बचपन में माँ को ताऊजी के लण्ड से चुदते देखा Hindi Chudai Ki Kahani हिंदी सेक्स कहा नियाँ Free XXX Hindi Nonveg Sex Story For Adults 18+ Hindi Chudai Kahani Hindi Sex Stories : मेरा नाम सुरेश है और आज जो हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में बताने जा रहा हूँ वो मेरे बचपन की है पर जेहन में आज भी बिलकुल ताजी है. आज मैं आपको मेरी अम्मी और ताऊजी की खतरनाक चुदाई की एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ. दोस्तों मेरी कामुक माँ और 45 साल के ताऊजी के बिच अवैध सेक्स संबंध है. मेरी अम्मी की फुद्दी चुदाई की यह घटना उस वक्त की है जब मैं करीब 10-12 साल का था. बचपन में मैं अधिकतर मेरे ताऊजी के साथ ही रहता था. ताऊजी मुझे अपने साथ ही सुलाते थे. फिर मेरी अम्मी मुझे देर नाईट ताऊजी के पास से लेकर अपने पास सुलाती थी.
मैं अधिकतर महसूस करता था कि जब मेरी अम्मी नाईट को मुझे लेने आती थी तो कभी कभार मैं जाग जाता था तो लगता था कि खटिया हिल रही है किन्तु मेरी समझ में कुछ भी नहीं आता था और कुछ देर बाद ही मेरी अम्मी मुझे लेकर अपने बिस्तर पर आ जाती थी. खैर यह सब लगातार चलता रहा. मैं कभी कभार दिन में भी देखता था कि ताऊ जी चोरी छुप्पे मेरी अम्मी की ओर कुछ इशारा करते थे और फिर तो वो ताऊजी के साथ भूसे वाले छप्पर में चली जाती थी और काफी देर बाद निकल कर आती थी. मैं कभी मेरी अम्मी से पूछता कि आप वहाँ क्या करने गई थी तो वो कहती- कुछ नहीं बेटा, तेरे ताऊजी बैलों के लिये तूड़ी लेकर खेत में जा रहे हैं उन्हें तूड़ी बंधवाने गई थी.
बचपन में माँ को ताऊजी के लण्ड से चुदते देखा Hindi Chudai Ki Kahani

लेकिन आहिस्ता आहिस्ता मुझे उन पर कुछ शक हो रहा था कि आखिर ताऊजी और मेरी अम्मी एक साथ करते क्या हैं. एक दिन मुझे कुछ देखने का हल्का सा अवसर मिला. ताऊजी उन दिनों भैंसों के बाड़े में सोते थे, जब मैं एक नाईट को चुपके से अपने घर की छत पर जाकर मेरी अम्मी का इंतजार करने लगा कि कब मेरी अम्मी ताऊजी के पास जाती है. बाहर ठण्ड भी थी, फिर भी मैं वहीं पर जमा रहा कि कब ये लोग अपना गेम खेल शुरु करते हैं. और मेरी मेहनत कलर लाई, नाईट के करीब 10 बज रहे थे, मेरी अम्मी ने घर का दरवाजा खोला और उसे धीरे से बंद करके ताऊजी जहाँ सो रहे थे उस बाड़े में चली गई.
भीतर काफी अंधेरा था और बाहर दरवाजे पर एक फूस का बना टाटा लगा था इस वजह से मुझे भीतर कुछ भी नहीं दिख रहा था. मैं चुपके से छप्पर के पीछे के आले जहाँ गोबर के बने कण्डे से उन्हें बंद किया गया था ताकि भीतर सर्दी ना जाए, उनके पास गया तो केवल भीतर की खुसर फुसर की आवाज सुन रहा था. कभी ताऊजी तो कभी मेरी अम्मी की हल्की-हल्की सिसकियाँ निकल रही थी. मैं किसी भी तरह अन्दर का नजारा देखना चाहता था किन्तु मुझे आज वो नसीब नहीं हुआ. किन्तु एक बात तो मेर दिमाग में घर कर गई कि ताऊजी और मेरी अम्मी कुछ ऐसा वैसा करतें जरूर हैं. ( हिंदी सेक्स कहा नियाँ Free XXX Hindi Nonveg Sex Story For Adults 18+ Hindi Chudai Kahani Hindi Sex Stories )
बस मेरे दिमाग में हमेशा उनका ही ख्याल रहने लगा. आगे की गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में बताने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ कि मेरे परिवर में ताऊजी, मेरी अम्मी, मेरे अब्बू, मैं एवं मेरी बुड्डी दादी हैं. मेरे अब्बू जी शहर में काम करते हैं इस लिये वो शहर में ही रहते है. गांव में खेतीबाड़ी का काम है जो ताऊजी और मेरी अम्मी संभालते हैं. तब मेरे अब्बू और मेरी अम्मी की शादी हुए करीब 13 साल हुए थे जिनके मैं इककौती संतान हूँ. उन दिनों मैं गाँव की ही एक गवर्नमेंट विद्यालय में पढ़ने जाता था. मेरे ताऊजी की उम्र करीब 45 साल हो चुकी थी किन्तु शादी अभी तक नहीं हुई थी. मेरी अम्मी दसवीं तक पढ़ी हैं किन्तु मेरे ताऊजी एकदम अनपढ़ गंवार आदमी है.

