पार्क में मिली गरम आंटी जी की भोसड़ी चोदी गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में : दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आप सभी की सेक्स लाइफ सुखद चल रही होगी. आज मैं आज आपके साथ अपनी गरम आंटी जी की गांड की खतरनाक चुदाई और फुद्दी चुदाई की कहानी शेयर करने जा रहा हूँ मेरी यह गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में मेरे जीवन की बिलकुल सच्ची घटना है जब मैंने पार्क में मिली गरम आंटी को पटा कर चोदा था. मेरी और पार्क में मिली गदराई आंटी जी की खतरनाक चुदाई की कहानी शुरू करने से पहले में आप सभी को मेरे बारे में बता देता हूँ. दोस्तों मेरा नाम शशांक शुभम है और मैं पंजाब में रहता हूं. मुझे गदराई ब्लू फिल्मे देखने का और हिंदी सेक्स कहा नियाँ पढ़ने का बहुत शौक है खास कर मुझे आंटी और मैरिड औरतों की फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में पढ़ना बहुत पसंद है .
दोस्तों में अधिकतर गदराई ब्लू फिल्मे देख कर और हिन्दी सेक्स कहनियों को पढ़कर मुठ मरता हूँ मेरे लण्ड की लम्बाई करीब 9 इंच है और मेरा फौलादी लण्ड 5 इंच मोटा है. मुझे आंटी और मैरिड औरतों के बदन को देखना बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है इस लिये मैं शाम को अधिकतर अपनी आँखे सकने पार्क जाया करता था क्यों की वहाँ पर सुहागन आंटियाँ और महिलाएं घुमने आया करती थी, इस बहाने से घूमना भी हो जाता, साथ में मस्त मस्त आंटियों और भाभियों के गदराई बदन को ताकना भी हो जाता था. अभी कुछ दिन पहले से ही पार्क में एक नई माल आंटी घूमने आने लगी थीं. आंटी देखने में बहुत गदराई थी. आंटी एक दम गोल मोल सी बहुत ब्यूटीफुल माल थीं.
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उन हॉट आंटी जी की उम्र करीब-40 साल के आस-पास थी मगर थी मस्त पेलने लायक सामान. कसम से उनके बड़े बड़े तरबूज जैसे बोबे देख कर बार बार उनके बोबे दबाने और चूसने का मन करता था. पार्क में जिस वक्त आंटी एक्सरसाइज़ करती थीं, तो उनकी छाति पर लटके दो तरबूज जैसे बोबे ऐसे हिलते थे जैसे कोई स्प्रिंग उनके बोबों में फिट हो. यारों, मैं मानता हूँ कि पतली कमर … पतली फिगर का अलग आनंद है मगर मोटे और भरे हुए फिगर का आनंद कुछ ज्यादा ही अलग होता है. कुछ दिन तक तो मैं उस हॉट और गरम आंटी के बदन को देखता रहा जिस कारन मेरे भीतर उनके लिये फीलिंग जागने लगी और मेरा फौलादी लण्ड उन गरम आंटी जी की भोसड़ी की खतरनाक चुदाई करने को तड़पने लगा और फिर मैंने आंटी के घर तक उनका पीछा करना शुरू कर दिया.
कुछ दिन ऐसे ही सब कुछ बिलकुल ठीक चलता रहा किन्तु फिर आहिस्ता आहिस्ता उन आंटी को मुझ पर शक हो गया, अब वो मुझे घूर कर देखने लगी थीं. मुझे लगा कि शायद बात ना बने. इस कारण से मैंने उन गरम आंटी का पीछा करना बंद कर दिया और पार्क में ही आंखें सेंकना चालू कर दिया मैंने चोरी छिप्पे उन आंटी के बहुत सारे विडियो भी बना लीये थे जीने देख में अधिकतर घर के स्नानघर में उनके नाम की मुठ मर कर अपनी तड़प शांत कर लीया करता था. फिर एक दिन आंटी जी की स्कूटी लेकर आई थीं. उनकी स्कूटी पार्किंग में पार्क की हुई थी.
