पति की मृत्यु के बाद अपनी बुर पराये मर्द से चुदवाने लगी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में : हेल्लो दोस्तों मेरी गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है आज में आप सभी को मेरी मेरे दफ्तर में साथ काम करने वाले एक पराये मर्द से चुदवाने की गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में बताने जा रही हूँ. दोस्तों में एक 20 वर्ष की बेवा लड़की हूँ मेरी शादी को अभी केवल 1 वर्ष ही हुए थे की मेरे स्मार्ट पति रमेश एक दुर्घटना में चल बसे थे. जब मेरे स्मार्ट पति रमेश की मृत्यु हो गई तो मैं बहुत ही अकेली हो गई थी मेरी बुर की प्यास बढती ही जा रही थी पर मेरे पास हेंडजॉब करने के आलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था. मेरे सास ससुर और ससुराल के सभी लोग मुझे कलमुही समझते थे उनका मानना था की में उनके लिये दुर्भाग्य लेकर आई थी और मेरी वजह से ही उनके बेटे की मौत हुई थी. मुझे इस बात का बहुत ही दुख था कि मेरे ससुराल वाले मुझे कलमुही समझते थे.
शायद उप्पर वाले ने मेरी किस्मत में यही लिखा था और मैंने भी अपने भाग्य में लिखे हुए को स्वीकार कर लिया. मेरे मर्द की मृत्यु के बाद मनो जैसे मेरी जिंदगी थम सी गई थी मेरे पास कोई ऐसा था जिससे मैं ओपने दिल की बात कर पाती और जिससे में मेरे दुःख दर्द बाटती. मैं बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी थी. मेरा स्वास्थ्य भी ठीक नहीं था मेरे पास किसी भी बात का उत्तर नहीं था. कुछ दिनों के लिए मैं अपने अम्मी पापा के पास चली गई थी किन्तु अम्मी पापा के पास जाने से भी मुझे मेरी बातों का उत्तर नहीं मिला और मैं भीतर ही भीतर इस बात से परेशान थी कि कहीं मेरी वजह से ही तो रमेश की मृत्यु नहीं हुई है. मैंने अपने पति रमेश की मृत्यु का जिम्मेदार अपने आप को ही ठहराना शुरू कर दिया था.
पति की मृत्यु के बाद अपनी बुर पराये मर्द से चुदवाने लगी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में

जिस विद्यालय में मेरे स्मार्ट पति जॉब करते थी उसी विद्यालय से मुझे मेरे मर्द की जगह नौकरी का लेटर आ गया और उसके बाद मैंने मेरे मर्द की जगह विद्यालय में नौकरी करनी शुरू कर दी. मेरे आस-पास अब नए लोग मुझे नजर आने लगे थे और माहौल थोड़ा सा बदलने लगा था माहौल के बदलने से मैं थोड़ा बहुत प्रसन होने लगी थी. मुझे लग रहा था कि अब मैं शायद अपनी जिंदगी को पहले की तरह ही जी पाऊं किन्तु मैं इस बात से बहुत ही ज्यादा परेशान थी कि मेरा जीवन कितना अकेला है. मैं जब अपने ससुराल लौटती तो अपने सास-ससुर का चेहरा देख कर मुझे थोड़ा सा भी अच्छा नहीं लगता था क्योंकि वह लोग अब तक मुझे रमेश की मृत्यु का जिम्मेदार ठहरा रहे थे और मुझे भी इस बात का दुख था कि रमेश की मृत्यु हो चुकी है किन्तु कोई मुझे समझने को ही तैयार नहीं था.
मेरा जीवन जैसे थम सा गया था मेरी जिंदगी अब विद्यालय और घर के बीच तक ही सिमट कर रह गई थी मेरे पास और कोई भी दूसरा रास्ता नहीं था कि मैं किसी के साथ बात कर सकूँ या फिर किसी से मैं अपने दिल की बात कह पाऊं. मैं बहुत ही ज्यादा तन्हा और अकेली हो गई थी हमारे दफ्तर में ही संदीप जी काम करते हैं और उनके हंसमुख स्वभाव की वजह से वह सब लोगों को हंसा दिया करते हैं किन्तु मैं उनकी बातों में ज्यादा ध्यान नहीं दिया करती थी और अभी तक मैं अपने आप को पूरी तरीके से उन लोगों के साथ एडजस्ट भी नहीं कर पाई थी.
