Brother And Sister XXX Stories दीपावली की नाईट सगी बहना को पेलने का अवसर मिल गया Hindi Chudai Ki Kahani : दोस्तों दीपावली (दीपावली) भारत देश में हम हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है और इस दिन ही मुझे मेरी अपनी सगी अनचुदी बहिन की अनचुदी फुद्दी पेलने का और उसकी फुद्दी की सील (सील) फाड़ने का अवसर मिला था. हम भाई बहिन की दीपावली की नाईट बनी सुहागरात की पूरी घटना आगे मेरी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में में विस्तार से बताता हूँ. सलाम यारों, मेरा नाम गिरधारी पारीख है. मेरी उम्र 19 है. मेरी लुल्ली का साइज 7 इंच है और वो दिखने में थोड़ा काला है. आज मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने दीपावली की नाईट अपनी ही सगी बहना को चोदकर अपने जीवन की पहली खतरनाक और धमाकेदार चुदाई का आनन्द लिया. दीपावली की नाईट अपनी सगी बहना को पेलने की गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में शुरू करने से पहले में आप का परिचय मेरी जवान और सेक्सी बहिन से करवा देता हूँ.
मेरी एक बड़ी बहिन है जिसका नाम अंकिता पारीख है और उस बहिन की लौड़ी की उम्र 21 साल है. मेरी बड़ी बहिन दिखने में एकदम गदराई चिकना माल है. मेरी बहिन के बोबे बहुत मोटे मोटे हैं. उसके रसीले आम जैसे स्तनोंं का साइज करीब 32 इंच है. उस साली रंडी छिनाल की चूतड़ मस्त उभरी हुई. मेरी बहिन की पतली कमर को देखकर तो खुद कामदेव भी उसे पेलने को अपना औज़ार तैयार कर लें … मेरी जवान सेक्सी बहिन ऐसी पटाखा माल है. मेरे घर में मां पापा और हम दोनों भाई बहिन हैं. मेरी बहिन दिखने में बहुत ब्यूटीफुल है, पर मेरे पूरे जीवन में आज की तारीख तक उसने कभी किसी लड़के की तरफ देखा भी नहीं था, मतलब वो बहुत ही सीधी साधी लड़की थी और भरी जवानी में भी अनचुदी थी.
Brother And Sister XXX Stories दीपावली की नाईट सगी बहना को पेलने का अवसर मिल गया Hindi Chudai Ki Kahani

मैं मेरी बहिन पर बहुत हवस से भरी गन्दी नजर रखता था और में अपनी अनचुदी बहिन को चोदना चाहता था पर कभी अवसर ही नहीं मिला. दीवाली का दिन था घर में दीवाली की तैयारीयां चल रही थी हम बहिन भाई मिलकर घर की साफ सफाई कर रहे थे तभी मेरी बहिन झाड़ू पोछा लगाने के लिये निचे झुकी और मुझे उसके मोटे मोटे बोबे दिख गए. अपनी बहिन के बोबे देख में बहुत गरम हो उठा और फिर स्नानघर में जाकर उसके नाम की मुठ मार कर आ गया. दोस्तों फिर शाम को हम सभी नए कपड़े पहन कर दीवाली बनाने के लिये तैयार हो गए.
मेरी चुदास से भरी बहिन ने भी आज नई ड्रेस पहनी थी. उसने सफेद कलर का लहंगा पहना था उसमे वो किसी अपसरा जैसी लग रही थी. अपनी बहिन को उस नई ड्रेस में देख में एक दफे फिर गरम हो उठा और मेरे लौड़े ने दुवारा से मेरी पेंट के भीतर तम्बू बना दीया. दोस्तों अब अपनी सगी अनचुदी बहिन के बदन को भोगने की मेरी भूख बढती ही जा रही थी. मैंने कभी सपने भी नहीं सोचा था की आज दीपावली की नाईट मेरी अपनी ही सगी बहना को पेलने की मन्नत पूरी हो जायगी और मुझे मेरी बहिन की अनचुदी फुद्दी पेलने का अवसर मिल जायगा. मेरे प्यारे भाइयों और बहनों हुआ यूं की दीपावली की नाईट पूजा करने के बाद हम भाई बहिन पठाखे चला रहे थे की मेरी बहिन का पैर मुड़ गया और उसके पैर में मोच आ गई.

