बुढ़िया ने बस में मेरी नाईट रंगीन की XXX Hindi Sex Kahani
ये बात कुछ महीने पहले की है. जब मैं किसी काम से दिल्ली से मध्य प्रदेश जा रहा था. तो बस अड्डे पर मेरे साथ एक दिलचस्प घटना हो गयी. वो कहते है ना जब देने वाला देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है. उसी तरह उसने मेरी झोली में भी एक ऐसा मौका डाल दिया. मेरा नाम कौशल है. मैं दिल्ली में रहता हूँ. और प्रोफेशन से अभी तक एक स्टूडेंट हूँ. और कॉलेज में पढ़ाई करता हूँ. एक दिन मुझे अपने भाई का फ़ोन आया और उन्होंने कुछ काम से मुझे अपने पास मध्य प्रदेश बुलाया बस कुछ ही दिनों की बात थी. मैं कुछ दिन उनलोगों के पास रहकर वापस दिल्ली आ जाता।
तो मैंने दिल्ली से मध्य प्रदेश जाने की टिकट स्लीपर बस में करवाई क्योंकि बस में ऊपर नीचे अब केवल स्लीपर सीट ही थे. एक दम नई बस थी. शाम को 6 बजे मेरी बस दिल्ली से खुलने वाली थी. तो मैं 5:30 बजे तक बस अड्डे पहुँच गया. वहाँ पर बस पहले से ही खड़ी थी. मैं बस में चढ़ गया और अपनी सीट पर अपना सामान रखकर नीचे उतर गया क्योंकि बस अभी चल नही रही थी. और भीतर काफी भीड़ और गर्मी थी. मैं बाहर आकर बस की टिकट काउंटर के पास बैठ गया. तभी एक महिला आयी जिसकी उम्र 45 से पर किन्तु 50 वर्ष से कम ही होगी।
वो महिला बस की टिकट के लिए काउंटर पर बात कर रही थी. किन्तु काउंटर पर बैठे आदमी ने कहा आप नही जा सकती सीट नही है बस में. तो उस महिला ने कहा वो नीचे बैठकर सफर कर लेगी।ऐसा उस महिला ने कहा तभी काउंटर पर बैठे एक दूसरे आदमी ने कहा कि एक सीट बची है किन्तु ऊपर वाली स्लीपर सीट है. तो वो महिला सीट लेने के लिए राजी हो गयी।

तभी काउंटर पर बैठे आदमी ने कहा कि 1000 रुपये लगेंगे. तो वो महिला थोड़ी सोंच में पड़ गयी. थोड़ा झिझकते हुए उस महिला ने कहा कि मेरे पास तो इतने रुपये नही है. किन्तु मुझे मध्य प्रदेश पहुँचना बहुत जरूरी है. ये कहकर टिकिट काउंटर पर बैठे आदमी से आग्रह करने लगी।पर उस आदमी पर उस महिला की बातों का कोई असर नही पड़ रहा था. वो आदमी उस औरत को काउंटर से हटने को कह रहा था. वो महिला अपना मन दुखी किये उससे आग्रह किये जा रही थी।
मैं ये सब सुन रहा था आखिर में मैंने उस महिला से पूछा की ताईजी जी आपके पास जो पैसे है दो बाकी के मैं दे देता हूँ. वो मेरी बात सुनकर प्रसन हो गयी. कहने लगी बेटा भगवान आपका भला करे. मैंने उस महिला के टिकेट के बाकी के पैसे चुका दिये. एकदम से बस का हॉर्न बजने लगा. बस अब खुलने वाली थी।
तो मैंने उस महिला का समान उठाया और बस में चढ़ा दिया वो भी मेरे पीछे-पीछे बस में चढ़ गई. उसकी सीट मेरे बगल वाली सीट थी. तो मैंने उससे पूछा ताईजी जी आप ऊपर चढ़ पाओगी? तो वो हा कहते हुए सीट पर चढ़ गई. मैं भी अपनी सीट पर चढ़कर बैठ गया।
वो बोलने लगी बेटा कितने संयोग की बात है आपने मेरी मदत की और मुझे आपके बगल वाली ही सीट मिल गयी. उसकी इस बात पर मैंने हल्की सी मुस्कान दी और चुपचाप अपने सीट पर लेट गया।
वो भी मेरे टांगों के बगल में चुप चाप बैठ गयी. फिर कुछ देर बाद उसने मुझसे पूछा कि बेटा आप कहा ँ से हो मैंने कहा दिल्ली से और अपने भाई के पास जा रहा हूँ. फिर उसने कहा कि वो मध्य प्रदेश से है और दिल्ली में दिहाड़ी मजदूरी करती है. इसीतरह हमारे बीच में बात होने लगी।