मैं केवल अपने आप तक ही सीमित रह कर रह गई थी और जब कभी भी कोई मुझसे बात करता तो मैं केवल उसके बातों का ही उत्तर दिया करती थी इस बात से मैं बहुत ज्यादा परेशान भी थी. एक दिन संदीप जी ने लंच टाइम में मुझसे पूछा कि सुलेखा मैडम आपकी आंखों में मुझे देख कर लगता है कि आप बहुत ज्यादा परेशान है तो मैंने उस दिन संदीप जी को अपने दिल की बात कह दी जैसे मैं उनके मुँह से यह बात सुनने के लिए बेताब थी की वह मेरे बारे में कुछ तो पूछे. मैंने उन्हें अपने बारे में सब कुछ बता दिया उन्हें यह बात तो पता थी कि मेरे मर्द की मृत्यु हो चुकी है किन्तु उन्हें मेरे भीतर की पीड़ा पता नहीं थी मैंने जब उन्हें अपनी तकलीफ़ को बताना प्रारम्भ करा तो उन्होंने मेरा बहुत साथ दिया.
एक पराये मर्द जिसका नाम संदीप है उसने मेरा इतना साथ दिया कि शायद उनकी जगह कोई और होता तो मुझे कभी समझ नहीं पाता संदीप जी मुझे हमेशा ही समझाते रहते और उनकी बातें जैसे मेरे दिमाग पर सीधा असर करती थी. मुझे संदीप जी से बात करके बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता था उन्होंने ही कहीं ना कहीं मुझे इस सदमे से बाहर करने में मेरी सहायता की. मैं अब इस सदमे से तो बाहर आ चुकी थी किन्तु शायद मेरे पास अभी तक कोई भी ऐसा नहीं था जो कि मुझे समझ पाता या फिर मेरी भावनाओं को वह समझ कर मुझे कुछ कह पाता किन्तु संदीप जी जो की एक पराये मर्द थे उनके मेरे जीवन में आने से मेरे जीवन में बहुत परिवर्तन होने लगा.
उन्होंने मुझे बताया कि कैसे मुझे अपने सास-ससुर का ध्यान रखना चाहिए मैं बिल्कुल उन्हीं की बातों का आचरण करने लगी और सब कुछ मेरे जीवन में जैसे ठीक होने लगा था. मेरे सास ससुर भी मुझे अब प्यार करने लगे थे मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वह लोग मुझे प्यार करेंगे सब कुछ इतनी जल्दी में हो रहा था कि मेरे लिए तो यह किसी सपने से कम नहीं था. संदीप जी का मैं दिल से शुक्रगुजार थी कि उनकी वजह से ही तो मैं अब पूरी तरीके से ठीक हो पाई हूं इस कारण से संदीप जी के साथ मैं ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने का प्रयास किया करती थी. (पति की मृत्यु के बाद अपनी बुर पराये मर्द से चुदवाने लगी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में)
जब कभी भी वह पराये मर्द दफ्तर में होता तो हमेशा ही वह आनंदकिया अंदाज में नजर आता था. उनके आनंदक करने का तरीका सब लोगों को अच्छा लगता था और सब लोग उनसे बहुत प्रसन रहते थे. मेरे जीवन में केवल संदीप की ही अहम भूमिका थी संदीप एक पराये मर्द था किन्तु उनके अलावा मैं किसी से भी ज्यादा बात नहीं करती थी क्योंकि मुझे लगता था कि शायद संदीप के अलावा मुझे कोई भी समझ नहीं पाता है. मैंने संदीप को अपना सब कुछ बना लिया था वह मेरी हर एक जरूरतों को समझते भी थे.
एक दिन मैंने उस पराये मर्द को अपने घर पर बुलाया उस दिन संदीप मेरी तरफ ही देख रहे थे मेरे सास-ससुर उस दिन कहीं बाहर गए हुए थे मै ही घर पर नहीं थी. मैं संदीप को उनसे पहले भी मिलवा चुकी थी जब संदीप मेरी तरफ देख रहे थे तो मैंने उनसे पूछा आप मुझे ऐसे क्या देख रहे हैं तो वह कहने लगे कि आपकी सुंदरता को मैं निहार रहा था. उन्होंने मेरी सुंदरता की बहुत ज्यादा तारीफ कर दी थी जिससे कि मैं अपने आपको थोड़ा सा भी रोक ना पाई जब संदीप ने अपने हाथ को मेरी जांघ पर रखा तो मैं चुदवाने के लिये मचलने लगी थी.
काफी वक्त बाद मैंने किसी के बारे में अपने मन में ऐसे ख्याल पैदा किए थे. चुदवाने के जो ख्याल मेरे मन में पैदा हो चुके थे वही संदीप के मन में भी चल रहे थे. संदीप ने मेरे मोटे मोटे बोबों को दबाना प्रारम्भ करा तो मैं उठकर संदीप की गोद में चली गई. संदीप का लण्ड खड़ा होने लगा था संदीप का लण्ड मेरी बुरडो से टकराने लगा था मेरे समझ में आ गई थी संदीप थोड़ा सा भी नहीं रह पाएंगे और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रही थी. मैंने संदीप के काले मोटे लंड को बाहर निकाला उसे जब मैं अपने हाथों से हिलाने लगी तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था संदीप और मैंने कभी भी एक दूसरे के बारे में ऐसा सोचा नहीं था किन्तु उस वक्त ऐसी स्थिति पैदा हो चुकी थी कि हम बहन के लंड दोनों ही कुछ सोच नहीं पा रहे थे.

