चलती ट्रेन में अम्मी के साथ संभोग करा XXX Hindi Sex Kahani
हेलो दोस्तों मेरा नाम वसीम है, मैं यूपी का रहने वाला हूं. मेरी उमर 24 साल है और मेरी फैमिली में मैं मेरी अम्मी रहते हैं. मेरे अब्बा का इंतकाल हुए एक महीना हो चुका है मेरी अम्मी जो कि इस वक्त 42 साल की है. अब्बा इंतकाल के बाद मेरी अम्मी बहुत उदास रहती थी किन्तु वह अपनी उदासी अपने चेहरे पर नहीं आने देती थी. यहाँ भी देखें >> ताऊजी अपनी बेटी की खतरनाक चुदाई करने लगे ताईजी की मौत के बाद Free XXX Hindi Nonveg Sex Story For Adults 18+ Hindi Chudai Kahani
लेकिन मैं इनकी उदासी समझ गया था और मैं अपनी अम्मी को हमेशा प्रसन रखने का प्रयास किया करता था. अम्मी को आनंदकिया अंदाज में कुछ कुछ बोलकर हँसाता रहता था. ये पूरी प्रयास करता था कि अम्मी को मेरी तरफ से कोई दुख न हो. पर अम्मी मेरे सामने तो अपने आप को प्रसन दिखाती थी. किन्तु अकेले में वो अब भी उदास रहा करती थी. मैं भी एक हद तक ही उन्हें सहारा दे सकता था. मैं एक पति की तरह उन्हें सुख नही दे सकता था. इसी तरह एक महीने बीत गए।
एक दिन जब मैं काम पर से जल्दी आ गया और घर के भीतर पहुँचा तो जो देखा मेरे होश ही उड़ गए. अम्मी बरामदे में एक टेबल पर मेरी तरफ पीठ करके बैठी हुई थी. अम्मी को पता नही चला था कि मैं घर आ चुका हूँ. मैंने सोचा कि चलो अम्मी को एकदम चौका दूं. मैं जैसे ही दबे पांव आगे बढ़ने लगा।
आगे बढ़ने पर मुझे अम्मी के हाथ और उनका शरीर हिलता हुआ दिख रहा था. मैं और आगे बढ़ा और मुझे जो दिखा वो मैं कभी अपनी अम्मी के बारे में सोच भी नही सकता था. मेरी अम्मी टेबल पर बैठी थी और उनकी सलवार उनके घुटनो तक थी. और अम्मी अपनी उंगलियां अपनी चूत के अंदर डाल रही थी. उनकी चूत से काफी चपड़-चपड़ की आवाज आ रही थी. शायद अम्मी की बुर का पानी निकल रहा था. जिससे उनकी चूत से आवाज आ रही थी।
चलती ट्रेन में अम्मी के साथ संभोग करा XXX Hindi Sex Kahani

अम्मी अपनी अलग दुनिया में खोई हुई ..आ आ आ आ ह ह ह ह उम ह ओह्ह ह ह ह ह… कर रही थी. मैं उनके पीछे खड़ा ये सब देख रहा था. फिर मैं चुप चाप वहाँ से बाहर आकर पार्क में अकेले जा कर बैठ गया. मुझे अम्मी पर कभी तरस आता, तो कभी गुस्सा आ रहा था, मुझे उनके बारे में गलत गलत विचार आने लगे, कभी मेरे मन मे अपनी अम्मी की बुर की छवि बनने लगती और मेरा फौलादी लण्ड खड़ा हो जाता।
इसके बाद मैंने खुद को समझाया कि वो मेरी अम्मी है, हमारे बीच का संबंध पाक है. और मैं वापस घर चला आया तो अम्मी ने खाने के लिए पूछा उन्हें कुछ पता ही नही पड़ा था कि मैं उन्हें किस हालात में देख चुका हूँ. घर में सब नॉर्मल चल रहा था. पर दिन में कभी कभार अम्मी की गदराई हुई मटकती चूतड़ मेरे मन में उनके लिए गलत विचार ला ही देती थी. मैं ही खुद को समझा कर रोक लेता था।
मेरी अम्मी का शरीर थोड़ा भरा हुआ है नही वो मोटी है ना ही पतली है. देखने मे वो 10 साल के बच्चों की अम्मी लगती है. कोई नही कह सकता कि उनका बेटा जवान 24-25 साल का होगा. गोरी लंबी और सुंदर भी है उनकी आवाज पतली है उनका फिगर 36-34-38 है. उनकी फ़िगर ही मेरी नियत हिला देती थी।