वो दर्द के मारे जोर जोर से रोने लगी. मैं उसको गोद में उठा कर भीतर उसके शयनकक्ष में ले गया और उसे पलंग पर लिटा दिया. दोस्तों जब मैंने अपनी जवान और गरम बहिन को गोदी में उठाया तो उसके मोटे मोटे कुल्हे मेरे हाथों से दब गए. मेरी बहिन के गद्देदार कूल्हों ने आग में घी डालने का काम कर दीया और मेरे भीतर का जानवर जाग उठा और में अपनी बहिन की चुदाई के सपने देखने लगा और भगवान से दुआ करने लगा की काश आज दीपावली की नाईट कैसे भी करके मुझे मेरी सगी बहना को पेलने का अवसर मिल जाए. फिर मेरे अब्बू ने डॉक्टर को कॉल किया. डॉक्टर आया और उसने मेरी बहिन के पैर का चेकप करा और दवाई दे दी. डोक्टर ने बताया कि दिक्कत की कोई बात नहीं है … बस पैर की मालिश की जरूरत पड़ेगी. ये कह कर उसने मुझे एक तेल की शीशी दी और कहा कि इस तेल से अपनी बहिन के पैर की मालिश कर देना और फिर डॉक्टर चला गया.
नाईट काफी हो गई थी तो मैंने मेरे अब्बू अम्मी को कहा की आप सोने चले जाओ में दीदी के पैर की मालिश कर देता हूँ और आज इधर दीदी के शयनकक्ष में ही सो जाऊंगा ताकि नाईट में कोई जरुरत हो तो इनकी सहायता कर दूँ. मेरी अम्मी पापा ने कहा ठीक है और फिर मेरी अम्मी ने मुझे और मेरे अब्बू को कहा की आप दोनों जरा बाहर चले जाओ में बच्ची के कपड़े बदल देती हूँ. हम बाप बेटे दोनों बहिन के बैडरूम से बाहर आ गए और भीतर शयनकक्ष में मेरी अम्मी ने मेरी बहिन के कपड़े बदल दीये और उसे कैप्री पहना दी. फिर मेरी अम्मी शयनकक्ष में सोने चली गई और में मेरी बहिन के शयनकक्ष में आकर उसके पैर की तेल मालिश करने लग गया.
बहन के गदराई पैरो की मालिश करते करते मुझसे सेक्स चढ़ने लगा और मेरा फौलादी लण्ड अकड़ने लगा. बहिन के गदराई पैर की मालिश करते करते मैं मेरी बहिन को पेलने का प्लान बनाने लगा. मैंने सोचा की क्यों ना तेल मालिश करते करते ये सारा तेल बहिन के कपड़ों पर फैला दीया जाए फिर तो मजबूरन इसी अपने कपड़े खोलने पड़ेंगे. मैंने ऐसा ही करा तेल मालिश करने के बाद तेल की शीशी रखने के लिये खड़ा हुआ और पूरी शीशी बहिन के उप्पर फैला दी. मेरी दीदी मुझसे बोलने लगी की तू कुछ भी काम सही ढंग से नहीं करता मेरे सारे कपड़े तेल में खराब कर दीये अब तक तो अम्मी भी सो गई होगी अब में इन गंदे कपड़ों में कैसे सूउंगी. मैंने मेरी बहिन से कहा – अरे … मैं आपका भाई ही तो हूँ … मुझसे क्या शर्म चलो में आपके कपड़े बदल देता हूँ.