ना ही मैं कुछ सोच पाई और ना ही संदीप कुछ सोच पा रहे थे. मैंने उनके काले मोटे लंड को हिलाना प्रारम्भ करा और काफी देर तक मैं संदीप के काले मोटे लंड को अपने हाथों से हिलाती रही. संदीप का लण्ड पूरी तरीके से तन कर खड़ा हो रहा था वह मुझे कहने लगे कि मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा महसूस हो रहा है. संदीप के मोटे और काले पेनिस को मैंने अपने मुँह के भीतर समा लिया संदीप का लण्ड मेरी मुँह के भीतर घुस चुका था अब मैं उसे बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी. मैं अपनी जबान से संदीप के काले मोटे लंड को चाटती तो वह बहुत ज्यादा प्रसन हो जाते. संदीप ने मुझे उठाते हुए बिस्तर पर लिटा दिया संदीप ने मेरे सूट को उतारकर मेरी ब्रा को उतार दिया. पैडेड ब्रा खुलते ही मेरे बोबे खुली हवा में मस्ती से झुमने लगे.
उसके बाद उन्होंने कुछ देर मेरे मोटे मोटे बोबों का रसपान किया जब वह अपने लम्बे मोटे लंड को मेरे दोनों मोटे मोटे बोबों के बीच में रगड़ने लगे तो मुझे अच्छा लग रहा था मेरी प्यासी फुद्दी से काम रस बाहर की तरफ को निकलने लगा था मैं अपने आपको थोड़ा सा भी काबू नहीं कर पा रही थी मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी. संदीप ने मेरी उत्तेजना को उस वक्त और भी बढ़ा दिया जब वह मेरी प्यासी बुर को चाटने लगे वह मेरी प्यासी बुर को बड़े ही अच्छे तरीके से चाट रहे थे और मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था. संदीप ने मेरी गुलाबी चूत के भीतर अपने लम्बे मोटे लंड को घुसाया तो संदीप का लण्ड मेरी गुलाबी चूत के भीतर आसानी से जा चुका था क्योंकि मेरी बुर पूरी तरीके से गिली हो चुकी थी और गीली हो चुकी फुद्दी के भीतर लण्ड आसानी से चला गया था.

मुझ बेवा लड़की को एक पराये मर्द से अपनी बुर मरवाने में बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था मैंने अपने दोनों टांगों को चौड़ा किया तो संदीप मुझे और भी तेज गति से शोर्ट मारने लगे संदीप के शोर्ट में भी तेजी आने लगी थी और वह मुझे कहने लगे कि मुझे आपकी गरमा गरम फुद्दी को महसूस करने में आनंद आ रहा है. उन्होने बहुत देर तक मेरी बुर मारी मेरी बुर का उन्होंने भोसड़ा बनाकर रख दिया था किन्तु मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था मैं अपने मुँह से लगातार सिसकियां ले रही थी और वह भी बहुत प्रसन नजर आ रहे थे. उस पराये मर्द ने अपने लम्बे मोटे लंड पर तेल की मालिश करते हुए मेरी टट्टी से भरी चूतड़ के भीतर अपने लम्बे मोटे लंड को आहिस्ता आहिस्ता घुसाना प्रारम्भ करा पहले तो मेरी टट्टी से भरी गांड के अंदर उनका लण्ड आसानी से नहीं जा रहा था.
जैसे ही उस पराये मर्द का काला मोटा लण्ड मेरी टट्टी से भरी चूतड़ के भीतर गया तो मुझे बहुत तेज दर्द होने लगा और दर्द के मारे मै चिल्लाने लगी वह बड़ी अच्छी तरीके से मेरी टट्टी से भरी चूतड़ मार रहे थे. करीब एक घंटे तक मेरी टट्टी से भरी चूतड़ मारने के बाद उन्होंने मेरी टट्टी से भरी चूतड़ के अंद अपने गरमा गरम स्पर्म को भर दिया. दोस्तों अब में पति की मृत्यु के बाद पराये मर्द से अपनी बुर चुदवाने लगी थी और वो अब मेरे मर्द की कमी पूरी कर दिया करता था. शुरू प्रारंभ में उस पराये मर्द से अपनी बुर चुदवाने में मुझे थोड़ी झिजक हुआ करती थी किन्तु अब लगातर कई महीनो तक उनके साथ सेक्स करने के बाद अब मुझे उस पराये मर्द से चुदवाने में बहुत आनंद आता है और मेरे भीतर की सारी झिझक और शरम अब ख़त्म हो चुकी है. दोस्तों आप सभी को मेरी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में ” पति की मृत्यु के बाद अपनी बुर पराये मर्द से चुदवाने लगी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में “ कैसी लगी निचे लाइक बटन पर क्लिक करके ज़रूर बताना.