उन हॉट आंटी जी की स्कूटी के पीछे कोई और अपना स्कूटर लगा गया था. जब मैं पार्क से बाहर आया, तो मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि वो अपनी सहेली की सहायता से स्कूटर हटाने में लगी हुई थीं. मैंने सोचा अवसर है, पर जैसे वो मुझे घूर कर देखती थीं, उससे मेरी उनसे कुछ बात करने की हिम्मत ही नहीं हुई. मुझे लगा कि मैंने उससे सहायता के लिए कहा भी, तो कहीं वो अभी मुझे ही पकड़ कर गाली ने दे दें. इस कारण से मैंने बिना कुछ कहे, साइड से अपना स्कूटर निकाला और स्टार्ट करने लगा. ये देख कर उसकी साथ वाली ने उससे कुछ कहा तो आंटी ने मुझे आवाज लगाई- एक्सक्यू मी. मैंने उस से कहा- हां जी? आंटी ने कहा – आप जरा यह स्कूटर साइड में कर देंगे. मैंने स्कूटर पीछे से उठा कर, उनकी स्कूटी निकालने का रास्ता बना दिया. वह थैंक्यू बोल कर चल दीं. मैंने मन में सोचा कि इसने तो कुछ घास ही नहीं डाली, मगर किया भी क्या जा सकता था. मैं मन मसोस कर रह गया.
फिर अगले दिन पार्क में घूमते वक्त आंटी के पांव में एकदम से मोच आ गई … और किस्मत देखो कि जहां मैं बैठा था, वहीं पास में वो मोटे ब्रेस्ट वाली आंटी के साथ ये दुखद घटना हो गई. उस वक्त वो एकदम से गिरने को हुईं, तो उनके साथ चल रही उनकी सहेली ने उन्हें एकदम से सहारा दिया और वो उन्हें उठा कर मेरी वाली बैंच पर लाने लगीं. मैंने उन्हें गिरते देखा, तो मैंने भी सहायता की और आंटी को वहां लाकर बैंच पर बैठा दिया. अब मैं उन्हें देख रहा था और वो मुझे देख रही थीं. शायद उनमें अब कुछ शर्म सी आ गई थी. मैंने उस से कहा- आप आराम से बैठ जाओ. वह बोलीं- नहीं, आप भी बैठ जाओ. इधर काफी जगह है. साथ ही आंटी ने मुझे थैंक्यू बोला.
मैंने अवसर देख कर बोल दिया- आपको चोट भी लगी है या केवल लचक आई है? उन्होंने कहा – नहीं चोट नहीं है, बस पांव मुड़ गया है. कुछ टाइम खामोशी रही. फिर वो मुझसे कहने लगीं- क्या आप यहीं कहीं नजदीक में रहते हो? मैंने उस से कहा- हां. उनकी बात सुकर मैं हैरान भी हो गया था कि वो मुझसे बात कर रही हैं. इस बीच उनके साथ वाली कहीं चली गई थी, शायद वो अपनी वाक करने निकल गई थी. हम बहन के लंड दोनों ही अकेले थे. उन्होंने एकदम से बात बदलते हुए कहा – आप मुझे घूरते क्यों रहते हो? मैंने उस से कहा- नहीं नहीं … ऐसा कुछ नहीं है. वो बोलीं- मैंने तुम्हें कई बार नोटिस किया है. अब मुझे समझ में ही नहीं आया कि आंटी से क्या कहूं. मैंने सॉरी बोल दिया- अगर आपको ऐसा कुछ लगा है, तो मैं आपसे क्षमा मांगता हूँ.
आंटी मेरी बात सुनकर बोलीं- मैं मैरिड हूं. मैंने फिर से सॉरी कहा … और चुप हो गया. कोई आधा घंटे बाद वो अपनी उस सहेली के आते ही उसके साथ चली गईं. यारों, उस नाईट को सारी नाईट मैं उनकी याद करता रहा और उनकी फिगर को याद करता रहा. आंटी उस वक्त जब गिरी थीं तब मेरे इतने पास थीं कि उनके बड़े बड़े दूध मुझे बड़ा ही आकर्षित कर रहे थे, काश मैं अपने हाथ में एक को पकड़ पाता. उस नाईट मैं बस उन्हें सोचता रहा और मेरा बुरा हाल हो गया. मैं दो बार मुठ भी मारी और सो गया.