मैं खिड़की की तरफ लेटा हुआ था और वो मेरी दूसरी ओर बैठी थी. जिधर पर्दा था. सभी लोग अपने अपने सीट पर बैठ गए थे और सभी लोग अपने अपने तरफ का पर्दा खींच चुके थे. वो देखकर उस महिला ने भी हमारे सीट का पर्दा खींचकर नीचे कर दिया और पर्दे को सीट के गद्दे से दबा दिया।
अब न तो बाहर का कुछ दिख रहा था. और नही बस में बैठे लोग हमें देख पा रहे थे. फिर उसने इधर उधर की बातें शुरू की उसकी बात करने का अंदाज़ थोड़ा राजस्थानी था. पर वो बोल हिंदी रही थी जो मुझे अच्छे से समझ आ रही थी।
मैं भी उससे बातें करने लगा मेरा चेहरा उसकी ही तरफ था. वो थोड़ी गवार किस्म की लग रही थी. उसका शरीर पतली दुबली चौड़ी कमर वाली लंबी कद काठी की गेंहुए कलर की महिला थी. फिर उसने कहा कि वो अपने घर के हालातों के कारण दिल्ली में दिहाड़ी पर काम करती है।
फिर उसने कहा कि बेटा मैं आपका ये एहसान कैसे चुकाऊँ आप मुझे बताओ क्योंकि बस से उतरते ही हम अलग अलग हो जाएंगे. तो मैंने कहा कोई बात नही ताईजी जी आप पैसो के बारे में ज्यादा मत सोचिये. बस चले जा रही थी. बाहर अंधेरा हो चुका था बस हमारे केबिन की एक हल्की सी लाइट की रोशनी थी।
फिर उसने कुछ देर बाद मुझसे कहा बेटा मैं आपकी मदत हमेशा याद रखूँगी. अगर मैं आपके लिए कुछ कर सकती हूँ तो बताओ. मैंने कोई बात नही ताईजी जी कहकर बात टाल दी. कुछ देर बाद उसने मेरे टांगों पर अपने हाथ सहलाने शुरू किए. उसके हाथ का स्पर्श पाकर जल्दी से मेरी हाथ खुल गयी।
मैं चुप से उसे ही देखता रहा उसने कहा बेटा अगर आपको कोई अलग सी सेवा दु तो चलेगा? मैं चुप था. वो मेरे टांगों को सहलाती हुई मेरी जाँघों तक पहुँच गयी. मैंने उसके बारे में अब तक कुछ गलत नही सोचा था. किन्तु मैं उसे ऐसा करने से रोक भी नही रहा था. फिर उसने मेरी बेल्ट खोल दी और मेरी पैंट की चैन को नीचे सरका दिया।
फिर वो खिसक कर थोड़ा आगे आयी और कहने लगी बेटा ऐसा करने से आपको कोई दिक्कत तो नही है. मैंने सर हिलाकर कहा जी नही!! अब भला मज़ा भी किसी को बुरा लगता है क्या??
फिर वो हौले-हौले मेरी पैंट में हाथ डालने लगी. अब तक तो मेरा फौलादी लण्ड हार्ड होकर तंबू बन चुका था. उसने पैंट में ही मेरे लण्ड से चड्डी हटाई और मेरा साबुत लण्ड पैंट से बाहर निकाल लिया. फिर वो मेरे शानदार पेनिस को मुट्ठी में पकड़े हुए. वहीं घिसट कर लेट गयी और अपनी नज़र उठाकर उसने मुझे देखा और फिर घप से मेरा पेनिस अपने मुँह में लील गयी।
उसके गर्म होंठो ने मेरे लण्ड पे ऐसा जादू चलाया की मैंने जल्दी से उसका सर पकड़ लिया. बस चले जा रही थी बाहर और घना अंधेरा हो चुका था. वो मेरे लण्ड की चुसाइ में लगी हुई थी. उसके होंठ मेरे लण्ड के इर्द गिर्द अपना कमाल दिखा रहे थे. वो अपने लिप्स को मेरी लूली पर रखती और पूरा का पूरा लण्ड अपने लिप्स से दबाती हुई अपने मुँह में सरका ले रही थी।
फिर उसने मेरी गोटियों को भी अपनी जबान से चाटना प्रारम्भ करा जिससे मेरी उतेजना और बढ़ गयी. उसने चूस चूस कर मेरे 5″ के लण्ड को 8″ का बना दिया था. उसके गोटियां चाटने से मेरा चिपचिपा सफेद पानी उसकी मुट्ठी में ही निकल गया. फिर उसने अपने कपड़े से मेरे शानदार पेनिस को साफ किया।
फिर वो अपनी साड़ी के पल्लू जो उसने ब्लाउज में पिन से बांधी थी. उसे खोल दिया. और अपना पल्लू हटाते हुए वो अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी. मैं भीतर ही भीतर बड़ा बेइंतजार था किन्तु अपने आप को सांत दिखा रहा था. फिर उसने अपने ब्लाउज का बटन खोल लिया और अपने हाथों से अपनी चुचियों को संभालती हुई मेरे चेहरे की तरफ अपनी छाती करके लेट गयी।