एक दिन मोर्निंग जब मैं स्नानघर में नहाने गया तो देखा की अम्मी लाल पैंटी नीचे गिरी हुई थी. मैंने अम्मी की पैंटी को अपने हाथ में लेकर देखने लगा गौर से देखने पर मुझे अम्मी की पैंटी पर लगे हुए उनकी झांट के कुछ बाल दिखे मैं भीतर ही भीतर मुस्कुराया. मन मे ही कहा शायद अम्मी की झांट झड़ कर उनकी अंडरवियर में फांस गयी होंगी. फिर मैं नहाकर अपने काम पर चला गया।
पर जब मैं अम्मी की गदराई पैंटी को अपने हाथ मे लेकर देख रहा था. तब मुझे अम्मी के बारे में गलत गलत विचार आने लगे थे. मेरा फौलादी लण्ड खड़ा हो गया था. दिन भर मैं अम्मी के बारे में ही सोचता रहा काम पर मेरा ध्यान ही नही लग रहा था. जैसे तैसे दिन कट गया शाम को मैं घर वापस आ गया. घर पहुँचा तो अम्मी बहुत प्रसन नजर आ रही थी।
एक मिनट के लिए मैंने सोचा कि कही अम्मी मेरे पीछे किसी पराये मर्द से शारीरिक संबंध तो नही बना रही, पर अम्मी ने कहा कि तेरे मामू का फोन आया था, उन्होंने हमें शेखू की शादी में बुलाया है. शेखू मेरे मामू का बड़ा लड़का है अब मैं समझ गया कि अम्मी शायद इसी लिए प्रसन है. अम्मी ने कहा कि हमे कल के कल ही निकलना होगा।
मैंने कहा अम्मी इतनी जल्दी ये सब कैसे होगा ट्रेन की टिकिट भी नही मिलेगी इतनी जल्दी पर अम्मी जिद पर अड़ी थी कि उन्हें जाना ही है. अम्मी ने कहा कि टिकट नही मिलेगी तो क्या हुआ. हम जनरल बोगी में ही सफर करेंगे. मैंने कहा कि अम्मी जनरल बोगी में बहुत भीड़ होती है. पर अम्मी नही मानी।
नेक्स्ट डे शाम को 7 बजे की ट्रेन थी. इस कारण से अम्मी अपना और मेरा जरूरी सामान कपड़े पैक करने लगी. अम्मी की प्रसनी देखने लायक थी. इतने दिनों बाद वो प्रसन थी, मैंने भी उनकी बात मान ली. किसी तरह नाईट बीत गयी. आज शाम को हमारी ट्रेन 7 बजे थी हम टाइम से स्टेशन पहुच गए. मैंने जनरल की 2 टिकटे ली और हम ट्रेन की तरफ चल पड़े।
जनरल बोगी में घुसते ही मेरी उम्मीद से ज्यादा भीड़ थी. पर मैंने जैसे तैसे ऊपर सोने वाली सीट छेक ली और उसपर अपना सामान और अम्मी को चढ़ा दिया. अम्मी ऊपर बैठ गयी. पर अब मुझे बैठने भर की जगह तक नही मिली. कुछ समय बाद ट्रेन चल पड़ी. मैं खड़े खड़े सफर कर रहा था।
तो अम्मी ने मुझे ऊपर आने को कहा मैंने अम्मी को कहा नही आप ही वहाँ लेट जाओ वैसे भी ऊपर दो लोगों के लिए जगह नही होगी. मैं अपने बैठने का इंतेजाम करता हूँ. पर ट्रेन तो खचा खच भरी हुई थी. जिससे मुझे कही जगह नही मिली. फिर कुछ देर बाद अम्मी ने कहा कि ऊपर ही आ जा मेरे टांगों में भी खड़े खड़े दर्द होने लगा था. मैंने अम्मी की बात मान ली।
मैं ऊपर जाकर बैठ गया. दोस्तों आपने कभी जनरल डब्बे में सफर किया होगा तो आपको पता ही होगा कि ऊपर वाले सीट पर कितनी जगह होती है. बैठे बैठे ही नाईट के 9 बज गए. अम्मी झपकियां लेने लगी. मैंने अम्मी को लेट जाने को कहा अम्मी भी लेट गयी. मैं उनके टांगों के पास बैठा था. कुछ देर बाद मुझे भी नींद आने लगी. मैं भी थक चुका था. तो मैंने अपने पैर अम्मी की सर की तरफ और अपना चेहरा उनकी पैर की तरफ करके लेट गया।
सीट पर जगह न होने के कारण हम बहन के लंड दोनों के शरीर आपस मे सटे हुए थे. अम्मी मेरी तरफ अपनी पीठ करके सोई थी और मैं अम्मी की पीठ की तरफ अपना चेहरा करके सोया था. मेरी कमर अम्मी के कूल्हों से सटी हुई थी. मेरी कमर अम्मी की गांड पर ऐसी सटी हुई थी कि बीच में हवा जाने तक कि जगह नही थी. अब ऐसे में क्या होता है आप सभी को तो पता ही होगा. अम्मी की गांड और बुर की गर्माहट मेरे लण्ड पर लगने लगी।
