Sex With Boss In Office Hindi Sex Stories गदराई अधिकारी की दफ्तर में चुदाई कर डाली अवसर पाकर गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में : हेल्लो दोस्तों आप सभी बहनके लौड़ो का मेरी इस दफ्तर फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में में बहुत बहुत स्वागत है मेरा नाम समीर खान है और में चेन्नई का रहने वाला हूँ और वंहा की ही एक बहुत बड़ी कम्पनी में जॉब करता हूँ. मेरी कंपनी की अधिकारी एक महिला है जो दिखने में बहुत हॉट और गदराई है. अब क्यों की मेरी पोस्ट इस कंपनी में मेनेजर की है तो में सीधे हमारी हॉट और गदराई अधिकारी के टच में रहता हूँ. यहाँ भी देंखे >> कुवारी फुद्दी को चोदा दफ्तर मैं और मुठ पिलाया Hindi XXX Indian Sex Stories
सारा स्टाफ अपने टाइम से दफ्तर आता और जाता था पर मुझे और मेरी गदराई अधिकारी को बहुत काम रहता था इस लिये हमारे आने जाने का कोई वक्त फिक्स नहीं था हम कई बार देर देर नाईट तक भी काम करा करते थे. मेरी गदराई लेडिस अधिकारी की चुदाई की यह घटना उस वक्त की है जब मैं और मेरी गदराई अधिकारी नाईट को दफ्तर में अकेले काम कर रहे थे दोस्तों अब दो जवान बदन दफ्तर में अकेले थे तो अब कुछ न कुछ गलत तो होना ही था.
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मेरी अधिकारी का नाम सुष्मिता था जैसा की में उनके बदन का वर्णन पहले ही कर चूका हूँ वो दिखने में बहुत गरम और गदराई थी. मेरी अधिकारी की उम्र करीब 35-36 वर्ष थी पर देखने में वो एक सोलह साल की गदराई लड़की लगती थी उसने अपने हुस्न को बहुत अच्छे से मेंटेन कर रखा था. वो दिखने में तो बहुत ब्यूटीफुल और गदराई थी पर दफ्तर में सभी काम करने वालो पर वो गजब की सख्ती बरतती थी किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें.
एक दिन हमारे आफिस का इन्टरनेट गडबडा गया दफ्तर के सभी कंप्यूटर नेटवर्क से बहार हो गए इस टेक्निकल प्रॉब्लम की वजह से पुरे दिन दफ्तर में काम नहीं हो पाया. उस दिन शनिवार था. मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस टेक्निकल प्रॉब्लम को सुलझा नहीं पाया और देखते देखते नाईट हो गई और सारा का सारा स्टाफ अपने अपने घर चला गया पर में उस प्रॉब्लम को सुलझाने में पुरे जी जान से लगा रहा और फिर कुछ समय बाद मेरी गदराई अधिकारी सुष्मिता मैडम मेरे पीछे आकर मुझे काम करते हुए देखने लगी.
फिर कुछ समय बाद उन्होंने मुझे कहा की समीर नाईट बहुत हो गई है और चेन्नई का माहोल बहुत ख़राब हो गया है यंहा चोर डाकू खुले आम घूमते है ऐसा करो तुम सुरक्षा के ख्याल से दफ्तर का दरवाजा अन्दर से बन्द कर दो. मैंने उनके कहे अनुसार हमारी दफ्तर का दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया . अब पूरे आफिस में हम दोनों अकेले थे और हमें कोई डिस्टर्ब भी नहीं कर सकता था. मुझे सुष्मिता मैडम की नीयत ठीक नहीं लग रही थी. दाल में जरूर कुछ काला था. नहीं तो भला इतनी नाईट को मेरे साथ दफ्तर में रुकने की क्या जरूरत थी ?
फिर थोड़ी देर के बाद मेरी गदराई अधिकारी ने मुझे अपने साथ चलने को कहा और वो घूम कर कम्प्यूटर लैब की तरफ चल दी और मैं भी उनके पीछे पीछे चल दिया. जब हम कॉरीडोर में थे तो मैंने उनके मटकते कुलहो पर गौर किया. हाय क्या मस्त मोटी डबलरोटी जैसी गद्देदार गांड थी मेरी लेडिस अधिकारी की. उनकी मस्तानी चाल को देख कर यूं लग रहा था मानो फैशन शो की रैम्प पर कैट-वॉक कर रही हो. उनके मोटे मोटे फुद्दीड़ घड़ी के पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे. गदराई अधिकारी ने गहरे हरे कलर का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंग पारदर्शी साड़ी के साथ पहना था. उनकी पीठ तो मानो पूरी न्यूड थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी.

