Brother And Sister Sex Stories – रेल गाड़ी में चुदाई करी सोती हुई दो बहनों की Hindi Chudai Ki Kahani Hindi Chudai Ki Kahani : हेल्ल्लो दोस्तों मेरा नाम प्रतिक है और मेरी उम्र 26 साल है. मेरी इस गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है. हर बार की तरह मेरी ये गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में भी एक सच्ची घटना पर आधारित है. ट्रेन के सफ़र के दौरान मैंने मेरी अपनी सगी बहना और एक अनजान लड़की की शानदार चुदाई करी थी. यहाँ भी देखें >> दो बच्चों की माँ ने पराये मर्द से चुदवाया MP3 Sex Story In Hindi मेरी जवान सेक्सी बहन का नाम कंचन है. कंचन मेरी सगी बहना है मुझसे लगभग 2 साल छोटी. मेरे पिताजी एक व्यापारी थे. उनके देहांत के बाद अब मैं उनके काम को देखता हूँ. हम भाई बहन बिहार में रहते हैं.
मेरी अम्मी की मृत्यु पांच साल पहले हीं हो गई थी. घर में कंचन के अलावा मेरी दो और जवान और गरम बहने हैं, 21 साल की गरिमा और 19 साल की ऊष्मा. गरिमा की शादी हाल हीं में हुई है और अब वो अपने पति के साथ प्रसन है, ऊष्मा अभी कॉलेज में पढाई कर रही है, जबकि कंचन बारहवीं पास की है. मेरी सगी बहना कंचन पढ़ाई में बहुत तेज है और शुरु से ईंजीनियर बनना चाहती थी. मैं भी उसे प्रोत्साहित करता रहता था सो वो इधरऊधर कम्पटीशन देते रहती है।
Brother And Sister Sex Stories – रेल गाड़ी में चुदाई करी सोती हुई दो बहनों की Hindi Chudai Ki Kahani

मेरी यह गन्दी हिन्दी 18+ XXX फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में सफ़र के दौरान रेल गाड़ी में मिली अनजान लड़की की फुद्दी चुदाई की है जब मुझे मेरी पहन ने भी खतरनाक धक्का पेल चुदाई करते हुए पकड़ लिया था. सबसे पहले में मेरी सगी बहना कंचन के बदन के बारे में आपको थोड़ा विस्तार से बता देता हूँ. मेरी जवान सेक्सी बहन कंचन का बदन बहुत हॉट और गदराई है उसकी चमड़ी एकदम गोरी और मखमली है. ब्यूटीफुल है, जवान है और खुब जवान है. पढ़ाई के चक्कर में आँखों पर चश्मा लग गया है, फ़िर भी बहुत हॉट दिखती है और राह चलते मर्द और लड़के एक दफे जरूर उसके गदराई बदन को गौर से देखते हैं हालाँकि वो कभी किसी को लिफ़्ट नहीं देती है।
एक साईकिल ले कर वो दिन भर कभी ट्युशन तो कभी कोचिंग में हीं लगी रहती है. खैर कई प्रयास के बाद मेरी जवान सेक्सी बहन का नाम कोचीन के एक ईंजीनियरींग कौलेज की सूची में आ गया और अब हमें एक सप्ताह के भीतर वहाँ उसका नाम लिखवाना था. करीब ३५०० कि०मी० का सफ़र था, एक दिन और दो नाईट का. यहाँ भी देखें >> Katrina Kaif Giving Blowjob To Salman Khan Full HD Porn Video
शाम को 5 बजे ट्रेन पर बैठिए तो वो रात, फ़िर दिन और फ़िर नाईट के बाद अगली मोर्निंग करीब 6 बजे पहुँचिए. आननफ़ानन में किसी तरह हम लोग को एक आर०ए०सी और एक वेटिन्ग का टिकट मिला रेल गाड़ी में, यानी हम बहन के लंड दोनों को एक हीं बर्थ था और हम दूसरे टिकट के लिए इंतजार भी नहीं कर सकते थे. ऊष्मा गरिमा के घर गई हुई थी तब, सो सारी तैयारी भी मुझे हीं करानी पड़ी. सच बताउँ तो इसी तैयारी के वक्त मुझे पता चला कि मेरी सबसे छोटी बहन कितनी मॉडर्न और स्मार्ट है. मेरे लिए वो घर पे हमेशा एक बच्ची जैसी ही थी. कंचन का सपना सच होने जा रहा था और वो बहुत प्रसन थी. दो दिन उसने बाजार से सामान खरीदने में लगाए एक दिन मैं भी उसके साथ था.