मेरी गरम बहिन ने बोला- ठीक है. पहले मैंने उसको बैठाया और उसका टॉप उतार दिया. अब मेरी खुद की सगी बहना मेरे सामने केवल पैडेड ब्रा में थी. मैं तो उसके गदराई बदन को ही देख रहा था. उसने गुस्सा होते हुए मुझसे कहा – ऐसे क्या देख रहा है में तेरी सगी बहना हूँ तेरी गर्लफ्रेंड नहीं कुछ तो शरम कर ले? मैंने उस से कहा- सॉरी दीदी… कुछ नहीं में तोदेख रहा था की तेल किधर किधर गिरा है! फिर मैं टॉवल ले आया और उसकी पेट और पीठ सभी जगह लगे तेल को साफ करने लगा, पर पैडेड ब्रा की वजह से ठीक से साफ नहीं कर पा रहा था. मैंने उससे कहा – पैडेड ब्रा भी उतार दो. वो गुस्से से कहने लगी- अपनी बहिन को नंगी देखना चाहता है. मैं बोला- मुझे क्या है … तुझे ही तेल अच्छा नहीं लग रहा था … तो मैं बोल रहा हूँ … और तू मुझे ही गुस्सा बता रही है.
थोड़ा गुस्सा मैंने भी बताया, तो वो फिर प्यार और मोहब्बत से कहने लगी- अरे मैं वो नहीं कह रही … पर हम भाई बहिन हैं, तो मैं तेरे सामने न्यूड कैसे हो सकती हूं. मैंने उस से कहा- जैसे मैं नंगा हो सकता हूँ, तो तुम भी हो सकती हो. ये कहते हुए मैंने अपनी टी-शर्ट उतार कर फेंक दी. फिर वो बोलने लगी- अच्छा ठीक है. मैं ख़ुशी से उछल पड़ा. उसने फिर कहा – आकर खोलो तो इसे अब. मैंने स्पीड में जाकर उसकी पैडेड ब्रा के हुक को खोल दिया और उसके 2 गोरे गोरे गोल गोल ब्रेस्ट, जिन पर हल्का हल्का तेल लगा हुआ था, मेरी आंखों के सामने आ गए. मेरा काला मोटा लौड़ा मेरे पूरे जीवन में आज की तारीख तक इतने उफान पर नहीं आया, पर खुद की बहिन के मोटे मोटे बोबे देख कर आज साला बहिन का लौड़ा क़ुतुबमीनार को भी मात दे रहा था.
फिर मैं टॉवल लेकर उसके बाजू में खड़े होकर उसके मोटे मोटे बोबों को साफ करने लगा. इस प्रक्रिया में उसके हाथ में मेरा काला मोटा लौड़ा टकराने लगा. मेरी बहिन मुझसे बोलने लगी भाई ये क्या है जो मेरे हाथ में बार बार लग रहा है. मैंने कहा की कुछ नहीं है, तो वो बोलने लगी दिखाओ- क्या है? मैंने उस से कहा- लण्ड है मेरा. वो बोलने लगी- दिखाओ मुझे. मैंने जल्दी से अपनी पेंट को नीचे सरका दिया और साथ में मेरी अंडरवियर भी उतर गयी. मेरी लुल्ली को देखकर मेरी बहिन बोली- इतना बड़ा सुस्सू. वो भी खुद की बहिन को देखकर ये सलामी मार रहा है … शर्म नहीं आती तुझे. मैंने उस से कहा- क्या करूं … आप हो ही इतनी हॉट और सेक्सी. वो मेरे मुँह से हॉट और गदराई शब्द सुनकर हैरान हो गई और बोलने लगी- कब से लग रही हूँ मैं तुझे सेक्सी? मैंने उस से कहा- जब से आप जवान हुई हो तब से.
मेरी बहिन बोलने लगी- अच्छा बच्चू. मैंने उस से कहा- दीदी एक दफे बस आपके दूध पी लेने दो. वो बोलने लगी- केवल दूध ही पियेगा या कुछ और भी करेगा. मैंने उस से कहा- जो जो आप कहोगी. मैं फटाक से उठा और दीदी के मोटे मोटे स्तनोंं को चूसने लगा और दीदी गरम आहें भरने लगीं ‘आह आह आह…’ इससे मुझे और जोश चढ़ने लगा. मैं तो पहले से ही नंगा था, मैंने दीदी की कैप्री को एक झटके में उतार कर अपनी बहिन के गदराई बदन से अलग कर दिया और फिर उनकी नारंगी कलर की पैंटी को देखने लगा. वो बोलने लगी- ऐसे क्या देख रहा है मेरी पैंटी ? मैंने उस से कहा- आप की पैंटी को खोलकर मुझे आप की फुद्दी का रस पीना है.
