ही मन मे उसको गालियाँ दे रहा था।
मैं खाना खाते हुवे यही सोच रहा था. कि इस वेश्या की चूत के अंदर इस उम्र में भी कितनी गर्मी है. जो अपने राज दुलारे बेटे की उम्र के लड़के से अपनी हवस मिटवा रही हैं. वो मेरे सामने ही बैठ कर काम कर रही थी. मैं उसके शरीर को बड़े ध्यान से घूरने लगा. तभी मेरे लण्ड का तापमान भी बढ़ चुका था. तब मेरे मन मे आया कि क्यों ना इसकी खतरनाक चुदाई की जाए. बाहर वालों को अपनी बुर तो बांट रही ही है. मैं ही क्यों ना इसकी बुर की गर्मी निकाल दूँ।
पर मेरी वेश्या सौतेली माँ मुझसे तो चुदवाने के लिए कभी तैयार नही होती. तब मेरे मन में एक सुझाव आया क्यों न मैं इसको नींद की दवाई दे कर चोदू मेरा काम आसान हो जाएगा. खाना खाने के बाद मैं अपने एक फ्रेंड के पास गया. जो एक मेडिकल में काम करता था. मैंने उसके पास जाकर पूछा कि कोई ऐसी दवा दे जिससे इंसान 4-5 घंटे तक बेसुध नींद में रहे. वो पूछने लगा किसके लिए चाहिए. तो मैंने बहाना बनाकर उसकी बात टाल दी।
उसने दवा देते हुवे कहा कि एक गोली का असर 4-5 घंटे तक रहेगा. और दो गोली लेने से वो इंसान 8-10 घंटे तक नींद में रहेगा. मैं खुसी-खुसी दावा लेकर घर आ गया. और अपने कमरे में बैठ कर अपनी सौतेली माँ की खतरनाक चुदाई के सपने देखने लगा. सारा प्लान बनाने लगा कि कैसे और किस-किस पोजीसन में उसकी खतरनाक चुदाई करूँगा. ये सब सोच कर ही मेरा फौलादी लण्ड खड़ा हो गया था. मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाला और प्यार और मोहब्बत से अपने मज़बूत और शक्तिशाली लण्ड पर हाथ फेरने लगा।
मेरे 8″ लंबे 4″ मोटे लण्ड को सहलाते हुवे उसको कहने लगा. बस तू तैयार हो जा आज मैं तेरी प्यास बुझाने वाला हूँ. फिर मैं लण्ड को अपनी मुट्ठी में भरकर हिलाते हुए अपनी सौतेली माँ की खतरनाक चुदाई के सपनों में खो गया. पता ही नही चला कब मेरे लण्ड ने अपना सारा पानी बिस्तर पर ही निकाल दिया।
नाईट के करीब 8 बज चुके थे. मैं खाना खाने के लिए बाहर आया. मेरी सौतेली माँ फोन पर किसी से बात कर रही थी. मैं किचन में जाकर अपना खाना निकालने लगा. उसने अभी खाना नही खाया था. मैंने अपना खाना निकाल लिया और जो उसके हिस्से की सब्जी बची थी. उसमें नींद की दो गोलियाँ मिला दी और चुपचाप अपने कमरे में बैठ कर खाना खाने लगा।
और उसके खाना खाने की राह देखने लगा. करीब 8:30 बजे वो खाना खाने लगी. खाने के बाद वो आंगन में बर्तन धो रही थी. और नींद के मारे उबासियाँ ले रही थी. उसे उबासियाँ लेता देख मेरे मन मे खुसी होने लगी।
एक घंटे के बाद वो अपने कमरे में सोने चली गयी. मैं बस उसके गहरी नींद में जाने का इंतेजार करने लगा. आज मैं अपनी सौतेली माँ को चोदने के पक्के ईरादे बनाकर बैठा था. जल्दी से मैंने अपनी हाफ पैंट उतारी और भीतर जो अंडरवियर पहनी थी. उसको उत्तार कर केवल हाफ पैंट पहन ली. नाईट के 11 बज चुके थे. मैं धीमे से अपनी सौतेली माँ के कमरे की तरफ बढ़ने लगा।
दरवाज़े का पल्ला बस सटे हुवे थे. मैंने जब धीरे से दरवाज़े को धक्का दिया. तो भीतर से बल्ब की रोशनी आने लगी. हिम्मत करके मैं भीतर घुसा तो देखा मेरी वेश्या सौतेली माँ पलंग पर आराम से पेट के बल पैर पसार कर सोई हुई थी. उसकी चौड़ी सी गाँड़ का साइज साड़ी भीतर से ही पता चल रहा था. उसकी उभरी हुई गाँड़ देख कर ही मेरा फौलादी लण्ड किसी फन फनाते नाग की तरह तन कर खड़ा हो चुका था।
मैं उसके बगल में जाकर बैठ गया. और हिला डुला कर चेक करने लगा कि कही वो जाग तो नही रही है. पर मेरी सौतेली माँ ने कोई हरकत नही की पर मैं दुबारा ये पक्का करना चाहता था. इस कारण से मैंने उसके हाथ पर एक दो बार चिमटी काटी पर उसको कोई असर नही पड़ा इसके बाद मैंने उसकी गाँड़ पर एक खतरनाक चिमटी कस दी. अब भी उसने कोई हरकत नही की अब पक्का था. उस पर दवा का असर हो चुका है. मैं तुरंत उठ कर कमरे की सभी खिड़कियों को बंद कर दिया।