उस दिन कंचन ने जो सामान खरीदे उसी से मुझे अहसास हुआ कि मेरी सबसे मासूम छोटी बहन भी अब जवान हो गई है और चुदाई के लायक हो गई है. ऐसा नहीं है कि मैं भोलाभाला हूँ में एक बहुत बड़ा पुजारी हूँ वो भी महिलाओ और लड़कियों की गांड और फुद्दी का. में मेरे पूरे जीवन में आज की तारीख तक करीब 25 – 30 भाभियों को और लड़कियों की चूतड़ और फुद्दी के छेद में अपना बाबुराब पेल चूका हूँ मेरा शौक ही नई नई भाभियों को और अनजान लड़कियों की फुद्दी चुदाई करना और चूतड़ मारना है.
में इतना बड़ा रांड बाज लड़का हूँ पर घर पर कभी अपनी गरम माल बहनों पर हवस से भरी गन्दी नजर नहीं डाली थी. कभी सोचा भी नहीं कि बाकी की दुनिया मुझ बहनचोद की बहनों के नाम पर मूठ भी मारती होगी. मैंने हमेशा अपनी गरम माल बहनों को सतीसावित्री हीं माना था. आज की खरीदारी के साथ हीं मैंने अपनी गरम माल बहन को अब एक मर्द की नजर से देखा तो लगा कि यार यह तो अब पूरा माल हो गई है, १८ साल की उमर, और सही उभारों के साथ एक ऐसा बदन जो किसी भी मर्द को अपना दीवाना बना सकता था. उसकी उस रोज की खरीदारी में लिपिस्टीक, काजल जैसे हल्के मेकअप के सामान के साथ सैनिटरी नैपकिंस और अंडरगार्मेन्ट्स भी था।
मैंने कंचन को पहले वैसे कुछ मेकअप करते देखा नहीं था, पर अब जब उसका सच सच होने जा रहा था तो अब शायद वो भी एक लड़की की तरह जीना चाहती थी, पहले वो एक पढ़ाकू लड़की की तरह जीती थी. उसी दिन उसने तीन सेट ब्रापैन्टी भी खरीदी जौकी की दूकान से. ८० साईज की लाल, लाल और नीली ब्रा और फ़िर उसी से मौच करता हुआ पैंटी भी. इसके अलावे उसने एक पैकेट स्ट्रींग बीकनी स्टाईल की पैन्टी खरीदी, जिसमें लाल, काली और भूरी ३ पैंटी थी. मुझे तो पता भी नहीं था कि पैंटी की भी इतनी स्टाईल हमारे किशनगंज जैसे शहर में मिलती है. घर लौटते हुए रास्ते में कंचन ने वीट हेयररिमुवर क्रीम की दो पैक लीं.

मैंने मेरी जवान सेक्सी बहन को टोका भी कि दो एक साथ क्या करोगी, तो उसने कहा कि एक तो यहीं खोल कर युज कर लेगी और बाकि ऊष्मा के लिए छोड़ देगी और नया पैक साथ ले जाएगी. अगली शाम हमें ट्रेन पकड़ना था, और मैं दुकान की जिम्मेदारी स्टाफ़ को समझा चुका था. मैं अपना पैकिंग कर चुका था और बैंक के काम से निकलने वाला था कि कंचन आई और मेरे शेविंग किट के बारे में पूछी. मैं एकदो दिन छोड़ कर शेव करता था सो मैंने किट को सामान में पैक कर दिया था. मैंने झल्लाते हुए पूछा कि वो उसका क्या करेगी, तो बड़ी नासमझियत से कंचन ने अपने हाथ ऊपर करके अपने काँख के बाल दिखाए कि यही साफ़ करना है रेजर से.