दो दिनों तक आंटी का आना नहीं हुआ, फिर वापस पार्क में आना शुरू हो गया. अब मेरा उनकी नशीली आंखों में आंखों को डालकर देखा, तो इस बार न जाने क्यों आंटी ने भी मेरी आंखों को बड़ी गौर से देखा. मैंने भी देखना जारी रखा. हम बहन के लंड दोनों में एक दूसरे को देखना शुरू हो गया. कुछ देर बाद मैं आंटी से आंख मिलने पर अपनी आंख नीचे कर लेता कि कहीं पार्क में कोई ड्रामा ना हो जाए. उस दिन कुछ नहीं हुआ मगर इतना हो गया था कि आंटी ने मुझे देखना पसंद कर लिया था. फिर एक दिन पार्क में कोई बैंच खाली नहीं थी, तो मैं हिम्मत करके उसी बैंच पर बैठ गया, जिस पर वो बैठी थीं. मैंने बैठते हुए आंटी को हल्की सी स्माइल दे दी. वो भी मुस्करा दीं. मैंने ‘हैलो ..’ बोल दिया. तो उन्होंने भी हैलो बोल दिया. आज वह अकेली थीं.
मैंने आंटी से पूछा- आप आज वॉक नहीं कर रही हैं! वो बोलीं- आज कोई साथ में नहीं है, तो बस मन नहीं हुआ और बैठ गई. फिर मेरी उनसे कुछ बातें हुईं, तो पता चला कि कुछ दिन बाद उनका कोई एग्जाम है, फिर वो वापस चली जाएंगी. जैसे ही मुझे उनके वापस जाने की बात पता हुई; तो मेरे मुँह से एकदम से निकल गया- आप चली जाओगी, तो फिर मेरा भी पार्क आना बंद हो जाएगा. वह बोलीं- क्यों? मैं बोला- कुछ नहीं … वैसे ही. वो समझ तो गई थीं. मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं. फिर उन्होंने मुझसे किसी मार्केट का पता पूछा कि कुछ किताबें लेनी हैं, क्या इस बाजार में मिल सकती हैं? मैंने बताते हुए कहा – हां उधर आपको किताबें मिल सकती हैं. अगर आपको मेरी कोई हेल्प चाहिए हो, तो फोन कर लेना. उन्होंने मना कर दिया, मगर मैंने जबरदस्ती अपना नंबर दे दिया और वहां से निकल गया.
उसी नाईट करीब बारह बजे मुझे मैसेज आया. मैं मैसेज देख कर हैरान था कि ये कौन होगा. मैंने उनके व्हाट्सैप की डीपी को देखा, तो पता चला की ये तो पार्क वाली गरम आंटी ही थीं. फिर उनसे कुछ देर मैसेज पर बात हुई. उन्होंने एक दफे फिर से पूछा- तुम मुझे देखते क्यों रहते थे? मैंने बात टाल दी. पर वे ज़िद करने लगीं कि बताओ. मैंने उस से कहा- आप बुरा तो नहीं मानोगी? आंटी ने एक स्माइली के साथ लिखा- तुम बोलो तो सही. मैंने सोचा आंटी पेलने को मिले या ना मिले … मगर आज इन्हें बोल ही देता हूं. देखूंगा कि क्या होता है. मैंने लिखा- आपकी लुक्स बहुत अच्छी है … कोई भी आपको देख कर पागल हो जाएगा.
गरम आंटी आंखें नचाने वाली इमोजी के साथ बोलीं- ऐसा मुझमें क्या ख़ास है? मैंने उस से कहा- मेरी आप जैसे फिगर वाली गर्लफ्रेंड हो … तो मेरी तो किस्मत ही खुल जाए. वो हंस पड़ीं. फिर धीरे से मैंने बोल दिया कि मुझे आपके बड़े बड़े गोल गोल वो बहुत पसंद हैं. आंटी बोलीं- हम्म … तो तुम मेरे ब्रेस्ट पर नजर रखते हो. मैं समझ गया कि आंटी खुद ही चुदवाने को मचल रही हैं. मैंने उस से कहा- हां बहुत ज्यादा. वो बोलीं- कितना ज्यादा? मैंने उस से कहा- आंटी जी मेरा दिल आप के मोटे मोटे बोबे से दूध चूसने का दिल करता है. वो फिर से हंस दीं और बोलीं- चैट से कैसे पी सकते होए मेरे मोबों से दूध? मैंने उस से कहा- वीडियो चैट से कुछ तो हो ही सकता है.