कुछ ही देर में मेरा फौलादी लण्ड मेरी पैंट में ही शैतानी करने लगा और खड़ा हो गया और अम्मी की गांड को टच करने लगा. मैं जान बूझकर भी अपना लण्ड अम्मी की गांड पर दबा रहा था. और ट्रेन के हिलने डुलने पर भी मेरा फौलादी लण्ड अम्मी की गुदगुदी(कोमल) गांड के अंदर धस रहा था. इसके बाद मैंने इधर उधर देखा सभी लोग सो चुके थे. मैं भी सोने का नाटक करता हुए अम्मी की एक जांघ पर अपना हाथ रख दिया और उनकी जांघ को पकड़ लिया ताकि मैं और अच्छे से अम्मी की गांड पर लण्ड दबा सकू।
कुछ देर वैसे ही मैंने अम्मी की जांघ को पकड़ कर अपना लण्ड उनकी चूतड़ों और गांड की दरार में दबाता रहा और मज़े लेता रहा. पर ऐसा करके मुझे संतुष्टि नही मिल रही थी. मैं अपने लण्ड से सीधे अम्मी की न्यूड चूतड़ को छूना चाहता था. तो मैंने धीरे से अपना हाथ अम्मी और मेरी कमर के बीच में डाला और अपने पैंट की चैन खोल दी. पैंट की चैन खुलते ही मेरा मोटे खीरे जैसा लण्ड सीधा होकर अम्मी की गांड की दरार में घुस गया।
जैसे ही मेरा फौलादी लण्ड अम्मी की गांड दरार में उनकी सलवार को ठेलता हुआ घुसा मेरे शरीर मे गरमी सी होने लग गयी. मेरे माथे पर पसीना आने लगा. सांसे तेज़ होने लगी और मैं हाँफता हुआ आहिस्ता आहिस्ता अम्मी की एक जांघ को पकड़ कर अपना लण्ड अम्मी की गांड के अंदर सलवार के ऊपर से ही चोदने लगा. कुछ समय बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरा फौलादी लण्ड फिसल कर अम्मी की चूत के ऊपर तक पहुंचने लगा है।
तो मुझे एक आईडिया आया कि अगर मैं जैसे तैसे करके अम्मी की सलवार को पीछे से उनकी गांड के नीचे तक हटा दू. तो मूझे आज अपनी अम्मी की बुर भी मिल जाएगी. मैंने ऐसा ही किया क्यों कि अभी तक मैंने जो किया था. उसपर अम्मी ने कोई हरकत नही दिखाई थी. शायद वो अब गहरे नींद में थी।
तो मैंने अपना जो हाथ अम्मी की जांघ पर रखा था. उसे आगे बढ़ाने लगा और अम्मी की कमर तक पहुँचा कर अपने हाथ रोक दिए कुछ देर बाद मैंने अम्मी की सलवार का नाड़ा खोजने लगा. सलवार का नाड़ा खोजते खोजते मेरी उंगली अम्मी की टुंडी तक पहुँच गयी. मस्त गहरी टुंडी वाली अम्मी के पेट बिल्कुल कोमल और नरम थे. मेरा ध्यान अम्मी की पेट की वजह से भटकने लगा।
पर मैंने अपना वास्तविक काम पर लग गया. मैंने अम्मी की सलवार का नाड़ा खीच दिया जिससे अम्मी की सलवार ढ़ीली पड़ गयी. इसके बाद मैंने अम्मी की कमर के पीछे से अपना हाथ फेरने लगा. और आहिस्ता आहिस्ता करके अम्मी के सलवार को अम्मी की गांड के ऊपर से हटा कर उनकी जांघ तक पहुँचा दिया. अम्मी की गोरी गदरेल चूतड़ को देख मेरा फौलादी लण्ड सुरसुराने लगा।
अब अम्मी की गांड बिल्कुल न्यूड हो चुकी थी और अम्मी की बुर का दरवाजा भी दिखाई दे रहा था. मेरा फौलादी लण्ड तो मानों लार टपका रहा था. मेरा फौलादी लण्ड पहले से ही अम्मी की गांड के नीचे से उनकी चुत पर सेट हो चुका था. मैंने आहिस्ते से अपना लण्ड अम्मी की चुत पर दबाया पर लण्ड भीतर चूत के अंदर नही घुसा इसके बाद मैंने अपने मज़बूत और शक्तिशाली लण्ड पर थोड़ा सा थूक लगाया।