मेरी जवान सेक्सी बहन एक स्लीवलेस कुर्ती पहने हुए थी. मेरे कुछ कहने से पहले बोली, “इतना बड़ा हो गया है कि क्रीम से ठीक से साफ़ नहीं होगा, सो रेजर से साफ़ करना है, फ़िर इतना बड़ा होने हीं नहीं देंगे. दीदी की शादी के वक्त साफ़ किए थे अतिंम बार, फ़िर पढ़ाई के चक्कर में अवसर हीं नहीं मिला इस सब के लिए।” मैंने भी मुस्कुराते हुए अपना शेविंग किट उसे दे दिया. – शाम को जब मैं घर लौटा तो कंचन बिल्कुल बदली हुई थी. उसने अपनी भौं भी सेट कराई थी. और मुझे और दिन से ज्यादा गोरी दिख रही थी. मैंने ये कहा भी तो वो बोली, “सब वीट का कमाल है”. तब मुझे पता चला कि उसने अपने हाथ पैर आदि से बाल साफ़ किए हुए थे.
मैंने हँसते हुए कहा , “दिन भर खाली बाल ही साफ़ करे होंगे क्यों…”. दिन भर नहीं अभी शाम में दो घन्टे पहले और फ़िर अपने कमरे से एक लपेटा हुआ अखबार ले कर आई और उसको मेरे सामने खोली. उसमें ढ़ेर सारे बाले थे और रूई जिससे वो वीट को पोछी थी. “इतना सब मिल कर काला बनाए हुए था हमको”, वो बोली. मेरी निगाहें उस अखबार पर थी जहाँ कालेकाले खुब सारे बाल थे. मुझे पता चल गया था कि इन बालों में उसकी झाँट भी शामिल है. यहाँ भी देखें >> प्यासी वाइफ कहने लगी सुनो जी आज मुझे चोदकर ही ऑफिस जाना Indian Porn Video वो जिस तरह से अपनी बहादुरी दिखा रही थी, मैंने उसको जाँचने के लिए कहा , “इतना तो बाल तुम्हारे काँख में नहीं दिखा था मोर्निंग जब तुम रेजर लेने आई थी?” वो अब थोड़ा संभली, उसको अब अपनी गलती का अंदाजा हुआ था शायद सो वो बोली, “इतना हिसाब किसी लड़की से नहीं लेना चाहिए भाई साहब” और अपनी आँखें गोलगोल नचा दी और सब डस्टबीन में डालने चली गई।
नेक्स्ट डे हम वक्त से रेल गाड़ी में बैठ गए. ए०सी टू में हमारा सीट था. पूरी बौगी में साऊथ के टुरिस्ट लोग भरे थे, एक पूरी टीम थी जो गौहाटी, आसाम से आ रही थी. पूरी बौगी में हम बहन के लंड दोनों भाई बहन के अलावे एक और फैमिली था जो हिन्दी भाषी था. संयोग की उन लोगों की सीट भी हमारे कंपार्टमेन्ट में हीं थी. चार सीट में नीचे की दो और ऊपर की एक उन लोगों की थी और एक ऊपर की हमारी. वो लोग सिलिगुड़ी में रहने वाले माड़वाड़ी थे. पतिवाइफ और एक बेटी जो कंचन की उमर की हीं थी. हम सब को तब आश्चर्य हुआ जब पता चला कि वो लड़की भी उसी कौलेज में नाम लिखाने जा रही है जहाँ कंचन जा रही है.
फ़िर तो परिचय और घना हो गया. वैसे भी पूरी बौगी में सिर्फ़ हम हीं थे जो आपस में बात कर सकते थे, बाकि के सब तो अलग दुनिया के लोग लग रहे थे, बोलचाल, खानपान, रहनसहन सब से. कंचन और उस लड़की नेहा (एक और संयोग, मैं प्रतिक और वो नेहा) में जल्दी हीं फ्रेंडी हो गई और वो दोनों ऊपर की सीट पर बैठ कर आराम से बातों में खो गई. मैं नीचे उस बुजुर्ग जोड़े के साथ बात करने लगा. ट्रेन वक्त से खुल गई और करीब ८:३० बजे हम सब खाना खा कर सोने की तैयारी करने लगे. – सफ़र लम्बा था सो उस मड़वाड़ी जोड़े ने अपना कपड़ा बदल लिया था रेल गाड़ी में घुसते हीं.