उन्होंने साड़ी भी काफी नीची बांधी हुई थी जहां से उस साली रंडी छिनाल की चूतड़ की दरार शुरू होती है. बस यह समझ लो कि कल्पना के लिए बहुत कम बचा था. सारे पत्ते खुले हुए थे. अगर मुझमें जरा भी हिम्मत होती तो साली को वहीं पर पटकता और न्यूड कर के साली रांड का रेप कर देता. पर गदराई अधिकारी के कड़क स्वभाव से मैं वाकिफ था और बिना किसी गलत हरकत के मन ही मन उनके नंगे बदन की कल्पना करते हुए चुपचाप उनके पीछे पीछे चलता रहा.
मेरी गदराई अधिकारी ने अपने हॉट और गदराई बदन पर साड़ी भी कस कर लपेटे हुई थी जिससे कि उनके नशीली फुद्दीड़ और उभर कर नजर आ रहे थे और गदराई अधिकारी के दोनों फुद्दीड़ों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी. मैंने गौर किया कि चलते वक्त उनके फुद्दीड़ अलग अलग दिशाओं में चल रहे थे. पहले एक दूसरे से दूर होते फिर एक दूसरे के पास आते. मानो उनकी गाण्ड खुल बन्द हो रही हो.
जब दोनों फुद्दीड़ पास आते तो उनकी साड़ी गाण्ड की दरार में फंस जाती थी. यह सीन मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मन कर रहा था कि साड़ी के साथ साथ अपने 9 इंच लम्बे और 5 इंच मोटे लंड को भी मेरी रांड सुष्मिता अधिकारी की टट्टी से भरी मोटी गाण्ड की दरार में डाल दूं. बड़ा ही गुदाज बदन था सुष्मिता मैडम का. कंप्यूटर लैब तक पहुंचते पहुंचते मेरी हालत खराब हो गई थी और मुझे लगने लगा कि अब और नहीं रूका जाएगा.

लैब के दरवाजे पर पहुंच कर मैडम एकाएक रूक कर पलटी और मुझसे ऊपर की सेल्फ के केबल कनेक्शन जांचने को कहा . उनकी इस एकदम हरकत से मैं संभल नहीं पाया और अपने आप को संभालने के लिए अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए. मैडम ने एक दबी मुस्कराहट के साथ कहा , “कोई शैतानी नहीं !” और मेरे हाथ अपनी कमर से हटा दिए. मैंने झेंपते हुए उनसे माफी मांगी और लैब में ऊपर की सेल्फ से कम्प्यूटर हटाने लगा. गदराई अधिकारी भी उसी सेल्फ के पास झुककर नीचे के केबल देखने लगी.
सेक्सी अधिकारी की साड़ी का पल्लू सरक गया जिससे कि उनकी चूचियों का नजारा मेरे सामने आ गया. हाय क्या कमाल की चूचियां थीं. एक पल को तो लगा कि दो चांद उनकी चोली में से झांक रहे हों. मेरी गदराई अधिकारी ने ब्लाउज के भीतर अपने ब्रेस्ट पर पैडेड ब्रा नहीं पहन रखी थी जिससे कि चूची दर्शन में कोई रूकावट नहीं थी. और काम करना मेरे बस में नहीं था. मैं खड़े खड़े उस ब्यूटीफुल नजारे को देखने लगा. चोली के ऊपर से पूरी की पूरी चूचियां नजर आ रही थीं. यहां तक कि उनके खड़े लाल निप्पल भी साफ पता दे रहे थे.

शायद उन्हें पता था कि मैं अवसर पाकर ऊपर से फ्री शो देख रहा हूं. इसीलिए मुझे छेड़ने के लिए वो और आगे को झुक गई जिससे उनकी पूरी की पूरी चूचियां नजर आने लगीं. हाय क्या नजारा था. ऐस लगता था मानो दो बड़े बड़े कश्मीरी सेब साथ साथ झूल रहो हों. एकाएक गदराई अधिकारी ने अपना सर ऊपर उठाया और मुझे अपनी चूचियों को घूरते हुए पकड़ लिया. जब हमारी नजर मिली तो अपने निचले होठ को दांतों में दबा कर मुस्कराते हुए कहने लगी “ऐ ! क्या देखता है?” मैं सकपका गया और कुछ भी नहीं बोल पाया.