और अम्मी की जांघ को पकड़ कर एक शार्ट में अपना लण्ड अम्मी की चूत के अंदर उतार दिया. अम्मी की बुर ने मेरा पूरा का पूरा मोटा बिना चमड़ी वाला लण्ड एक दफे में ही निगल लिया. मेरे शोर्ट से अम्मी ने अपना एक पैर हिलाया और फिर कोई हरकत नही की. मेरी भी हिम्मत बढ़ी मेरा फौलादी लण्ड तो पहले से ही अम्मी की चूत के अंदर धसा हुआ था।
मैं आहिस्ता आहिस्ता अपना लण्ड अम्मी की चूत के अंदर भीतर बाहर करने लगा. सीट पर जगह नही होने के कारण सही से शोर्ट नही लग रहे थे. किन्तु ट्रैन के हिलने की वजह से मुझे कुछ करने की भी जरूरत नही पड़ रही थी. ट्रैन के हिलने की वजह से अम्मी की खतरनाक चुदाई भी हो पा रही थी. जब ट्रेन आगे पीछे हिलती तो मैं मेरा फौलादी लण्ड भी अपने आप अम्मी की चूत के भीतर बाहर हिकर अम्मी की चूत चुदाई कर रहा था।
मैं आराम से लेट कर अम्मी की चूत चुदाई का मज़ा ले रहा था. ट्रैन के कारण अम्मी भी हिल रही थी. जिसे अम्मी की बुर मेरे लण्ड का मसाज कर रही थी. किन्तु ये सब अम्मी को पता था कि मैं उन्हें चोद रहा हूँ. और अम्मी भी अपनी मर्ज़ी से अभी तक मुझसे अपनी बुर चुदवा रही थी. बस वो सोने का नाटक कर रही थी।
ये सब मुझे तब पता चला जब आधी नाईट में ट्रेन पूरी स्पीड के साथ चल रही थी. और मैं अपना लण्ड अपनी अम्मी की चूत के अंदर डालकर अम्मी की बुर को चोद रहा था. एकदम ट्रेन झटके से रुकी तो अम्मी और मेरा शरीर आपस में तेज़ी से टकराये और मेरा फौलादी लण्ड तेज़ी में अम्मी की बुर की अंदरूनी दीवार से टकरा कर जल्दी से उनकी चूत के बाहर निकल गया।
ट्रेन के झटके और मेरे लण्ड के झटके खाने से अम्मी ऐसा करने लगी जैसे उन्हें किसी ने नींद में उठाने का प्रयास कर रहा हो. फिर ट्रेन चलने लगी. पर मेरे भीतर हिम्मत नही हुई कि मैं फिर से अम्मी की चूत के अंदर अपना लण्ड घुसाकर उनकी खतरनाक चुदाई करूँ. फिर कुछ देर बाद अम्मी ने अपने एक हाथ से अपनी बुर को टटोला और फिर मेरे शानदार पेनिस को पकड़ लिया।
मैं थोड़ा चौक गया फिर अम्मी ने अपनी कमर पीछे घिसका कर अपनी गद्देदार गांड को मेरी जांघो से चिपका दिया और खुद ही मेरे शानदार पेनिस को अपनी चूत के अंदर सेट कर दी. मैं खुसी से पागल हो गया. मैंने अम्मी की तरफ देखा उनकी आंखें बंद थी. ऐसा कर रही थी जैसे वो गहरी नींद में सोई हो ताकि किसी को शक न हो कि माँ और बेटे में चुदाई चल रही है।
लेकिन दोस्तों वास्तविक गेम खेल तो कमर के नीचे चल रहा था. मैंने तुरंत ही अपने लण्ड से फिर से अम्मी की चूत के अंदर झंडा गाड़ने लगा. अब मैं बिना डरे अम्मी की बुर चोदने लगा. थोड़ी सहायता ट्रेन कर रही थी थोड़ी ताकत मैं लगा रहा था. बस अब अम्मी की चूत के अंदर लण्ड की बौछार होने लगी. पर अम्मी मोटे लण्ड से चुदवाने के बावजूद उफ्फ तक नही कर रही थी।
थोड़े देर बाद मेरे लण्ड ने अपना सारा पानी अम्मी की चूत के अंदर ही उगल दिया. और सिकुड़कर अम्मी की चूत से बाहर आ गया. अम्मी की स्पर्म से भरी हुई बुर की छेद भी सिकुड़ फैल रही थी. आखिर में अम्मी की चूत से स्पर्म की धार बहने लगी. स्पर्म बहुत निकल रहा था शायद अम्मी और मैं एक साथ झड़े थे. और हमदोनों का स्पर्म अम्मी की चूत से बाहर निकल रहा था।
इसके बाद मैंने अम्मी की सलवार से अम्मी की बुर को पोंछ दिया और उन्हें सलवार पहना कर उनका नाड़ा भी बांध दिया. तो इस तरह मैंने अपनी अम्मी को पहली बार चोदा उम्मीद है. कि आपको मेरी ये स्टोरी पसंद आई हो।
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