उनकी मस्त कमसिन माल बेटी भी टायलेट जा कर एक नाईटी पहन कर आ गई तो मैंने भी कंचन को कहा की वो भी चेन्ज कर ले. मैंने अपने जीन्स पैण्ट के नीचे एक हाफ़ पैण्ट पहना हुआ था सो मैंने अपने जीन्स उतार दिए और फ़िर शर्ट भी खोल कर गंजी और हाफ़ पैण्ट में सोने के लिए तैयार हो गया. मैं घर पर भी ऐसे हीं कपड़ों में सोता था. मड़वाड़ी दम्पत्ति अपनेअपने बिस्तर पर लेट चुके थे. बौगी की लाईट लगभग बन्द हीं हो चुकी थी. सिर्फ़ हमारे कंपार्टमेन्ट में लाईट जली हुई थी. मेरी निगाहें सफ़र में मिली अनजान लड़की नेहा पर टिकी थी और मैं अपने दिमाग में उसके गदराई फ़ीगर का अंदाजा लगा रहा था. जीन्सटौप में मैंने उसको देखा हुआ था पहले, अब एक ढ़ीले से नाईटी मे उसको घूर रहा था पीछे से.
वो गदराई अनजान लड़की कुछ समान ठीक कर रही थी, और मुझे वो जब नीचे झुकती तो उसकी योनीड़ का आभास हो जाता. वो मेरे बहन से ज्यादा वजन की थी, पर मोटी नहीं थी. कंचन का फ़ीगर इलियाना डिक्रुज की तरह था, जबकि नेहा थी सोनाक्षी सिन्हा टाईप. वैसे भी मड़वाड़ी लड़कियों की गदराई चूतड़ थोड़ी चौड़ी होती ही है. जब वो ऊपर की बर्थ पर चढ़ने लगी तो उसकी नाईटी बहुत ही ज्यादा ऊपर उठ गई और उसकी गोरीगोरी जाँघों की एक झलक मुझे मिल गई. मैं सोचने लगा कि अगर उस सीट के नीचे मैं सोया होता जहाँ उसकी माँ सोई थी तो शायद मुझे उसकी पैन्टी भी दिख जाती.
तभी मेरे दिमाग में आया कि आज मेरी गरम बहन कंचन मेरे साथ सोने वाली है. यह शायद पहला अवसर था जब वो मेरे साथ सोती, नहीं तो दो बड़ी बहन के होते उसको तो कभी मेरे साथ सोने का अवसर हीं नहीं मिला था. मैं यही सब सोच रहा था कि कंचन आ गई. मेरी जवान सेक्सी बहन कंचन ज्यादातर सोते बक्त नाईटसूट पहनकर सोती थी, पर आज वो नाईटी पहन कर टायलेट से आई. शायद उस अनजान लड़की नेहा की सांगत का असर था. वो अब अपने बैग में अपना सलवार सूट डाला तो मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि उसने एक सफ़ेद पैडेड ब्रा और काली पैन्टी भी बैग में रखी है में समझ गया की मतलब आज मेरी गदराई मासूम छोटी बहन कंचन सिर्फ़ एक नाईटी में थी.
ओह भगवान…. मेरे दिमाग ने कहा आज मेरे दिमाग में पहली बार मेरी सगी बहना के बारे में गंदे गंदे ख्याल आने लगे. अब हम बहन के लंड दोनों भाई बहन भी ऊपर की अपनी सीट पर आ गए. फ़िर मैंने ही तय किया हम अपना सर अलगअलग साईड में रखें. गदराई अनजान लड़की नेहा ने हम बहन के लंड दोनों को गुडनाईट कहा और फ़िर दीवार की साईड करवट ले ली. मेरी जल्दी हीं मुझे लग गया कि कंचन वैसे सोने में आराम नहीं महसूस कर रही है. नेहा भी यह महसूस कर रही थी. वो ही बोली, “कंचन तुम भी भाई साहब की साईड ही सर कर के सो जाओ, वो थोड़ा कमर को झुका लेंगे तो उनके पैर और सर के बीच में ज्यादा जगह हो जाएगा और तुम इतनी लम्बी हो नहीं तो आराम से उस बीच में सो सकोगी.