मैडम ने मेरी टट्टी से भरी चूतड़ पर हल्की सी चपत जमा कर कहा , ” शैतान कहीं के अवसर पाकर फ्री ब्रेस्ट शो देख रहा है !” मेरा चेहरा लाल हो गया उनके मुस्कराने के अन्दाज से मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा फौलादी लण्ड जीन्स के अन्दर ही तन कर खड़ा हो गया और अवसर पाकर पेंट से बाहर निकलने को बेचैन होने लगा. मैंने अपनी जीन्स को हिला कर पेनिस को ठीक करने का प्रयास की पर मुझे इसमें कामयाबी नहीं मिली. लण्ड इतना कड़ा हो गया था कि पूछो मत. बस ऊपर ही ऊपर होता जा रहा था और मेरी जीन्स उठती ही जा रही थी.
मैडम ने मेरी परेशानी भांप ली और अवसर पाकर शरारती मुस्कराहट के साथ बोली, “ये तुमने पैन्ट में क्या छुपाया है जरा देखूं तो मैं भी !”जब तक मैं कुछ बोलूं उन्होंने खड़े होकर मेरी लुल्ली को पकड़ लिया और पैन्ट के ऊपर ही से कर दबा दिया, “हाय बड़ा तगड़ा लगता है तुम्हारा तो. बड़ा बेताब भी है ! बस ऐसा ही लण्ड तो मुझे पसन्द है।” मैं तो हक्का बक्का रह गया. मैडम सुष्मिता मेरे साथ फ्लर्ट कर रही हैं. मिस आइस-मेडन का यह गरम रूख देख कर मेरी तो बोलती ही बन्द हो गई और मैं उनकी हरकतें देखता रह गया.
चूंकि मैं टेबल के ऊपर खड़ा था इस लिए मेरा फौलादी लण्ड उनके मुंह की ठीक सीध में था. वो अपने चेहरे को और पास लाईं और पैन्ट के ऊपर ही से मेरी लुल्ली को चूमते हुए कहने लगी “इसे जरा और पास से देखूं तो क्यों इतना अकड़ रहा है” ऐसा कहते हुए मैडम सुष्मिता ने मेरी जीन्स की जिप खोल दी. मैं आम तौर पर अन्डरवियर नहीं पहनता हूं. लिहाजा जिप खुलते ही मेरा फौलादी लण्ड आजाद हो गया और उछलकर उनके चेहरे से जा टकराया. “हूंऽऽ ! ये तो बड़ा शैतान है. इसे तो सजा मिलनी चाहिए !” मैडम ने अपने गदराई मुंह को खोला और मेरे लण्ड के सुपाड़े को अपने रसीले लिप्स में दबा लिया. मैं तो मूक दर्शक बन कर सातवें आसमान में पहुंच गया था और शानदार ब्लोजॉब का आनंद लेने लगा.

जिस गदराई सुष्मिता रांड के पीछे सारा आफिस दीवाना था और जिनके बारे में सोच सोच कर मैंने भी औरों की तरह कई कई बार मुठ मारी थी यहां एक रांड की तरह मेरा फौलादी लण्ड चूस रही थी. मैंने मेरी गदराई अधिकारी का सर पकड़ कर अपने लौंड़े पर दबाया और साथ ही साथ अपने फुद्दीड़ों को आगे धक्का दिया. एक ही झटके में मेरा पूरा लण्ड मेरी गदराई अधिकारी के मुंह में गले तक घुस गया. उनका दम घुटने लगा और उन्होंने अपना सिर थोड़ा पीछे किया. मुझे लगा कि अब मेरी गदराई अधिकारी मुझे मेरे उतावलेपन के लिए डांटेगीं. मैं कहा “सॉरी मैडम ! मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया अवसर पाकर ऐसा नहीं करना चाहिये था!”
उन्होंने बोलने से पहले मेरा पेनिस अपने मुंह से निकाला और मुस्कुराई, “धत पगले ! मैं तुम्हारी हालत का अन्दाजा लगा सकती हूं. किन्तु ये मैडम मैडम क्या लगा रखी है? तुम मुझे सुष्मिता कह कर बुलाओ ठीक है ना ! अब मुझे तुम्हारा लौड़ा सुकून से चूसने दो !” ऐसा कह कर मैडम ने एक हाथ में मेरा फौलादी लण्ड पकड़ा और शुरू हो गई उसका आनंद लेने में. वो पेनिस को पूरा का पूरा बाहर निकाल कर फिर दोबारा अन्दर कर लेती. मैं भी आहिस्ता आहिस्ता कमर हिला हिला कर उनका मुंह पेलने लगा. कुछ देर बाद वो बोली, “बस इसी तरह खड़े खड़े कमर हिलाने में क्या आनंद आएगा? थोड़ा आगे बढ़ो !”