उसके बाद मैं फिर से उसके बगल में बैठ गया. अपने एक हाथ से अपनी सौतेली माँ की गाँड़ को साड़ी के ऊपर से ही मसलने लगा. फिर मैं उसकी जांघो पर बैठ गया. और अपना मोटा लण्ड साड़ी के ऊपर से ही उसकी गाँड़ की दरारों में डालने लगा। मेरा फौलादी लण्ड एक दम कड़क हो चुका था. अब मुझसे इंतजार नही रखा गया।
तो मैंने जल्दी से उसके पेट के नीचे हाथ घुसेड़ कर उसकी साड़ी खींच कर खोल दी. मैंने उसकी पूरी साड़ी खोलकर हटा दी. उसके बाद मैंने उसको पलट कर पीठ के बल कर दिया. और उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उसके पेटीकोट को उसके टांगों से खींचते हुऐ उसे भी उतार फेंका अब मैंने उसकी पैन्टी को भी निकाल दिया. अब उसकी ब्लाउज के हुक को तोड़ते हुए मैंने उसकी ब्लाउज भी खोल दी।
अब वो बिल्कुल न्यूड मेरी आँखों के सामने बेसुध पड़ी थी. उसका फ़िगर एक दम किसी जवान लड़की की तरह लग रहा था. शादी सुदा औरतों की तरह पेट पर कोई निशान नही था. नही पेट पर चर्बी थी. शायद अभी तक उसको कोई बच्चा नही हुवा था. इस कारण से उसका फ़िगर फिट था. बड़ी सुडौल चुचियाँ और चुत पर काले छोटे-छोटे बाल थे. शायद हाल में ही झांटो की सफाई हुई थी।
मेरा फौलादी लण्ड मानो मेरी सौतेली माँ का नंगा बदन देख कर चुदाई के लिए लार टपका रहा था. पर मैं उसे आराम से चोदना चाहता था. मैं उसके ऊपर लेट गया. और उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को चूसने लगा. इसके बाद मैंने उसके लाल होटों को अपनी होटों में भरकर चूमने लगा. एक घंटे उसकी चुचियाँ और होंटो को चूसने के बाद मैंने उसको चोदने को तैयार था।
सबसे पहले मैं उसकी गाँड़ लेना चाहता था. इसीलिए मैंने उसे पेट के बल लेटा कर उसकी कमर के नीचे तकिया लगा दिया. ताकि उसकी गाँड़ थोड़ी ऊँची हो जाये और गाँड़ में लण्ड सही से जाए. फिर मैं उसकी जांघो पर बैठ गया. और उसके गाँड़ के दोनों हिस्सो को हाथों से फैला कर उसकी गाँड़ की छेद पर ढेर सारा थूक लगा दिया. उसकी गाँड़ एकदम कोमल रुई की तरह थी. मेरा पूरा ध्यान उसकी गाँड़ की काली सी छेद पर था।
मैंने अपने लण्ड को उसकी गाँड़ में निशाने पर रखा और लण्ड भीतर धकेलने लगा. पर मेरा फौलादी लण्ड फिसल कर बाहर की तरफ आ जाता. इसके बाद मैंने अपने लण्ड के सुपड़े को ठीक उसकी गाँड़ की छेद पर रखा और मैंने उसके दोनों कंधो को पकड़ कर अपना पूरा दम लगा कर अपने लण्ड को उसकी गाँड़ में दबाने लगा. मेरे दबाव से लण्ड भी अब टेढ़ा होने लगा था. किन्तु तभी एकदम से मेरे लण्ड का सूपड़ा फक से उसकी गाँड़ में घुस गया. देखते ही देखते पुर लण्ड उसकी गाँड़ में घुस गया।
मेरे लण्ड में काफी दर्द हो रहा था. उसकी गाँड़ एकदम तंग थी. दर्द के मारे मैं उसी पोजीशन में अपनी सौतेली माँ के शरीर पर लेट गया. 5 मिनट के बाद मुझे आराम मिला . मैं लेटे लेटे ही अपनी कमर ऊपर नीचे कर के उसके गाँड़ में अपना लण्ड पेलने लगा. और उसके सीने के नीचे से हाथ डालकर उसकी दोनों चुचियों को अपने पंजे से मसल रहा था।
चुचियाँ मसलते हुवे मेरा जोश सातवें आसमान तक पहुंच गया था. मैं ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर को उनकी गाँड़ पर पटक रहा था. और मेरा मोटा लम्बा लौड़ा उसकी गाँड़ के चीथड़े कर रहा था. मैं बेरहमी से उसकी गाँड़ मारने लगा. इसके बाद मैंने उसकी कमर के नीचे हाथ लगा कर उसकी गाँड़ को ऊपर उठा कर कुतिया वाली पोजीशन में ले आया. उसकी कमर पकड़ कर ज़ोर के झटकों के साथ उसकी गाँड़ में लण्ड चोदने लगा. 20 मिनट उसकी गाँड़ मारने के बाद मैं झड़ने वाला था. मैंने अपना पूरा दम लगाकर ज़ोरदार 3-4 झटके गाँड़ में मारे उसके बाद मैंने अपना लण्ड गाँड़ से बाहर निकाल लिया।