उस मस्त कमसिन माल अनजान लड़की के पापा तो जोर जोर से खर्राटे लेने लगे थे और अम्मी थोड़ा थकी हुई थी सो वो सो चुकी थी. करीब दस बज रहा था तब. कंचन भी अब उठी और मेरे सर की तरफ़ सर करके लेटी. उसके उठने के क्रम में उसका नाईटी पूरा ऊपर हो गया और उसकी जाँघ और बूर के दर्शन मुझे हो गए. मेरा दिल किया धक्क… और लन्ड ने एक ठुनकी मार दी. मैं एक दम से साईड मे खिसक गया था जिससे कि कंचन को ज्यादा जगह मिल सके सोने के लिए. जल्दी हीं हम सो गए, थोड़ा थकान भी थी और थोड़ा ट्रेन के चलने से होने वाले झुले के मजे की वजह से. करीब 2 बजे नाईट को मुझे बहुत जोर का गरम मूत लगा और मेरी नींद खुल गई और में ट्रेन के स्नानघर में मूतने चला गया.
मैं जब गरम मूत करके आया तो कंचन आराम से पूरी सीट पर फ़ैल गई थी. मैंने उसको एक करवट किया और फ़िर उसी करवट हो कर उसके पीछे लेट गया. मेरी नींद अब गायब हो चुकी थी और मेरे लन्ड में वैसे भी तनाव आया हुआ था. अब यह हालत…मन किया कि एक दफे जा कर मूठ मार आउँ कि लन्ड ढ़ीला हो जाए. पर तभी कंचन थोड़ा हिली और उसकायोनीड़ मेरे लन्ड से चिपक गया. मैंने अपने हाथ फ़ैला रखे थे सो वो नींद में ही मेरे बाँह पर अपना सर रख दी और मेरी तरफ़ घुम गई. उसकी खुले गले की नाईटी से उसकी चूचियों का ऊअपर का हिस्सा अब दिखने लगा था. मेरे लिए अब कठिनाई था सोना, फ़िर भी मैंने उसको बाहों से लपेट कर सोने की कोशीश की.
इसके बाद एकदम हीं वो ऊठी कि उसे भी मूत लगा था वो मुझसे कहने लगी की अभी आती हूँ स्नानघर जाकर और नीचे चली गई. कंचन नीचे उतरी और इसके कुछ वक्त बाद नेहा वापस आ गई, उसने मुझे देखा, फ़िर धीरे से मेरे कान के पास बोली, “एक लड़की के साथ कैसे सोया जाता है पता नहीं है क्या?” मैं चुप था तो वो ही बोली, “एक दफे चिपका लीजिए वो कुछ समय में शान्ति से सो जाएगी. नहीं तो उसको नींद आ भी जाए, आपको नींद अब नहीं आएगी तनाव की वजह से।” तभी कंचन लौट आई, तो वो “बेस्ट और लक…” बोल कर अपने बर्थ पर चढ़ गई, और कंचन अपने बर्थ पर. मैंने नेहा का सब इशारा समझ लिया था पर एक हिचक थी.
मैंने सोचा कि एक दफे देखते हैं वैसे सो कर, सो मैंने कंचन को अपनी तरफ़ घुमा लिया और फ़िर उसके चेहरे को दबाने और सहलाने लगा. नेहा की तरफ़ मेरी पीठ थी. पर मुझे पता था कि वो सब देख रही होगी. यह सब सोच मेरे लन्ड को और बेचैन किए जा रही थी. मैं जब कंचन के कान के नीचे सहलाया तो वो मेरे से चिपक गई, बहुत जोर से. मेरा खड़ा लण्ड अब उसके पेट में चुभ रहा था. कंचन हल्के हाथ से मेरी लुल्ली को थोड़ा साईड कर के मेरे से और चिपकी. जब उसने बेहिचक मेरी लुल्ली को अपने हाथ से साईड किया तो मुझे थोड़ी हिम्मत आई और मैंने धीरे से कहा , “सहलाओ ना उसको, कुछ समय में ढ़ीला हो जाएगा… नहीं तो नाईट भर ऐसे ही चुभता रहेगा तुम्हे, और हमको भी नींद नहीं आएगी।
उसने अपना चेहरा उप्पर उठाया और मेरे होठ से अपने होठ मिला दीये, साथ हीं अपना बाँया हाथ मेरे हाफ़ पैन्ट के भीतर घुसा दिया. अगले पल मेरा लन्ड उसकी मुट्ठी में था. मैं उसको चुम रहा था और वो मेरा फौलादी लण्ड हिलाकर मेरा मुठ मार रही थी. नेहा के बर्थ से करवट बदलने की आवाज आई तो मैं पीछे देखा, कंचन भी अपना सर ऊपर की यह देखने के लिए कि मैंने चुम्बन क्यों रोका. नेहा बर्थ पर बैठ गई थी. हम बहन के लंड दोनों भाई बहन को देखते देख उसने हमें एक फ़्लाईग किस दिया. कंचन अब सीधा लेट गई. मेरा खड़ा लन्ड अब उसकी जाँघ से चिपका हुआ था.