मुझसे मेरी गरम बहिन बोलने लगी- तुझे रोका किसने है भाई जल्दी से खोल डाल मेरी पैंटी और करले रसपान. मैंने फटाक से मेरी सगी बहना की पैंटी उतार दी. और अपनी जबान को उसकी बिना बालों वाली फुद्दी में घुसेड़ दीया. मेरी जवान और गरम बहिन मेरे पूरे जीवन में आज की तारीख तक अनचुदी थी तो उसकी अनचुदी फुद्दी चिपकी हुई थी. कुछ मिनट तक अपनी सगी बहना की अनचुदी योनी चूसने के बाद मैंने अपनी बहिन की फुद्दी पर एक किस किया. अब तक वो भी पूरे जोश में आ चुकी थी और मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने अपने कोमल होंठ उसकी फुद्दी से हटा कर उसके मोटे मोटे बोबों पर लगा दिए और उसके बोबों के निप्पल अपने मुह में भरकर चूसते हुए एक हाथ से उसकी फुद्दी से ऊँगली करने लगा.

मेरी अनचुदी बहिन अब बहुत चुदासी हो गई थी और उसके मुँह से मस्त मस्त आवाजें निकल रही थीं. मैंने मेरी सगी अनचुदी बहिन को अपना लण्ड दिखाते हुए कहा कि इसको मुँह में लो और चुसो बहुत आनंद आयगा. मेरी अनचुदी बहिन एक दफे में ही मेरा पेनिस अपने मुह में भरकर चूसने को राजी हो गई और किसी भूखी रांड की तरह बड़े मजे से मेरा फौलादी लण्ड चूसने लगी. मेरी चुदास से भरी बहिन ने करीब बीस मिनट तक मेरा फौलादी लण्ड पीया होगा और तभी मेरा गरमा गरम वीर्ये मेरी बहिन के मुह के भीतर ही निकल गया और वो मेरा पूरा वीर्ये पी गई.
इसके बाद मैं फ्रिज में से कोल्ड क्रीम ले आया, वो मैंने अपने लण्ड पर लगायी और थोड़ा सा दीदी की अनचुदी फुद्दी पर भी लगा दी ताकि आज पहली खतरनाक और धमाकेदार चुदाई के दौरान मेरी बहिन को ज्यादा दर्द ना हो. फिर उस साली रंडी छिनाल की चूतड़ के नीचे एक तकिया रखा और अपना लण्ड अनचुदी बहिन की फुद्दी में डालने का प्रयास करने लगा. मेरी बहिन कीयोनी साबुत सील होने के कारण बहुत ज्यादा तंग थी जिस वजह से बार बार मेरा काला मोटा लौड़ा फिसल रहा था. इसके बाद मैंने मेरी अनचुदी बहिन की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा और बहिन को पेलने की तैयारी में आ गया.

मेरी अनचुदी बहिन बोलने लगी- भाई थोड़ा आहिस्ता आहिस्ता करना ये आज मेरा पहली बार है आज से पहले मैंने कभी किसी से चुदवाया नहीं है. मगर मैंने मेरी बहिन की बात को अनदेखा कर दीया और अपनी पूरी ताकत के साथ अपना लण्ड उसकी योनी के छेद में घुसेड़ दिया. एक ही झटके में मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उसकी अनचुदी फुद्दी की सील फाड़ते हुए भीतर समां गया और वो दर्द के मारे बहुत जोर से चीख पड़ी. उसकी आंखों से आंसू आ गए. शायद आज दीपावली की नाईट मेरी बहिन की अनचुदी फुद्दी की सील फट चुकी थी. मेरे लण्ड में भी बहुत तेज दर्द हो रहा था. मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया.