मेरी अम्मी दिखने में बहुत ब्यूटीफुल है वो एक दम गौरी पतली है, पतली कमर, गोरे-गोरे गाल, गोरा कलर ! मेरे ताऊजी उल्टे तवे जैसे काले कलर के, चौड़ी छाती उस पर काले-काले घुंघराले बाल. दादी अधिकतर घर पर ही रहती थी. उस दिन के बाद तो मेरा मन पढ़ाई में थोड़ा सा भी नहीं लगता था, मन करता था कि हमेशा मेरी अम्मी के साथ ही रहूँ. मैं किसी भी तरह उनका गेम खेल देखना चाहता था और हर संम्भव प्रयास कर रहा था कि उनका गेम खेल देखूँ.
आखिर मैंने एक दिन विद्यालय ना जाकर उनका गेम खेल देखने का फ़ैसला किया क्योंकि मैं जानता था कि मेरी अम्मी-ताऊ जी का खाना लेकर खेत पर जाती हैं, अब तो सरसों भी बड़ी हो रही है इसलिये ये दोनों पक्का वहाँ कुछ करते होंगे, यही सोच कर मैं विद्यालय ना जाकर चुपके से खेत पर पहुँच गया जहाँ सरसों के खेत के बीच एक बड़ा भारी पेड़ है, उसके नीचे काफी दूर तक सरसों नहीं थी.
मैं उस पर चढ़ कर बैठ गया. किन्तु में उस दिन मेरी अम्मी को ताऊजी के लण्ड से चुदते हुए नहीं देख सका क्योंकि मेरे काफी इंतजार के बाद भी उन्होंने कुछ नहीं किया और मेरी अम्मी ताऊजी के साथ सेक्स करे बिना घर वापस आ गई. मैं आज फिर निराश ही लौटने वाला था. इस तरह तीन-चार दिन बीत गये और उन्होने कुछ भी नहीं किया. मैं सोच रहा था कि यह शायद मेरी गलत फहमी है.
करीब चार दिन बाद मैंने ताऊजी को मेरी अम्मी से कुछ कहते देखा, मेरी अम्मी कह रही थी- ठीक है, आज नाईट को मैं खेत पर ही आ रही हूँ. मेरे दिमाग में फिर से कीड़ा कुलबुलाने लगा. शाम को मेरी अम्मी ने खाना बनाकर हमें खिलाया और दादी से बोलने लगी- सासूजी, आज नाईट को जेठ जी का खाना खेत पर ही जायेगा क्योंकि नाईट को बिजली का नम्बर है. दादी बोली- ठीक है बहू, सुरेश को मेरे पास ही छोड़ जाना, बच्चा इतनी दूर क्या करेगा.
मेरी अम्मी ताऊजी का खाना लेकर खेत पर चली गई, इधर मैं भी वहाँ जाना चाहता था किन्तु ये बहन की लौड़ी बुड्ढी दादी मुझे अकेले वहाँ नहीं भेजती तो मैंने एक बहाना बनाया और कहा – अम्मा, हमारे पेपर आने वाले हैं आप कहो तो मैं मेरे फ्रेंड के यहाँ पढ़ने चला जाऊँ? पहले तो दादी नहीं मानी किन्तु काफी मनुहार करने के बाद उन्होंने जाने की अनुमति दे दी. मैं जल्दी-जल्दी अपने खेत की ओर चल दिया जो गांव से काफी दूरी पर थे. मेरा तो बचपन था इस लिये मुझे रास्ते में भूत से डर भी लग रहा था पर मैं किसी धुन में उधर खिंचा चला जा रहा था. बाहर काफी अंधेरा व सर्दी थी. मैं जैसे तैसे करके हमारे खेत में लगे ट्यूबवैल के पास पहुँच गया तो सोचने लगा कि शायद मेरी अम्मी ताऊजी खेत में पानी मोड़ रहे होंगे.