मैंने अब उपर से उसके होठ चूमे, तो उसने अपने जबान को मेरे मुँह में घुसा दिया. नेहा अब हमारी तरफ़ पीठ घुमा कर लेट गई. उसने वैसे भी मेरी बहुत सहायता कर दी थी. मैं कंचन की चुचियों को नाईटी के ऊपर से हीं मसल रहा था और होठ चुम रहा था. उसने मेरे हाथ को अपने जाँघ पर रख कर मुझे सिग्नल दे दिया. फ़िर मैंने उसकी नाईटी उठा दी और उसके जाँघ दबाने और सहलाने लगा. मक्खन जाँघ था उसका, एक दम ताजा हेयररिमुवर से साफ़, चिकना. बिना कुछ सोचे मैंने अपना हाथ थोड़ा और भीतर घुसा दिया. फ़िर उसके बिना झाँटों वाली मखमली बूर की मुलायमियत को महसूस किया. कंचन की आँख बन्द थी. मैं जब ऊँगली से उसकी बूर की फ़ाँक सहला रहा था तब वो खुद अपना जाँघ खोल दी और मैंने अपना एक ऊँगली बूर की छेद में घुसा दिया.
वो फ़ुस्फ़ुसाते हुए बोली, “एक दफे ऊपर आ जाईए न भाई साहब, फ़िर हम बहन के लंड दोनों को चैन हो जाएगा और नींद भी आ जाएगी।” चैन वाली बात सही थी, पर मुझे लग रहा था कि कंचन कुँवारी है, यहाँ ऐसे सब के बीच किसी कुँवारी लड़की की सील कैसे तोड़ी जा सकती है. मैंने उसके कान में कहा , “ऊपरऊपर ही कर लेते हैं, यह सही जगह नहीं है पहली बार तुमको दर्द भी होगा और ब्लड भी निकलेगा थोड़ा सा. ” वो फ़ुस्फ़ुसाई, “ऐसा कुछ नहीं होगा भाई साहब, “सब ठीक है… आप बेफ़िक्र हो कर ऊपर आ जाईए. वो सब दर्द हम पहले ही झेल लिए है।”
मैं अब सन्न…. पूछा”कौन…?, कब…?” कंचन बुदबुदाते हुए बोली, “वो सब बाद मैं पहले अभी का काम, वैसे भी ट्रेन की पूरी बौगी में सब लोग गहरी नींद में सोए हुए है, अब तो नेहा भी दुसरे करवट है”. – वो खुद हीं अपना नाईटी एकदम से ऊपर कर दी और तब पैर से लेकर चुचियों तक उसका पूरा बदन दिखने लगा था. मैं सोच में था और वो जैसे चुदाई के बिना मरी जा रही हो. उसकी मखमली मखमली बूर अब मेरे आँख के सामने थी. कंचन बोली, “अब ऊपर आईए न भाई साहब, बहुत गीला हो गया है, सुरसुरी भी तेज है”. वो रहरह कर अपना जाँघ भींच रही थी. सच में उसके बदन पर जैसे चुदास चढ़ गया था. मेरे हाफ़ पैन्ट के भीतर उसने अपना हाथ घुसा दिया और लन्ड पकड़ कर अपनी तरफ़ खींची.
मैं अब भाई बहनों के रिश्ते के सभी मरियादा भूल गया. जब मुझे लगा कि मेरी जवान सेक्सी बहन तो पहले से अपनी फुद्दी चुदाई करवा रही है, फ़िर क्या फ़िक्र. तो मैं भी अब सब भूलभाल कर मेरी सगी बहना की टाँगों के बीच बैठ गया. कंचन ने जोश में आकर तेज गति से मेरे हाफपैन्ट को कमर से नीचे सरका दिया, तो मैंने भी मेरी जवान सेक्सी बहन को थोड़ा और नीचे अपने घुटने के पास कर दिया. मेरा तगड़ा लण्ड सामने मेरी कामुक बहन की गोरी बूर देख कर पूरा ठनक गया था.