मैंने मेरी गदराई अधिकारी का इशारा भांप लिया और पहले उनके गालों को सहलाया. फिर आहिस्ता आहिस्ता हाथों को नीचे खिसकाते हुए उनकी गर्दन तक पहुंचा और उनकी चोली का स्ट्रैप खोल दिया. दोनों मस्त चूचियां उछल कर बाहर आ गई. मैडम ने भी मेरी जीन्स खोल दी और बिना लण्ड मुंह से बाहर किए नीचे उतार दी. फिर लण्ड चूसते हुए वो अपनी चूचियों को मेरी जांघों पर रगड़ने लगी. मैंने थोड़ा झुक कर मेरी गदराई अधिकारी की चूचियों को पकड़ा और कस कस कर मसलने और दबाने लगा. जल्द ही हम दोनों काफी उत्तेजित हो गए और हमारी सांसें तेज हो गई.

मैं बोला, “मैडम मैं पूरी तरह से आपको आनंद नहीं दे पा रहा हूं. अगर इजाजत हो तो मैं भी नीचे आ जाऊं?” मैडम ने मुझे गुस्से से देखा और हौले से सुपाड़े को काट लिया. वो कहने लगी “तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो ! अगर मैं बोलती हूँ कि मुझे सुष्मिता कह कर पुकारो तो तुम मुझे सुष्मिता ही कहोगे मैडम नहीं !” मैं कहा “सॉरी सुष्मिता अब तो मुझे नीचे आने दो !” मेरी गदराई अधिकारी ने मेरा हाथ पकड़ कर नीचे उतरने में सहायता की.
नीचे आते ही मैंने उनके फुद्दीं को पकड़ा और अपने पास खींच कर लिप्स को चूमने लगा. अब मैं उनके लिप्स को चूसते हुए एक हाथ से फुद्दीड़ सहला रहा था जबकि मेरा दूसरा हाथ उनकी चूचियों से गेम खेल रहा था. गदराई सुष्मिता मेरी लुल्ली को हाथ में पकड़ कर सॉफ्ट टॉय की तरह मरोड़ रही थी. मैंने सुष्मिता की साड़ी पकड़ कर खींच दी और पेटीकोट का भी नाड़ा खोल कर उतार दिया. सुष्मिता ने भी मेरी टी शर्ट उतार दी और हम दोनों ही पूरी तरह नंगे हो गए. एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते हुए हम वहीं जमीन पर लेट गए. फुद्दी की महक पा कर मेरा फौलादी लण्ड फनफनाने लगा.

मेंरी जाने मन मेरी रांड गदराई अधिकारी भी अब बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी और अपनी फुद्दी मेरे लण्ड पर रगड़ रही थी. हम दोनों एक दूसरे को कस कर जकड़े हुए किस करते हुए कमरे के कालीन पर लोटपोट हो रहे थे. कभी मैं मेरी गदराई अधिकारी के ऊपर हो जाता तो कभी सुष्मिता मेरे ऊपर. यहाँ भी देंखे>> राहुल ने मुझे दफ्तर में चोदा – मुफ्त देसी चुदाई की कहा निया हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में काफी देर तक यूं मजे लेने के बाद हम दोनों बैठ कर अपनी फूली हुई सांसों को काबू में करने का प्रयास करने लगे. सुष्मिता ने अपने बाल खोल दिए. मैं बालों को हटा कर उनकी गर्दन को चूमने लगा.
फिर दोबारा उनके प्यारे प्यारे लिप्स को चूमते हुए उनकी चूचियों से खेलने लगा. मेरी गदराई अधिकारी मेरा सिर पकड़ कर अपनी रसीली चूचियों पर ले गई और अपने हाथ से पकड़ कर एक चूची मेरे मुंह में डाल दी. मैं प्यार और मोहब्बत से उनकी चूचियों को बारी बारी से चूमने लगा. वो काफी गरम हो गई थी और मुझे अपने ऊपर ६९ की पोजिशन में कर लिया. मैं उनकी रसीली फुद्दी का अमृत पीने लगा. सुष्मिता अपनी जबान लपलपा कर मेरी लुल्ली को चूसे जा रही थी.