मैं जैसे ही टयूबवैल के पास पहुँचा तो देखा कि मोटर तो बंद है और कोठरी भी भीतर से बंद है, कोठरी में अन्दर बल्ब जल रहा है. मैं धीरे-धीरे कोठरी के पास पहुँचा तो लगा कि मेरी अम्मी ताऊजी भीतर ही हैं. मैं भीतर देखना चाहता था कि वे दोनो क्या कर रहे हैं. यही सोच कर मैं टयूबवैल की तरफ एक छोटी सी खिड़की जहाँ से मोटर को देखते थे, उसके पास जाकर अन्दर देखा तो मेरा शक यकीन में बदल गया. ताऊजी और मेरी अम्मी तख्त पर आपस में एक दूसरे से लिपटे पड़े हैं. कोठरी ज्यादा बड़ी नहीं थी, केवल 8X8 फीट की ही थी, उसमें एक छोटा तख्त डाल रखा था जिस पर ताऊजी मेरी अम्मी लिपटे पड़े थे.

मेरे 45 साल के ताऊजी मेरी जवान और गरम माँ के गोर गोर गालों पर अपना मुँह टिका कर चुम्मा चाटी कर रहे थे. मेरी अम्मी ने भी ताऊजी को कसके जकड़ रखा था. यह सब देख कर मुझे कुछ समझ ही नहीं आया की आखिर ये सब चल क्या रहा है. दोनों काफी देर तक इसी पोजीशन में पड़े रहे, फिर ताऊजी ने मेरी अम्मी को छोड़ा और बोले- बहु, कितने दिनों से तुम्हारी गुलाबी फुद्दी मारने को मन कर रहा है, एक तुम हो कि अपने जेठ जी के लौड़े का जरा भी ख्याल नहीं रखती हो. मेरी अम्मी कहने लगी – जेठ जी, मैं भी क्या करुँ, यह साला मासिक धर्म भी तो आ जाता है. ताऊजी- बहु, अब जल्दी से अपनी साड़ी ब्लाउज और पेटीकोट उतार कर मेरे लौड़े से अपनी लेट्रिंग से भरी चूतड़ मरवाने के लिये और फुद्दी चुदवाने के लिये न्यूड हो जाओ.
मेरी अम्मी तो जैसे ताऊजी के कहने का ही इंतजार कर रही थी, झट उठी और पहले अपनी साड़ी खोली फिर अपना ब्लाउज और उसके बाद पेटीकोट ऐसे उन्होंने एक एक कर अपने गदराई बदन से सारे कपरे उतार दीये और चुदवाने के लिये एक दम न्यूड हो गई. मैं आज पहली बार मेरी अम्मी को नंगी देख रहा था दोस्तों मेरी अम्मी न्यूड बहुत प्यारी लग रही थी.

क्या गजब का बदन था मेरी अम्मी का ! एकदम गोरी छाती पर गोलगोल और मोटी मोटी चूचियाँ, उनके बोबों की लाल कलर की निप्पल तो मैंने पहले भी कई बार देखी है. किन्तु उससे नीचे का भाग पहली बार देख रहा था. कोठरी काफी छोटी होने की वजह से और उसमें 200 वाट का बल्ब जलने के कारण अन्दर काफी रोशनी ओर गर्मी थी.