मेरी जवान सेक्सी बहन कंचन आराम से अपने टांगों को मेरे कमर से चारों तरफ़ लपेट दी. इस तरह से मेरी जवान सेक्सी बहन की जाँघ अब पूरी खुल कर चौड़ी हो गई और मैं देख रहा था कि उसकी बूर के भीतर का भाग रस से चमक रहा है. बहन की मखमली फुद्दी देखकर मेरा मन तो कर रहा था कि उसकी उस चमकदार बूर को चाट कर खा जाऊँ, पर अभी ऐसा वक्त नहीं था. कहीं कोई जाग जाए तो क्या सोचेगा की भाई बहन होकर आपस में सेक्स कर रहे हैं….
मेरी सगी मासूम छोटी बहन का गोरा बदन, सेव की साईज की चूची, सपाट पेट जो थोड़ा से नीचे की ओर था (कंचन दुबली है), एक शानदार गहरी नाभी और उसके नीचे एक लाल फ़ाँक. लड़की की वो चीज, जो हर मर्द को पैदा करती है और फ़िर हर मर्द लड़की की उसी चीज के लिए बेचैन रहता है. मैंने कंचन की लाल फ़ाँक को अपने हाथ से खोला और उसका छोटा सा छेद नजर आया. यही वो छेद है जो मुझे आज अभी असीम आनन्द देने वाला था. मेरे हाथ जैसे हीं उसकी बूर से सटे उसकी आँखें बन्द हो गई. मैंने अब अपना थुक अपनी लन्ड के सुपाड़े पे लगाया और फ़िर बाँए हाथ से अपना लन्ड पकड़ कर अपने सबसे मासूम छोटी बहन के चिकने बूर के मुँह से टिका दिया.
फ़िर उसके बदन पर झुकते हुए पूछा, “ठीक है सब…कंचन?” वो आँख बन्द किएकिए हीं बोली, “हाँ भाई साहब, अब घुसा दीजिए अपना वाला पूरा मेरे भीतर….दो बदन एक जान बन जाईए।” मैंने अब अपने कमर को दबाना शुरु किया, और मेरा लन्ड मेरी जवान सेक्सी बहन की बूर को फ़ैलाते हुई भीतर घुसने लगा. सुपाड़ा के जाने के बाद, उसका बदन हल्के से काँपा और मुँह से आवाज आई, जैसे वो गले और नाक दोनों से निकली हो…”आआआह्ह्ह”. मैंने अब एकशॉट दिया अपनी कमर को और पूरा ७” भीतर पेल दिया. कंचन के मुँह से एक कराह निकली जिसे उसने होठ भींच कर आवाज को भीतर हीं रोकने का प्रयास की, पर फ़िर भी जब जवान लड़की जब चुदेगी तो कुछ तो आवाज करेगी…सो थोड़ा घुटा हुआ सा आवाज हो हीं गई।
आवाज सुन हमारे सामने के बर्थ पर हमारी तरह पीठ करके लेटी हुई जवान लड़की नेहा हमारी तरफ़ पलट जाए. कंचन की तो आँख मजे से बन्द थी. – मैं नेहा को अपनी तरफ़ मुड़ते देख सकपकाया, पर नेहा ने मुझे अपना सर हिला कर इशारा किया कि मैं चालू रहूँ. मैंने अपने दोनों हाथों से कंचन के दोनों कंधों को जकड़ लिया था, मेरे जाँघ उसकी दोनों जाँघों में फ़ंस कर उन्हें खोले हुए थे, मेरा लन्ड उसकी बूर के भीतर धँसा हुआ था….और एक अदद जवान लड़की हम बहन के लंड दोनों भाई बहन से करीब ४ फ़ीट की दूरी पर लेटी हम बहन के लंड दोनों को घुर रही थी. यह शानदार सोंच हीं मेरे लिए किसी वियाग्रा से कम न था. मैंने अपने कमर को उपरनीचे चलाना शुरु किया, यानि अब मैंने अपने बहन की वास्तविक वाली चुदाई शुरु कर दिया.