वो मेरे पास लेट गयी और अपनी दोनों चुचियों को मेरे मुँह पर लटका दिया. और एक चूची को अपने हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह पर दबाने लगी. मैंने भी देरी न करते हुए उसकी चुचियों को पीने लगा. वो बारी बारी अपनी दोनों चुचियाँ मेरे मुँह में डालती रही मैं उसके निपल्लों को चबा चबा कर उसके दूध के भंडारों को अपने मुँह और हाथों से मसलता रहा।
मैंने करीब एक घंटे तक उसकी चुचियाँ रगड़ी और मसली फिर उसने मेरे लण्ड पर अपना हाथ रख दिया और मेरे शानदार पेनिस को फिर से सहलाने लगी. मेरे लण्ड में फिर से खुद बुदाहट होने लगी. फिर से मेरा फौलादी लण्ड तैयार होकर 8″ का हो गया. फिर उसने अपनी साड़ी को आगे से उठा कर अपनी चूत के ऊपर उठा दिया और अपनी एक टांग को मेरी कमर के दूसरी तरफ कर दिया।
अब उसकी साफ सुथरी गरम बुर मेरे लण्ड से मिलने लगी और वो अब पूरी तरह से मेरे ऊपर चढ़ गई थी. हमारे चेहरे आमने सामने आ चुके थे. फिर उसने अपने पेट के नीचे से हाथ घुसाकर मेरे शानदार पेनिस को पकड़ा और अपनी चूत के हिस्सों पर रगड़ते हुए सीधे बुर की छेद में लगा दी।
उसके बाद उसने अपनी कमर उठाकर थोड़ा नीचे की तरफ धक्का मारा मेरा फौलादी लण्ड फिसलता हुआ उसकी तंग चूत के अंदर समा गया. हमदोनों के मुँह से हल्की सी चींख निकली पर उसने मेरे मुँह को अपने हाथ से दबा लिया और उसने खुद की चींख अपने लिप्स से दबा ली. ऐसा नही था कि उसकी चुत बिना चुदी बुर थी मगर शायद मेरे ही लण्ड उसे मोटा पड़ गया था. जो उसकी गरम चूत के हिसाब से साइज में थोड़ा बड़ा था।
थोड़ी देर तक लण्ड उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर ही पड़ा रहा फिर वो मेरे ऊपर आराम से लेट गयी. और हल्का हल्का अपनी कमर उठाकर मेरे लण्ड से अपनी बुर को चोदने लगी. मुझे जन्नत का आनंद मिल रहा था. मैं उसके नीचे लेटा हुआ उसकी चुचियों को पीते हुए चुदाई का भरपूर सुख ले रहा था।
हम ज्यादा ज़ोर से भी चुदाई नही कर सकते थे. नही तो बस में सबको पता चल जाता. फिर भी उसने करीब 15 मिनट तक ऐसे ही मेरे शानदार पेनिस को अपनी बुर का सुख देती रही. मैं बीच बीच में उस साली रंडी छिनाल की गांड पर हाथ फेरके उसकी ज़ोश को और बढ़ावा दे देता।
फिर उसने अपनी चूत से मेरा फौलादी लण्ड निकाला और उठकर बैठ गयी. मेरे लण्ड पर उसकी चुत का रस फैल चुका था. और वही रस उसकी चुत पर भी लगा हुआ था. फिर उसने अपनी साड़ी से मेरे लण्ड और अपनी बुर दोनों को साफ किया. और मेरी पैंट को थोड़ा नीचे सरकाकर अपनी दोनों टाँगों को मेरी कमर के दोनों तरफ करती हुई
मेरे शानदार पेनिस को अपनी उंगलियों के सहारे पकड़ कर मेरे लण्ड पर बैठने लगी. अब मैं उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर घुसते हुए अपने लण्ड को देखकर मज़े ले रहा था. जैसे जैसे मेरा मोटा लम्बा लौड़ा उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर भीतर घुसता उसकी गरम चूत के दोनों वक्ष फैलकर बड़े होते जा रहे थे. जब वो मेरे लण्ड पर उछलती तो उसके चूत के दोनों वक्ष मेरे लण्ड के जड़ पर सट जाते।
वो कमाल का नज़ारा देखने लायक होता जब उसकी चुत का दान सीधा मेरी टुंडी के नीचे पेट से टकरा रहा था. वो उसकी चुत का गर्म दान….आह….आह वाह क्या मज़ा आ रहा था. दोस्तों…