आंटी बोलीं- अरे सीधे मिल कर बात करते हैं न! मैंने मुस्कुरा कर कहा – ये तो वही मिसाल हुई कि अंधा क्या चाहे … दो आंखें. वो हंस दीं और बोलीं- दो आंखें या दो बड़े बड़े गोल गोल बोबे और भोसड़ी ! मैंने उतावला होते हुए बोला- हां हां वो ही. आंटी बोलीं- तो चलो मिलते हैं और सेक्स करते हैं. इसके बाद हम बहन के लंड दोनों का मिलने का प्रोग्राम बन गया. नेक्स्ट डे किताबें लेकर आंटी आईं और बोलीं- हम बहन के लंड दोनों एग्जाम के बाद मिलते हैं. फिर एग्जाम वाले दिन के एग्जाम देकर वो बाहर निकलीं. उस दिन उन्होंने मुझे बाहर मिलने का कहा था. वो एग्जाम देकर मुझसे मिलीं. हम बहन के लंड दोनों उनकी सहेली के घर चले गए. मैं आंटी के साथ उस घर के अन्दर चला गया. उधर एक शयनकक्ष हम बहन के लंड दोनों के लिए खाली था. मैंने उन्हें पानी की बोतल देते हुए पानी ऑफर किया.
आंटी हंस कर बोलीं- इसमें कुछ मिलाया तो नहीं है? मैंने उस से कहा- मुझे आपके साथ अगर कुछ करना होगा, तो वो मैं आपकी परमिशन से करूंगा. पानी पीने के बाद आंटी पलंग पर अपनी डबलरोटी जैसी गद्देदार गांड टेक कर बैठ गईं, मैं भी साथ बैठ गया और उनकी नशीली आंखों में देखने लगा. वो मुझसे चिपक कर बैठी थीं. मैंने उनके सिर के साथ अपना सिर लगा दिया और उनके कान को हल्के हल्के से किस करने लगा. वो ‘उंह ..’ बोल कर मुझसे जुड़ने लगीं. तो मैंने उनके कान की लौ को अपने कोमल होंठों में भर की और चूसने लगा. इससे वो एकदम से गर्मा उठीं और अलग होकर मना करते हुए बोलीं- इससे बड़ी सनसनी हो रही है.

मैंने 40 साल की गरम आंटी जी की गदराई टांगों के ऊपर हाथ फेरना शुरू कर दिया और आहिस्ता आहिस्ता उनकी जांघों को दबाते हुए मसाज जैसा करना शुरू कर दिया. वो मस्त होने लगीं. अबकी बार मैंने उनके गले पर किस कर दी और उन्हें केवल किस के लिए मना लिया. वो राजी हो गईं … या ये उनकी नारी सुलभ लज्जा थी जो एकदम से पूरी खुलना नहीं चाह रही थीं. इस कारण से मैंने भी चुम्मी की परमीशन ली और लग गया. मैं उनके गले से गाल तक चुम्बन करने लगा. सच में बड़े ही प्यारे प्यारे गाल थे आंटी के. मैं कभी उनके एक गाल पर कोमल होंठ रख कर चूमता तो कभी दूसरे गाल पर किस करने लगता. वो भी आंखें बंद करके मेरे साथ आनंद ले रही थीं.
मगर आंटी के मुँह से यही निकल रहा था कि अब बस अब बस … मगर खुद ही अपने गालों को मेरे सामने करती जा रही थीं. मैंने ये देखा तो आंटी का निचला कोमल होंठ अपने कोमल होंठों में भर लिया. उन्होंने मुझे धक्का मारा … मगर मैंने पीछे न हटते हुए उनके कोमल होंठों को अपने कोमल होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर की कशमकश के बाद वो आराम से बैठ गईं और मैं किसी प्यासे भंवरे की तरह उनके लाल गुलाबी कोमल होंठों का रसपान करने लगा. वो मुझमें खो सी गई थीं. हम बहन के लंड दोनों एक दूसरे के कोमल होंठों में कोमल होंठ घुसेड़ कर स्मूच करने लगे. हमारी गर्मी बढ़ने लगी तो मैंने गरम आंटी के रसीले आम जैसे स्तनोंं के ऊपर हाथ फिराना शुरू कर दिया और एक दूध दबाने लगा. वो मेरे हाथों पर अपने हाथ रख कर अपने दूध को और जोर से दबाने का इशारा करने लगीं.