ताऊ जी ने मेरी अम्मी को पकड़ कर तख्त पर बैठा लिया और मेरी अम्मी की दूध से भरी मोटी मोटी चूचियाँ को बहुत जोर जोर से मसलने लगे और मेरी अम्मी आह… उमह… उमह करने लगी और आंहे भरने लगी. फिर एक दम से मेरे ताऊजी ने बहुत ही और से माँ के ब्रेस्ट दबाए जिस वजह से एकदम ही मेरी अम्मी के मुँह से सिसकियाँ निकल गई- सीइइ अई इइइ क्या कर रहे हो जेठ जी, जरा धीरे भींचो ना ! कितना दर्द कर रहे हो. ताऊजी- अरे बहु, मेरी जान, आज कितने दिनों बाद अवसर मिला है तुम्हे पेलने का. मेरी अम्मी- हाँ जेठ जी, मैं भी तो तुम्हारे लण्ड की दिवानी कई सालों से हूँ. मैंने मेरी अम्मी को पहली बार न्यूड देखा था, मेरी अम्मी की पतली कमर के नीचे दोनों जांघों के बीच में हल्के-हल्के काले बाल दिखाई दे रहे थे. जहाँ ताऊजी का कोमल हाथ बार बार फिसल रहा था.
मेरी अम्मी तो मस्त होती जा रही थी. फिर ताऊजी उठे ओर अपने कपड़े उतारने लगे. जैसे ही ताऊजी ने अपनी धोती खोली तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई, ताऊजी का क्या गजब का लण्ड था. करीब 11 इंच लम्बा और करीब 4 इंच मोटा उसकारंग बिलकुल काला था. उस तगड़े पेनिस को ताऊजी ने मेरी अम्मी के हाथ में पकड़ा दिया, बोले- बहु, लो तुम्हारा दीवाना. मेरी अम्मी उसे हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी और मेरे ताऊजी की मुठ मारने लगी.

कुछ देर बाद ताऊजी ने मेरी न्यूड माँ को तख्त पर लिटा दिया और बोले- बहु अब और सहन नहीं हो रहा है, चलो चुदवाने के लिये तैयार हो जाओ. मेरी अम्मी भी अब चुदास से भर चुकी थी थी वो बोली- हाँ जेठ जी, मैं भी तो कब से तडप रही हूँ इसे लेने को आप के भाई तो शहर जाकर मुझे भूल ही गए है आप आप ही उनकी कमी पूरी करोगे.
मेरे ताऊजी नें मेरी अम्मी को तख्त पर लिटा दीया और उनकी दोनों टांगों को चौड़ा किया तो मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि उनके बीच काले बालों के बीच में एक लाल कलर की दरार है जिसे फुद्दी अर्थात फुद्दी कहते है मैं अब उस खड्डे को स्पष्ट देख रहा था. तभी ताऊजी ने अपने लण्ड का सुपारा मेरी अम्मी की फुद्दी के मुँह पर रगड़ा तो मेरी अम्मी गनगना उठी. ताऊजी लगातार उसे रगड़ते रहे. कुछ समय बाद मेरी अम्मी की फुद्दी से चिपचिपा पानी दिखने लगा.
मेरी अम्मी चुदासी सी होते हुए कहने लगी – हाय जेठ जी, क्यों तडपा रहे हो, इसे जल्दी से अन्दर डाल दो ना. ताऊजी- ठीक है मेरी जान, अभी इसे तुम्हारे अन्दर करता हूँ. मुझे बिल्कुल विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरी अम्मी इतने विशाल पेनिस को अपनी छोटी सी दिखने वाली फुद्दी के अन्दर ले जायेगी और अगर ताऊजी ने जबरदस्ती भीतर डाल भी दिया तो क्या मेरी अम्मी इसे सम्भाल पायेगी.
तभी ताऊजी ने मेरी अम्मी की टाँगों को थोड़ा ऊपर करके लण्ड का सुपारा मेरी अम्मी की फुद्दी के मुँह पर रखा तो मेरी अम्मी ने अपने दोनो हाथों से फुद्दी के कोमल होंठ फ़ैला दिये, अब ताऊजी ने नीचे खड़े होकर मेरी अम्मी के फुद्दीड़ों को तख्त के किनारे पर रखा और अपनी कमर का दबाव बढ़ाया तो लण्ड आधा अन्दर सरक गया और मेरी अम्मी के मुँह से एक मस्ती भरी सिसकियाँ निकली- सी ईइइ इइइ… उउउइइइ !

तभी ताऊजी ने दूसरे झटके में तो पूरा का पूरा लंड ही भीतर घुसेड़ दिया. अब लण्ड जड़ तक मेरी अम्मी की फुद्दी की गहराई में समा चुका था. मेरी अम्मी के मुँह से फिर से सिसकारियाँ निकलने लगी- आहह हहह… सीइइइ उइई ! ताऊजी ने अब दोनों हाथों से मेरी अम्मी की कमर पकड़ी और लगे पेनिस को अन्दर बाहर करने ! पहले ताऊजी पेनिस को धीरे से बाहर खींचते फिर एक ही झटके में पूरा अन्दर कर देते.