फिर मेरी बहिन आहिस्ता आहिस्ता अपनी लेट्रिंग से भरी चूतड़ हिलाने लगी और सेक्स करने में मेरा पूरा साथ देने लगी, तो मैं समझ गया कि अब इसकी फुद्दी का दर्द ख़त्म हो गया है और ये भूखी कुतिया चुदवाने को तैयार है. मैंने फिर एक दफे पूरी ताकत से शॉट मारा और इस बार मेरा पूरा लण्ड दीदी की फुद्दी में समा गया. इस बार उसको थोड़ा कम दर्द हुआ पर वो लगातार चीख रही थी ‘आह आह..’ मैं रुक गया. कुछ समय बाद जब मेरी बहिन नार्मल हो गई तो मैं फिर से उसकी फटी हुई फुद्दी में अपने लौड़े से शोर्ट लगाने लगा और उसको अपनी रांड बनाकर पेलने लगा . दीपावली की नाईट पठाखों की गड गढ़ाहट के बीच मेरी बहिन की भयँकर खतरनाक असहनीय दर्द से भरी सिसकियाँ दब रही थी जिस कारण मेरे अम्मी पापा के शयनकक्ष में कुछ भी आवाज नहीं जा रही थी. मेरी अम्मी पापा को तो कुछ पता भी नहीं था की आज दीपावली की नाईट उनकी संताने क्या गुल खिला रही हैं.

थोड़ी देर तक बहिन को पेलने के बाद मैंने सेक्स पोजीशन बदली और मैंने अपनी बहिन को कुतिया बनने को कहा तो वो घबरा गई और मुझसे कहने लगी नहीं भाई तुमने पहले ही मेरी फुद्दी फाड़ डाली है आब में तुम्हे मेरी टट्टी से भरी चूतड़ नहीं फाड़ने दूंगी. इसके बाद मैंने मेरी बहिन को समझाया की नहीं पागल में तेरी चूतड़ नहीं मार रहा हूँ बल्कि में तुझे कुतिया बनाकर पीछे से तेरी फुद्दी ही चोदुंगा. फिर वो लपक कर फाटक से चुदवाने के लिये कुतिया बन गई और इसके बाद मैंने पीछे से मेरा मोटा लम्बा लौड़ा उसकी फुद्दी में डाला और उसकी चुदाई करने लगा. आज दीवाली की नाईट नहीं बलकी हम बहिन भाई की सुहाग रातथी. मैं मेरी बहिन को बहुत जोर जोर के झटके मार मारकर चोदे जा रहा था और मेरी सगी बहना भी मस्ती से गांड उठा उठा कर आह .. आह.. यूई … आउच आह… आह जैसी नशीली आवाजे निकालते हुए बड़े मजे से मुझसे अपनी फटी हुई फुद्दी चुदवाये जा रही थी.
आज हम भाई बहनों ने भाई बहन जैसा पवित्र संबंध दागदार कर डाला था. हम दोनों बहिन भाई पूरे बीस मिनट तक ऐसे ही चुदाई का आनंद लेते रहे. फिर करीब एक घंटे की शानदार चुदाई के बाद मेरे लौड़े ने मेरी बहिन की फुद्दी में अपना माखन उंढेल दीया और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए. मैं नंगा ही मेरी बहिन के ऊपर पड़ा रहा. फिर कुछ समय बाद मैं उसके बाजू में सो गया. तो मेरे प्यारे गंड मरे भाइयों और चुदक्कड़ बहनों कैसे लगी दीपावली की नाईट सगी बहना को पेलने की मेरी यह गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में. मेरे प्यारे भाई और बहनों यदि आप को मेरी गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में “Brother And Sister XXX Stories दीपावली की नाईट सगी बहना को पेलने का अवसर मिल गया Hindi Chudai Ki Kahani” पसंद आई हो तो इस फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में को अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर करना.
Diwali is a festival of lights mainly celebrated by Hindus. The festival usually lasts five days and celebrated during the Hindu Lunisolar month Kartika. One of the most popular festivals of Hinduism, Diwali symbolizes the spiritual “victory of light over darkness, good over evil, and knowledge over ignorance”. Wikipedia