और उसके गाँड़ की दरारों में लण्ड को रगड़ते हुए अपना सारा स्पर्म उसकी दरारों में छोड़ दिया. देखते देखते उसकी गाँड़ स्पर्म से लथपथ हो गयी. कुछ देर मैं उसकी गाँड़ की दरारों में लण्ड को रगड़ रगड़ कर अपना सारा स्पर्म निकलता रहा।इसके बाद मैंने उसको पलट कर पीठ के बल कर लिटा दिया।
मैंने उसकी जांघो को खोल फैला दिया. और उसको अपनी बांहो में भर कर उसके होठो को चाटने लगा. और अपने सीने से उसकी चुचियों को दबाने लगा. उसके सारे शरीर को चाटने लगा. और अपने ढीले पडे लण्ड को उसके उसकी चुत के लिप्स पर रगड़ कर खड़ा करने लगा. करीब एक घंटे तक मैं ऐसा ही करता रहा. आज मैं अपनी दिल की सारी भड़ास निकाल रहा था।
मेरा फौलादी लण्ड फिर से गरम हो चुका था. मैंने उसकी जांघो को पकड़ कर उसे खींच कर अपने लण्ड के पास किया. इसके बाद मैंने उसकी जांघो को और ज्यादा फैला दिया. और अपने लण्ड को अपने हांथो से पकड़ कर उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर डालने लगा कुछ समय की कोशिस के बाद लण्ड का सूपड़ा उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर सेट हो गया. और उसके ऊपर लेट कर उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर शोर्ट मारने लगा. 2 ही धक्कों में उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर मेरा फौलादी लण्ड पूरा समा गया।
उसकी चुत मेरे लण्ड के लिए थोड़ी तंग थी. पर मैं आहिस्ता आहिस्ता झटके मारने लगा. कुछ समय में मेरी सौतेली माँ की बुर मेरा फौलादी लण्ड आसानी से निगलने लगी. मैं उसकी चुचियों को चाटते हुए. उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर ज़ोरो से शोर्ट मारने लगा. मेरी सौतेली माँ की बुर ने भी पानी छोड़ दिया. अब मेरा फौलादी लण्ड एक दफे मे ही उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर घुस रहा था. उसकी चुत और मेरे लण्ड के टकराव से पूरे कमरे में थापा ठप फट फुच फच की आवाज़ से भर गई।
मैं उसको चोदा चादी करता रहा मेरे लण्ड की खतरनाक चुदाई से उसकी चुत छिल कर लाल हो गयी थी. पर मैं बिना रुके मेरी सौतेली माँ की बुर चोदा चादी करता रहा. मैं अपना सारा ज़ोर लगा कर अपने लण्ड को उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर चोद रहा था. बेहोसी की हालत में भी उसकी चुत लगातार सफेद पानी छोड़ रही थी. मैं भी अब झड़ने वाला था. मैंने चुदाई की गति और तेज़ कर दी।
चोदते-चोदते मेरे लण्ड ने अपना सारा स्पर्म उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर ही छोड़ दिया. कुछ समय बाद जब मैंने अपना लण्ड उस साली रंडी छिनाल की चूत से निकाल दिया. लण्ड के निकलते ही मेरी सौतेली माँ की बुर ने स्पर्म की धार छोड़ दी. मैं उसकी मखमली जांघो को चाटने लगा. और उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर उंगली करके उसका सारा पानी झाड़ दिया. उस नाईट मैंने अपनी सौतेली माँ को दो बार चोदा मैंने उसकी चुत का हाल बेहाल कर दिया था. मैंने उस वेश्या सौतेली माँ की गाँड़ और बुर को फाड़ डाला था।
अब वो मुझे हवस का सामान लगने लगी थी. जब कभी भी मुझे उसको चोदने का मन होता तो मैं उसको नींद की दवा देकर नाईट भर उसकी खतरनाक चुदाई करता हूँ. मैंने उसे इतना चोदा की अब उसकी चुत एकदम ढ़ीली और उसकी गाँड़ की छेद इतनी फैला दी है. कि मेरा फौलादी लण्ड आसानी से उसकी गाँड़ में घुस जाता है. तो मेरे प्यारे भाई और बहनों कैसी लगी आप लोगो को मेरी और मेरी सौतेली माँ की खतरनाक चुदाई की कहानी?
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