फिर ताऊजी ने अपनी पेलने की स्पीड बढ़ाई और लगे ठाप पर ठाप मारने. मेरी अम्मी फुद्दीड़ उचका-उचका कर हर ठाप का स्वागत कर रही थी. मेरी अम्मी रह रह कर हाय यय उईइ इइ सीइ मर गई रे ! जेठ जजजी आनंद आ रहा है पेलो और जोर से पेलो मेरे राजा हाय ययय ! ताऊजी भी मेरी अम्मी की खतरनाक चुदाई में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे. ताऊजी का काला मोटा लण्ड मेरी न्यूड माँ की लाल फुद्दी की फांकों तक आता, आकर एक ही झटके में भीतर चला जाता.
एकदम मेरी अम्मी के मुँह से खतरनाक सिसकारियाँ निकलने लगी, मेरी अम्मी ने अपने दोनों पैर ताऊजी की कमर पर लपेट लिये और ताऊजी से लिपट कर सीइ इइ सीइइइ हायय उईइ की नशीली आवाजें करते हुए चुदवाने लगी. मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि माँ की खतरनाक चुदाई के दौरान उनकी फुद्दी से फचाफच की आवाज निकलने लगी. ताऊजी के काले काले और मोटे मोटे अण्डकोष के थैले मेरी अम्मी की गाण्ड पर टकरा रहे थे. फिर कुछ समय में ही मेरी अम्मी शांत हो गई, बोलने लगी- जेठ जी, थोड़ा आराम करने दो, मैं तो कई बार झड़ गई हूँ.
लेकिन ताऊजी कहा ँ माननें वाले थे, ताऊजी ने एक दफे मेरी अम्मी को छोड़ा और उसको तख्त पर ही सीधा करके खुद भी ऊपर ही आ गये. मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि ताऊजी का विशाल लंण्ड मेरी अम्मी की फुद्दी का पानी पीकर तो ओर भी ज्यादा भंयकर लग रहा था. दोनों इतनी सर्दी में भी पसीने से नहा रहे थे. फिर ताऊजी मेरी अम्मी के ऊपर सवार होकर पेलने लगे. अब फुद्दी एक छल्ले की तरह लण्ड पर कस रही थी. ताऊजी मेरी अम्मी की दोनों टाँगों को अपने हाथों में लेकर शोर्ट मारने लगे.

मेरी ब्यूटीफुल सी माँ मेरे ताऊजी के काले मोटे लंड से चुदते हुए आह… उमह…. आह…. आह… जैसी सिसकारियाँ लेने लगी. ताऊजी इसी तरह करीब आधा घंटे तक तक मेरी अम्मी को पेलते रहे और मेरी अम्मी भी किसी रांड छिनाल की तरह ताऊजी के लण्ड से चुदती रही. अब वो झड़ने वाले थे की तभी तभी ताऊजी ने पेलने की स्पीड तेज कर दी तो मेरी अम्मी चुदते हुए ताऊजी से कहने लगी जेठ जी स्पर्म फुद्दी के भीतर मत डालना प्लीज ! जेठ जी भीतर मत डालना !
ताऊ जी 10-12 खतरनाक झटके मारकर मेरी अम्मी से लिपट गये मेरी अम्मी ने तो पहले ही उन्हें अपनी बाँहों में जकड रखा था यह इस बात को दर्शा रहा था की मेरी अम्मी तो बहुत पहले ही झड चुकी थी वो तो बस मेरे ताऊजी की को संतुष्ट करने के लिये चुदवाये जा रही थी. चुदाई ख़त्म होते ही मेरे ताऊजी का माल मेरी अम्मी की फुद्दी के भीतर निकल गया फिर मेरी अम्मी कहने लगी “हाय जेठ जी आपने यह क्या कर दिया? मैंने मना किया था ना स्पर्म फुद्दी के अन्दर डालने के लिये.” सेक्स ख़त्म करने के बाद दोनों बुरी तरह हांफ रहे थे जिसमें मेरी अम्मी की तो हालात ही खराब हो रही थी.