मैं समझ गया कि अब आंटी जी की भोसड़ी में अपना तगड़ा लौड़ा पेलने का वक्त आ गया. मैंने आंटी के लाल कोमल होंठों से एक पल की मुक्ति पाकर उन्हें देखा तो वो नशीली आंखों से मेरी तरफ देखने लगीं. अगले ही पल आंटी ने अपने कोमल होंठों से मेरे गाल चूम लिए और बोलीं- अब ऐसे मत देखो मुझे आज मेरी प्यास भुजा दो और आपनी हवस भी शांत कर डालो. मैंने भी बिना कुछ बोले उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए. आंटी ने खुद ही अपने सारे कपड़े खोल दिए और मुझे बोलीं- तुम भी उतार दो. हम बहन के लंड दोनों कुत्ते कमीनो ने अगले एक मिनट में सारे कपड़े उतार दिए थे. 40 साल की गरम आंटी मेरे सामने केवल पैडेड ब्रा पैंटी में थीं.

मैंने पैडेड ब्रा के ऊपर से ही आंटी के मोटे मोटे बोबे दबाना शुरू कर दीये. कभी मैं उनकी चूचियों को पैडेड ब्रा के ऊपर से दबा देता, कभी दांत से काट लेता तो आंटी नशीली सीत्कार भरके अपनी उत्तेजना जाहिर कर देतीं. मैंने गरम आंटी को अपनी बांहों में भर लिया और उनके पैडेड ब्रा का हुक खोलने के बाद उन्हें देखा. वाऊ क्या मस्त मोटे मोटे बोबे थे … मैंने एक बोबे को मुँह में ले लिया और उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया. आंटी सिसक उठीं और मेरे मुँह में निप्पल और भीतर तक ठुसने लगीं. मैं कभी आंटी का एक बोबा चूसता तो कभी दूसरा बोबा चूसने लगता में बारी बारी आंटी के दोनों बोबे चूस रहा था.
मेरी इस हरकत से आंटी को बेहद चुदास चढ़ गई थी और वो चुदासी आंटी मेरे तगड़े लौड़े को हाथ से सहलाने लगी थीं. ये देखकर मैं 40 साल की गरम आंटी को लिटाते हुए उनके पेट पर आ गया और उनकी टुंडी को चूमना शुरू कर दिया. गरम आंटी जी की टुंडी को किस करने के बाद मैंने अपनी जबान को आंटी जी की टुंडी के छेद में डाल दी और उसको कुरेदने लगा. 40 साल की गरम आंटी एकदम से सिहर उठीं और उनकी फुद्दी के उप्पर वाला भाग मचलने लगा उनकी सांसे भी तेज तेज चलने लगी थी.
चुदासी आंटी मेरे सर पर हाथ रख कर मुझे दबाते हुए मना कर रही थीं- आह मत करो … गुदगुदी होती है. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये औरतें मर्द से आनंद लेते वक्त उनका सर दाबते हुए न करने की क्यों कहती हैं. मगर यही होता है. इसे ही महिला की चुदास कहते हैं. मैं कभी पेट के एक साइड चूमता, कभी दूसरी साइड चूमने लगता. इसके बाद मैंने गरम आंटी को पलट दिया और उनकी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया. उन्हें यूँ ही ऊपर कंधों पर और बीचों बीच में किस करते करते आनंद लेने और देने लगा. मैं आहिस्ता आहिस्ता नीचे कमर पर आया, कमर से उनके फुद्दीड़ों पर आ गया. आह क्या मुलायम फुद्दीड़ थे, मुझे पता नहीं क्या हुआ … मैंने गरम आंटी के फुद्दीड़ों को हाथों से दबाना शुरू कर दिया और कस कस के दबाता रहा.