मैं भी उस साली रंडी छिनाल की गांड के नीचे से हाथ लगाकर उसकी गांड को उछालने में उसका साथ दे रहा था. इसके बाद मैंने उससे कहा की ताईजी जी अब आप उल्टी होकर बैठ जाओ मुझे आपकी गांड देखनी है इतना सुनते ही वो उठ गयी और पलट कर अपनी गद्देदार गांड मेरे चेहरे की तरफ घुमा दी और अपनी दोनों टाँगों के बीच से हाथ बढ़ा कर उसने मेरे देसी मोटे लंड को फिर से अपनी चूत के अंदर ले लिया।
अब वो आगे पीछे होकर मेरे शानदार पेनिस को पीछे से अपनी चूत के अंदर लेने लगी और मैं उसकी बड़ी चूतड़ के दोनों हिस्सों पर अपने हाथ जमाये उसे अपने मज़बूत और शक्तिशाली लण्ड पर उठाने बैठाने लगा. इसके बाद मैंने उस साली रंडी छिनाल की गांड के दोनों हिस्सों को हाथ से मसलने लगा उसकी मस्त मखमली चूतड़ पर मेरी हाथों ने ऐसा जादू किया कि उस साली रंडी छिनाल की चूत से गर्म लावा बहने लगा।
जैसे ही उसकी चुत ने अपना लावा निकाला वो रुक गयी उसने शोर्ट लगाने रोक दिए और अपनी चूत के अंदर मेरा फौलादी लण्ड घुसाये अपनी बुर का लावा बाहर झाड़ने लगी. मैंने ही उस साली रंडी छिनाल की चूत से अपना लण्ड निकाल दिया. जिससे उस साली रंडी छिनाल की चूत से स्पर्म की धार तेज़ हो गयी और सारा स्पर्म उस साली रंडी छिनाल की चूत से निकल कर सीट पर फैल गया।
इसके बाद मैंने उससे कहा ताईजी जी आप लेट जाओ मैं पीछे से डालूँगा. वो भी चुप चाप मेरे आगे बाई करवट लेकर लेट गयी. इसके बाद मैंने पीछे से उसकी साड़ी उठाकर उसकी गांड को पूरा नंगा कर दिया और उस साली रंडी छिनाल की गांड के नीचे से हाथ लगाकर थोड़ी जगह बनाई और फिर अपना लण्ड उसकी टाँगों के बीच से घुसाता हुआ उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर डाल दिया।
एक दफे में ही मेरा मोटा लम्बा लौड़ा उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर उतर गया. इसके बाद मैंने उसकी कमर को थोड़ा पीछे खींचा और उसकी एक टांग को थोड़ा आगे करके चूत के अंदर धक्का लगाने की जगह बनाई. उसके बाद मैं ठीक उसकी गांड को पकड़कर उसकी चुत पेलने लगा. इसबार धक्का मेरे अनुसार लग रहा था. तो उसकी थोड़ी थोड़ी चींख निकल जा रही थी
पर मैंने जब शोर्ट मारने शरू किये तब मैंने उसके मुँह को अपने हाथ से दबा लिया था. ताकि कही कोई न सुन ले. मैंने खूब दबा दबा कर उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर अपना लण्ड पेल रहा था. चोद चोदकर मैंने उसकी गरम चूत के पट्टो को फैला दिया था. उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर अब लचीलापन आ चुका था. अंतिम में मैं जब झड़ने वाला था. जब मैंने एक ज़ोर का शार्ट उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर मारा और अपना सारा लावा उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर झाड़ दिया।
मैं उस साली रंडी छिनाल की चूत के अंदर लण्ड डालकर उसको अपनी बाँहों में लिए हुए लेट गया उसके पेट का निचला बुर वाला हिस्सा स्पर्म से सन चुका था. वो थक कर ज़ोर से सांसे ले रही थी. मैं भी थक चुका था. आधी नाईट को मैंने उसे उठाया और अपने लण्ड और उसकी चुत को साफ करके मैं फिर से सो गया।
उम्मीद है दोस्तों आपको मेरी ये कहानी पसंद आयी हो यही थी मेरी आज की कहानी. मेरी पिछली कहानी भिखारन ने मेरी नियत बिगाड़ी पढ़े
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