करीब दस मिनट बाद ताऊजी मेरी अम्मी के ऊपर से उतरे तो मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि अब उनका घोड़े के लंड के जैसा विशाल लण्ड थोड़ा नरम हो गया था. ताऊजी ने जैसे ही मेरी न्यूड लेती हुई माँ की फुद्दी से लण्ड बाहर निकाला तो पूरा का पूरा लण्ड काम रस से लथपथ हो रहा था. मेरी अम्मी की फुद्दी मेरी तरफ होने से मैं स्पष्ट देख रहा था कि जो छेद कुछ समय पहले काफी छोटा दिख रहा था, वही अब काफी चौड़ा हो गया था.

मेरी अम्मी की गुलाबी फुद्दी में से सफेद कलर का वीर्य रिस रहा था जो काफी गाढ़ा था. ताऊजी बिना कपड़े पहने नंगे ही मेरी अम्मी के बगल में निढाल होकर लेट गये. मेरी अम्मी की फुद्दी पेलने के बाद ताऊजी सांड की तरह हाँफ रहे थे. मेरी अम्मी ताऊजी से चुदवाने के बाद कहने लगी की जेठ जी, तुमने ये क्या किया? अपना पानी मेरी फुद्दी के भीतर क्यों डाला? अगर मेरे बच्चा ठहर गया तो? ताऊजी- बहु, क्या करता मुझसे तो रुका ही नहीं गया. तुम्हारी फुद्दी ही इतनी मजेदार है.
मेरी अम्मी मेरे ताऊजी से थोडा घुस्सा करते हुए कहने लगी देखो जेठ जी तुम्ही ने तो मेरे मना करने के बाद भी सुरेश को पैदा कर दिया और अब दूसरा भी शायद तुम ही करोगे. तुम्हें पता है ना मेरा कल ही पीरीयड खत्म हुआ है. ताऊजी मुस्कुराते हुए मेरी अम्मी से बोले बहु, तुमने भी क्या गजब फुद्दी पाई है तुम्हारी फुद्दी की वजह से ही तो मैंने मेरे पूरे जीवन में आज की तारीख तक शादी नहीं करी. फिर वो बहुत ही प्यार और मोहब्बत से मेरी अम्मी को गली देते हुए बोले साली मेरी छिनाल रांड मन तो चाहता है कि अपना लण्ड तेरी इस लाल फुद्दी में फंसा कर पूरी जिन्दगी पडा रहूँ.
फिर मेरी अम्मी कहने लगी मेरे राजा, तुम्हारा लंड भी तो कोई मामूली लण्ड नहीं है. पता है ना जब तुमने पहली बार मुझे सरसों के खेत में चोदा था तो आप से चुदवाते चुदवाते मेरी क्या हालत हो गयी थी और आप थे की मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थी? ऐसे ही बातें करते-करते ताऊजी का लण्ड फिर से तन कर खम्बा बन गया और फिर ताऊजी मेरी अम्मी को उलटी लेटाकर उनके ऊपर सवार हो गये और मेरी माँ की गांड मारने लगे.

इसी तरह उस नाईट को ताऊजी ने अपने विशाल लण्ड से मेरी अम्मी की फुद्दी को 4 बार चोदा था और दो बार चूतड़ मरी थी. मैंने जब बचपन में माँ को ताऊजी के लण्ड से चुदते देखा था उस वक्त मुझे पहली बार सेक्स के बारे में पता चला था. उस दिन मेरी अम्मी की बहुत शानदार चुदाई हुई थी. ताऊजी के लण्ड से चुदते चुदते मेरी अम्मी की गांड और फुद्दी का कचूमर निकल गया था. फिर दोनों ने अपने कपड़े पहने और अपने अपने कम पर लग गए.
दोस्तों आज मुझे बहुत बड़ा राज भी पता चल गया था की जिसे में अपना बाप समझ रहा था वो तो असल में मेरा ताऊजी है और जिसे में ताऊजी समझ रहा था वो मेरा असल का बाप है. तो मेरे प्यारे भाई और बहनों दोस्तों मेरी कामुक माँ और 45 साल के ताऊजी के बिच अवैध सेक्स संबंध की मेरी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में “ बचपन में माँ को ताऊजी के लण्ड से चुदते देखा Hindi Chudai Ki Kahani ” यदि आप सभी को पसंद आई हो तो इस फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में को अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करना/