जब कभी भी हम में से कोई भी झड़ने वाला होता तो दूसरा रूक कर उसको संभलने का अवसर देता. कई बार हम दोनों ही किनारे तक पहुंच कर वापस आ गए. हमारी वासना का ज्वार बढ़ता ही जा रहा था और बस अब एक दूसरे में समा जाने की ही बेकरारी थी. मेरी गदराई अधिकारी ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद चित्त हो कर लेट गई. अपने दोनों पैर उठा कर अपने हाथों से पकड़ लिए और मुझे मोर्चे पर आने को कहा . मैंने भी सुष्मिता की दोनों टांगों को अपने कन्धों पर टिकाया और पेनिस को उसकी फुद्दी के मुंह पर रख कर धक्का लगाया.
मेरा लोहे जैसा सख्त लौड़ा एक ही झटके में आधा धंस गया. मेरी गदराई अधिकारी के मुंह से उफ की आवाज निकली पर अपने लिप्स को भींच कर नीचे से जवाबी धक्का दिया और मेरा फौलादी लण्ड जड़ तक उसकी फुद्दी में समा गया. फिर मेरी कमर पर हाथ रख कर मुझे थोड़ा रूकने का इशारा किया और बोली, “तुम्हारा लण्ड तो बड़ा ही जानदार है. एक झटके में मेरी जान निकाल दी. अब थोड़ी देर आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर कर के आनंद लो !” सुष्मिता के कहे मुताबिक मैं आहिस्ता आहिस्ता उसकी फुद्दी में लण्ड अन्दर बाहर करने लगा. फुद्दी काफी गीली हो चुकी थी इस कारण से मेरी लुल्ली को ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी. मैं आहिस्ता आहिस्ता फुद्दी चोदते हुए मेरी गदराई अधिकारी की मस्त चूचियों को भी मसल रहा था.

बड़ी ही गजब की चूचियां थी उसकी. एक हाथ में नहीं समा सकती थी. पर इतनी कड़ी मानो कन्धारी अनार. वो चित्त लेटी हुई थी पर चूचियों में जरा भी ढलकाव नहीं था और हिमालय की चोटियों की तरह तन कर ऊपर को खड़ी थी. उत्तेजना की वजह से उसके डेढ़ इन्च के निप्पल भी तने हुए थे और मुझे चूसने का आमन्त्रण दे रहे थे. मैं मेरी गदराई अधिकारी के दोनों निप्पलों को चुटकी में भर कर कस कस कर मसल रहा था और वो भी सिसकियाँ भर भर कर और गन्दी गन्दी नशीली आवाजे निकाल निकाल कर मुझे बढ़ावा दे रही थी.
आखिर मुझसे नहीं रहा गया और उसके टांगों को कन्धे से उतार कर जमीन पर सीधा किया और उसके ऊपर पूरा लम्बा होकर लेट गया. सुष्मिता ने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को पकड़ कर पास पास कर लिया और मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने लगा. ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया का अमृत उन चूचियों में ही भरा हो. मैं दोनों हाथों से चूचियों को मसल रहा था. चूचियों की मसलाई और चुसाई में मैं अपनी कमर हिलाना ही भूल गया.
तब मेरी गदराई अधिकारी अपने हाथ नीचे करके मेरे कुलहो पर ले गई और उन्हें फैला कर एक उंगली मेरी गाण्ड के छेद में पेल दी और अपनी ऊँगली मेरी टट्टी से भरी चूतड़ के छेद के भीतर बहार करने लगी और अपनी ऊँगली से मेरी टट्टी से भरी चूतड़ पेलने लगी मुझे भी उनकी ऊँगली से अपनी लेट्रिंग से भरी चूतड़ चुदवाते हुए बहुत मजे आ रहे थे. में सुष्मिता को अपनी रांड बनाकर चोद रहा था और वो अपनी ऊँगली से मेरी टट्टी से भरी चूतड़ चोद रही थी

सुष्मिता अधिकारी की ऊँगली मेरी टट्टी से भरी गांड में और ज्यादा गहराई तक गुस्ते ही मैं चिहुंक गया और एक खतरनाक धक्का सुष्मिता की फुद्दी में लगा दिया. सुष्मिता खिलखिला कर हंस पड़ी और कहने लगी “क्यों राज्जा ! आनंद आया ? अब चलो वापस अपनी ड्यूटी पर।” मेरी गदराई अधिकारी का इशारा समझ कर मैं वापस कमर हिला हिला कर उसकी फुद्दी पेलने लगा. सुष्मिता भी नीचे से कमर उठाने लगी और आहिस्ता आहिस्ता हम दोनों पूरे जोश के साथ चुदाई करने लगे. मैं पूरा लण्ड बाहर खींच कर निकाल लेता और पुरी तेज गति से उसकी फुद्दी में वापिस पेल देता. सुष्मिता भी मेरे हर शॉट का उत्तर अपनी लेट्रिंग से भरी चूतड़ हिला हिला कर देती.
