विर्जिन चंचल की जींस खोल कर चुदाई करी – फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में : मैं अपनी विद्यालय की परीक्षा देने के बाद घर पर ही था किन्तु मेरा घर पर थोड़ा सा भी मन नहीं लग रहा था क्योंकि मेरे दिमाग में तो केवल भडवा ललित का ही ख्याल आ रहा था, भडवा ललित भी हमारे साथ हमारी क्लास में ही पढ़ती थी, भडवा ललित के पिताजी हमारे विद्यालय में अध्यापक हैं. मैं भडवा ललित से बात करने के लिए बेताब था किन्तु उससे मेरा कोई भी संपर्क नहीं हो पा रहा था क्योंकि विर्जिन चंचल से मेरी इतनी अच्छी बातचीत नहीं थी, मैं घर में जब कभी भी अपनी गरम माल बहन से इस बारे में बात करता तो वह मुझे कहती की लगता है बहन चोद गगन तुम्हारा दिमाग सही नहीं है यदि यह बात मादरचोद पापा को पता चली तो मादरचोद पापा तुम्हारा मार मार कर बुरा हाल कर देंगे इस कारण से तुम अपने दिमाग से यह सब ख्याल निकाल दो।
मेरे मादरचोद पापा बड़े ही सख्त किस्म के व्यक्ति हैं और वह किसी से भी फालतू की बातें नहीं करते उन्हें घर में जब कोई काम होता है तो उसी वक्त वह अम्मी से बात करते हैं नहीं तो वह अपने काम पर ही पूरा ध्यान देते हैं, मेरे मादरचोद पापा एक प्रॉपर्टी डीलर हैं, मुझे अपने मादरचोद पापा से बहुत ज्यादा डर लगता है, मेरी अम्मी मेरा और मेरी जवान सेक्सी बहन का बहुत ज्यादा सपोर्ट करती है जब कभी भी वह हमें डांटते हैं या हमसे कभी कोई गलती हो जाती है तो मेरी अम्मी ही हमें मादरचोद पापा की डांट से बचाती हैं।
विर्जिन चंचल की जींस खोल कर चुदाई करी – फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में
मेरा घर पर थोड़ा सा भी मन नहीं लग रहा था फिर एक दिन मैं घर की छत पर बैठा हुआ था तभी मेरे पड़ोस में रहने वाला मेरा फ्रेंड भडवा ललित मेरे घर पर आ गया भडवा ललित कहने लगा बहन चोद गगन आजकल तुम खेलने भी नहीं आते हो, मैंने बहन चोद गगन से कहा भडवा ललित आजकल मेरा मन नहीं लगता मैं घर पर भी परेशान हो गया हूं मेरे दिल मे केवल भडवा ललित का ही ख्याल रहता है।
भडवा ललित मुझे कहने लगा बहन चोद गगन लगता है तुम्हारा दिल भडवा ललित पर आ चुका है, मैंने भडवा ललित से कहा हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो किन्तु मुझे पहले इस बारे में थोड़ा सा भी पता नहीं था पहले मैं इस बात को बड़े ही हल्के में ले रहा था किन्तु जब से हमारे एग्जाम खत्म हुए हैं उसके बाद तो जैसे मेरे सामने केवल भडवा ललित का चेहरा ही आता है तुम ही मुझे बताओ मुझे क्या करना चाहिए, वह कहने लगा तुम इस बारे में भडवा ललित से बात कर लो मैंने भडवा ललित से कहा किन्तु मेरे पास भडवा ललित का कोई नंबर भी नहीं है और तुम्हें तो पता ही है कि मेरी उससे इतनी ज्यादा बातचीत नहीं है यदि मैं उससे बात करूंगा तो वह कहीं मेरे बारे में गलत ना सोच ले, भडवा ललित कहने लगा देखो बहन चोद गगन तुम्हें हिम्मत तो करनी ही होगी यदि तुम उससे बात नहीं करोगे तो उसे कैसे पता चलेगा कि तुम उससे प्यार करते हो तुम्हें यह बात तो भडवा ललित को बतानी ही पड़ेगी।