चुदास से भरी आंटी मस्ती में नशीली सिसकारियां लेती जा रही थीं. इसके बाद मैंने उनके गदराई मुलायम फुद्दीड़ों को चूसना शुरू कर दिया. फुद्दीड़ों से नीचे आकर मैं उनकी जांघ को किस करने लगा और किस करते करते उनकी पूरी टांगों को चूम डाला. चुदास से भरी गदराई आंटी की बहुत ही नशीली सिसकती आवाज़ मुझे और मदहोश कर रही थी और शायद अब तक उनकी भोसड़ी में जबरदस्त आग लग चुकी थी. आंटी से रहा नहीं गया और वो उठ कर बैठ गईं.
सेक्सी चुदासी आंटी ने अपनी भोसड़ी और चूतड़ पर से अपनी चड्डी उतारी और अपने दोनों हाथों ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरी गोद में बैठने का प्रयास करने लगीं. मैंने उन्हें अपनी गोद में खींच लिया. हम बहन के लंड दोनों स्मूच करने लगे. हमारे बदन पसीना पसीना होने लगे थे. मैं नंगा था और आंटी के हॉट बदन की गर्मी महसूस कर पा रहा था. मेरा खड़ा लण्ड गरम आंटी ने पकड़ लिया और उसे जोर जोर से फेट कर मेरा मुठ मारने लगी.

जब मेरे लौड़े ने अपना पूरा आकर ले लिया तो फिर मैं अपना लण्ड आंटी जी की प्यासी भोसड़ी में घुसाने लगा. मेरा फौलादी लण्ड एक ही बार में फिसलते हुए आंटी जी की ज्वालामुखी जैसी गर्म भोसड़ी में घुस गया. आंटी ने कमर को लण्ड पर दाबते हुए मेरा पूरा लण्ड लील लिया और कस कर मुझे पकड़ कर आह करने लगीं. पूरा 9 इंच लम्बा और 5 इंच मोटा लण्ड चुदासी आंटी जी की प्यासी भोसड़ी में चला गया था. अब मैंने उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया. आंटी ने अपनी भोसड़ी में लण्ड लिए हुए ही अपनी टांगें हवा में उठा दीं और मैंने लौड़ा भोसड़ी में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं मेरे तगड़े लौड़े को धीरे से अन्दर पेलता … फिर धीरे से बाहर खींचता. कोई पांच मिनट तक ऐसे करने के बाद मैंने आंटी जी की भोसड़ी को पेलने की स्पीड बढ़ा दी और आंटी ने भी अपनी टांगें फिर से चौड़ी कर दीं.
अब मैं रुक रुक कर आंटी जी की भोसड़ी में अपने तगड़े लौड़े से शोर्ट मारने लगा, पर इस वक्त उन्होंने मेरी टांगों को अपनी टांगों में कस कर जकड़ लिया था और आंटी अपनी डबलरोटी जैसी गद्देदार गांड उठाते हुए ऊपर को शोर्ट मारने लगी थीं. कुछ देर की इस मस्त चुदाई के बाद हम बहन के लंड दोनों कुत्ते कमीनो ने पानी छोड़ दिया. सच में काफी देर तक आंटी मेरी टांगों को कस कर लेटी रहीं. फिर उन्होंने ढील दी और हम बहन के लंड दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. अब अलग होने की बेला आ गई थी. मैं उनके ऊपर से उठा, तो आंटी ने भी एक कपड़े से अपनी भोसड़ी को साफ़ किया. मैंने उसी कपड़े से मेरे तगड़े लौड़े को पौंछा. फिर उन्होंने अपने कपड़े पहन कर गुडबाय किस की और बाहर चली गईं.
आंटी के चुदकर कमरे से बाहर जाते ही मैं भी अपने कपड़े पहन कर बाहर निकल आया. बाहर उन गरम आंटी जी की सहेली भी बैठी थी. आंटी जी की सहेली भी मस्त माल थी आब मेरा अगला टारगेट गरम आंटी जी की सहेली की भोसड़ी थी. पार्क में मिली गरम आंटी जी की सहेली की भोसड़ी मैंने कैसे चोदी वो इस गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में के आगले भाग में बताता हूँ दोस्तों आप सभी को मेरी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में “Indian XXX Stories – पार्क में मिली गरम आंटी जी की भोसड़ी चोदी गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में” कैसी लगी निचे लाइक डिसलाइक बटन पर क्लिक करके ज़रूर बताना.