पूरे कमरे में सुष्मिता अधिकारी की फुद्दी चुदाई की फच फच की आवाज गूंज रही थी. जैसे जैसे मेरा जोश बढता गया मेरी सुष्मिता अधिकारी की फुद्दी चुदाई की स्पीड भी तेज होती गई. कुछ वक्त बाद सेक्स मेरे सर पर सवार हो गया और आखिर मैंने देसी रांड सुष्मिता की चूचियों को छोड़ मैंने उसकी कमर को पकड़ कर तूफानी स्पीड में उनकी फुद्दी चुदाई शुरू कर दी. मेरी गदराई अधिकारी भी कहा ं पीछे रहने वाली थी. वो भी मेरी गर्दन में हाथ घुसेड़ कर पूरे जोश से जोर जोर से अपनी कमर आगे पीछे उछाल रही थी.
अब ऐसा लगने लगा था कि हम दोनों ही अपनी अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे पर सुष्मिता तो एक्सपर्ट चुदक्कड़ थी और अभी झड़ने के मूड़ में नहीं थी. उसने अपनी कमर को मेरी कमर की दिशा में ही हिलाना शुरू दिया. इससे लण्ड अन्दर बाहर होने के बजाए फुद्दी के अन्दर ही रह गया.
मेरी पीठ पर थपकी दे कर उन्होंने स्पीड कम करने को कहा और बोली, “थोड़ा सांस ले लें, फिर शुरू होना. इतनी जल्दी झड़ने से आनंद पूरा नहीं आएगा।” मैंने किसी तरह अपने को संभाल कर स्पीड कम की. मैं अब उसके रसीले लिप्स को चूसते हुए हौले हौले पेलने लगा. जब हम दोनों की हालत संभली तो दोबारा सुष्मिता ने फुल स्पीड चुदाई का इशारा किया और फिर से मैं पहले की तरह पेलने लगा. रूक रूक कर मेरी गदराई अधिकारी की फुद्दी चुदाई करने में मुझे भी आनंद आ रहा था.

हमारी इस चुदाई का दौर आधा घन्टे से भी ज्यादा चला. कई बार मेरे लण्ड में और उसकी फुद्दी में उफान आने को हुआ और हर बार हमने स्पीड कम करके उसे रोक लिया. आखिर गदराई अधिकारी ने मुझे अपनी फुद्दी में झड़ने की इजाजत दी. मैं किसी रांड चोद मर्द की तरह मेरी गदराई अधिकारी की फुद्दी में जोर जोर से शोर्ट लगाने लगा. मेरी सुष्मिता अधिकारी भी अपनी डबलरोटी जैसी गद्देदार गांड उछाल उछाल कर मेरे लंड के मजे लेने लगी.
दोस्तों अब मेरा माल निकलने वाला था में चरम सीमा पर पहुंच कर जोर से चिल्लाया “सुष्मिता मेडम! आआ आआआआआआ मेरी जान ! मैं आया…….” और उसकी फुद्दी में बच्चे दानी तक लण्ड घुसा कर अपना सारा गरमा गर्म स्पर्म मेरी गदराई अधिकारी की फुद्दी के अन्दर डाल दिया. मेरी गदराई अधिकारी सुष्मिता ने भी मेरी पीठ पर अपने पैर बांध कर मुझे कस कर जकड लिया और जोर से चीखती हुई झड़ गई.
इतनी मस्त चुदाई करी थी यारो मैंने मेरी अधिकारी की वो तो अब मेरे लण्ड की दीवानी हो गई है. अब तो हमारे बिच यार गर्लफ्रेंड जैसा संबंध हो गया है हमें जब कभी भी चुदाई करने का अवसर पड़ता है हम खूब मन भर कर चुदाई का आनंद लेते है. दोस्तों मेरी और मेरी अधिकारी की ये दफ्तर फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में “Sex With Boss In Office Hindi Sex Stories गदराई अधिकारी की दफ्तर में चुदाई कर डाली अवसर पाकर गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में” आप सभी को पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करना और इस वेबसाइट को चलने में सहायता करना.