मेरे भीतर जैसे भडवा ललित ने जोश जगा दिया हो पहले मैं हिम्मत नहीं कर पा रहा था किन्तु जब उसने मुझे यह सब बात कही तो मेरे भीतर एक हिम्मत सी पैदा हो गई और इसके बाद मैंने भडवा ललित से भडवा ललित का नंबर ले लिया, भडवा ललित की भडवा ललित के साथ बातचीत हो जाती थी. मैंने जब भडवा ललित को फोन किया तो भडवा ललित ने फोन उठाते हुए कहा कौन बोल रहा है? मैंने भडवा ललित से कहा मैं बहन चोद गगन बोल रहा हूं।
कुछ सेकंड तक तो सामने से आवाज नहीं आई और मुझे हेलो हेलो बोलना पड़ा, भडवा ललित ने सामने से उत्तर दिया और कहा हां बहन चोद गगन मैं सुन रही हूं तुम बोलो तुम्हें कुछ काम था क्या? मैंने भडवा ललित से कहा नहीं मुझे कुछ काम नहीं था बस ऐसे ही सोचा तुम्हें फोन कर लूं, आजकल घर पर ही अकेले बोर हो रहा था. भडवा ललित बोलने लगी बोर तो मैं भी हो रही हूं और घर में आजकल मेरा भी दिल नहीं लग रहा, जब से विद्यालय जाना बंद किया है तब से तो घर पर ऐसा लगता है जैसे कि घर काटने को दौड़ रहा हो।
जब भडवा ललित ने यह बात मुझसे कही तो मैंने भडवा ललित से कहा क्यों ना हम लोग कहीं घूमने का प्लान बना ले, वह बोलने लगी मैं घूमने तो नहीं आ पाऊंगी तुम्हें तो पता ही है कि मादरचोद पापा कितनी पाबंदी लगा कर रखते हैं इस कारण से मैं घर पर ही रहती हूं, भडवा ललित ने मुझसे पूछा किन्तु आज तुमने मुझे कैसे फोन कर लिया? मैंने भडवा ललित से कहा बस ऐसे ही आज तुमसे बात करने का मन था और अपने क्लासमेट्स को मैं मिस कर रहा था इस कारण से मैंने तुम्हें फोन कर लिया।
उसने मुझसे पूछा किन्तु तुम्हारे पास तो मेरा नंबर नहीं था तो तुम्हें मेरा नंबर कहा ं से मिला? मैंने उसे बताया आज भडवा ललित मुझे मिला था मैंने उससे तुम्हारा नंबर ले लिया था. भडवा ललित और मेरी बात पहली बार फोन पर इतनी ज्यादा हुई थी इससे पहले मैंने कभी भी उससे इतनी ज्यादा बात नहीं की थी क्लास में भी मैं उससे ज्यादा बात नहीं करता था किन्तु उस दिन जैसे भडवा ललित से मेरी बात होनी शुरू हो गई थी उसके बाद तो लगातार मैं उसे फोन पर बात किया करता हूं।
एक दिन उसने मुझे कहा आज मैं मार्केट आने वाली हूं, मैंने उससे पूछा क्यों तुम आज मार्केट आ रही हो क्या तुम्हें कुछ काम है? वह बोलने लगी मादरचोद पापा अम्मी मेरे मामा के घर गए हुए हैं और घर पर मैं ही अकेली हूं इस कारण से मुझे घर का काम करना पड़ रहा है. मैंने सोचा आज एक अच्छा अवसर है क्यों ना आज भडवा ललित से मिलने जाया जाय, मैं उससे मिलने के लिए अपनी बाइक लेकर चला गया जब वह मुझे मिली तो मुझे उसके साथ बात करने में थोड़ी शर्म आ रही थी किन्तु मैंने उस दिन हिम्मत करते हुए भडवा ललित के साथ काफी देर तक बात की कुछ समय बाद मेरी शर्म भी खत्म होने लगी मैं भडवा ललित से खुलकर बातें करने लगा. भडवा ललित मुझे बोलने लगी मुझे बस कुछ समय का काम है उसके बाद क्या तुम मुझे मेरे घर छोड़ दोगे. मैंने उसे कहा ठीक है भडवा ललित मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूं हम बहन के लंड दोनों कुत्ते कमीनो ने शॉपिंग की उसके बाद मै भडवा ललित को छोड़ने उसके घर चला गया. जब वह बाइक में मेरे साथ बैठी थी तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था।
जिस प्रकार से उसने मुझे पकड़ा था मुझे बहुत ही आनंद आ रहा था उसके बड़े बड़े स्तन मेरे कंधे से टकरा रहे थे मेरा फौलादी लण्ड तो एकदम तन कर खड़ा हो चुका था. जब हम भडवा ललित के घर पहुंचे तो अरे भडवा ललित बोलने लगी तुम घर पर आ जाओ. मैं उसके साथ उसके घर पर चला गया मै उसे अकेला देखकर बहुत प्रसन था मैं उसे अपनी बाहों में लेना चाहता था और उसके मदमस्त बदन को महसूस करना चाहता था. मैंने जब उसके हाथ को पकड़ा तो वह मुझे बोलने लगी बहन चोद गगन तुम यह क्या कर रहे हो।
मैंने उसे कहा भडवा ललित तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो वह मुझे बोलने लगी तुम अभी मेरे घर से चले जाओ मुझे अब तुमसे नफरत होने लगी है. मैंने उसे अपनी बांहों में पकड़ते हुए कहा भडवा ललित तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता. जब मैंने उसे अपनी बाहों में लिया तो मैंने उसे इतना कस कर पकड़ लिया कि वह हिल भी नहीं पा रही थी, मैंने उसे वही जमीन में लेटाते हुए उसके लिप्स का रसपान करना शुरू कर दिया।
उसने अपने दांतो से मेरे लिप्स को भी काट दिया था किन्तु मुझे तब भी कोई आपत्ति नहीं थी. जब मैंने उसकी जींस के भीतर उसकी फुद्दी को सहलाना शुरु किया तो उसने जैसे मुझे अपना बदन सौंप दिया था उसकी फुद्दी पूरी गीली हो गई थी. मैंने उसकी जींस के बटन को तोड़ते हुए उसकी जींस को उतार दिया जब मैंने उसकी फुद्दी देखी तो उस पर एक भी बाल नहीं था उसकी फुद्दी देखकर मेरा फौलादी लण्ड एकदम तन कर खड़ा हो गया।
मैंने भी ज्यादा देर नहीं की और अपने पेनिस को उसकी फुद्दी के भीतर डाल दिया जैसे ही मेरा मोटा लम्बा लौड़ा उसकी फुद्दी के भीतर प्रवेश हुआ तो उसकी फुद्दी से जो ब्लड निकला उसे देखकर मेरे उत्तेजना और भी अधिक होने लगी. मैं उसे बड़ी तेज गति से पेलने लगा मैंने उसे इतनी तेज रफ्तार से शोर्ट दिए उसके मुँह से चिल्लाने की आवाज निकल जाती उसे भी अच्छा लगने लगा था. वह मुझे बोलने लगी जब तुमने मेरी सील तोड़ ही दी है तो तुम मुझे और भी मजे दो मेरी तमन्ना नहीं भर रही है।
मैंने उस रांड चंचल की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखते हुए उसकी फुद्दी में और भी तेज गति से शोर्ट देने शुरू कर दिए उसे मेरा फौलादी लण्ड अपनी फुद्दी में लेने में बड़ा आनंद आने लगा था उसे मेरे लण्ड से चुदाई करवा कर बहुत आनंद आरहा था. जब चुदाई करवाते करवाते उसकी फुद्दी झड़ गई तो उसने अपने टांगों से मुझे जकडना शुरू कर दिया ।
मैं बड़ी तेज गति से उस रांड चंचल की खतरनाक चुदाई कर रहा था जब मेरा स्पर्म उस रांड चंचल की फुद्दी में पतन हो गया तो मैंने अपने पेनिस को बाहर निकाला मेरा फौलादी लण्ड सूज कर मोटा हो चुका था किन्तु मुझे उस रांड चंचल की फुद्दी चुदाई करने में बहुत आनंद आया. हम बहन के लंड दोनों कुत्ते कमीनो ने अपने कपड़े पहन लिए उसके बाद शर्म से भडवा ललित की नजरें झुक गई मैं भी उससे नजरे नहीं मिला पाया और मैं अपने घर चला गया।