कंचन के मुँह से कभी ईईस्स्स्स्स तो कभी उउउम्म्म्म्म निकल जाता था. पर अब मुझे कोई फ़िक्र नहीं थी उस माड़वाड़ी दम्पत्ति की….जो हमारे बर्थ के ठीक नीचे सोए थे. वैसे भी मैं अपनी गरम माल बहन चोद रहा था, किसी को इस बात से क्या फ़र्क पड़ जाता. मैंने अपने कोमल होंठ कंचन की होठ से लगा दिया और चुदाई जारी रखी. करीब ७८ मिनट बाद मेरा छुटने लगा तो मैं थोड़ा रुका और बोला, “मेरा अब निकल जाएगा, मैं बाहर खींच लेता हूँ।” कंचन बोली, “ठीक है जैसे हीं निकलने वाला हो बाहर निकाल कर मेरे पेट पर गिरा दीजिएगा.
इसके बाद मैंने फ़िर से शोर्ट लगाने शुरु कर दिए और करीब २० बार बूर पेलने के बाद लन्ड खींच कर बाहर कर दिया कि तभी लन्द से पिचकारी छूटी और मेरा सब स्पर्म उसके पेट छाती सब से होते हुए लिप्स के करीब तक चला गया. दूसरी बार पिचकारी छुटने से पहले मैंने लन्ड के दिखा को ठीक किया जिससे बाकी का सब स्पर्म कंचन के गहर पेट पर गिरा. नेहा अब नीचे उतरी एक रुमाल बैग से निकाल कर हम लोगों को दिया जिससे हम अपना बदन साफ़ कर सकें. फ़िर वो बोली, “अब एक दफे मुझे भी चाहिए रेल गाड़ी में चुदाई का आनंद…अपनी गरम माल बहन को तो चोद लिया अब मेरे बर्थ पर आ जाओ और मुझे भी चोद लो”.
दोस्तों डर के मारे मेरी टट्टी से भरी चूतड़ फट रही थी मैंने नीचे उसके अम्मी पापा की तरफ़ देखा. वो बोली, “कोई डर की बात नहीं है मैं हूँ ना… अभी डेढ़ बजा है, दो बजे तक मेरी भी चुदाई कर दो फ़िर सेक्स करने के बाद हम सब सो लेंगे।” मैं अभी भी चुप था, तो वो कंचन से कहने लगी, “तुम मेरे बर्थ पर चली जाओ सोने, मैं ही इसके साथ तुम्हारे बर्थ पर आ जाती हूँ, अब अगर अम्मी पापा जाग भी गए तो वो मुझे दोष देंगे न कि तुम्हारे इस डरपोक भाई को” और वो सच में मेरे बर्थ पर चढ़ गई. कंचन चुपचाप अपनी पैन्टी अपने हाथ में ले कर उतर गई. अब मैं समझा कि यह लड़की क्यों मुझे और कंचन को इतना हिम्मत दे रही थी. – जो अपने माँबाप के मौजूदगी में ऐसे एक लड़के से चुदवाने को तैयार हो वो क्या चीज होगी.
मेरा फौलादी लण्ड अपना पानी निकाल कर अब थोड़ा शान्त हो रहा था, जिसको वो बिना हिचक अपने मुँह में ले कर चुसने लगी और एक मिनट भी न लगा होगा कि मेरा लन्ड फ़िर से इतना तंग हो गया था कि एक दफे फ़िर किसी तंग बूर की सील भी तोड़ सके. नेहा अब पलट गई और कुतिया वाला पोज बना ली. फ़िर अपना नाईटी कमर तक उठा ली और तब उसका इरादा समझ मैं उसकी पैन्टी को खोलने लगा. बहुत ही मुलायम पैन्टी थी उसकी. मैंने उसके बूर की फ़ाँकों को अपने हाथों से खोला और पीछे से बूर मे लण्ड पेल दिया. वो अब अपना सर नीचे करके सीट से टिका ली और मुझसे चुदवाने लगी. ( रेल गाड़ी में चुदाई करी गहरी नींद में सो रही अनजान लड़की और बहन की Hindi Chudai Ki Kahani )
लाख प्रयास के बाद भी चुदाई करते वक्त एक दो बार थपथप की आवाज हो ही जाती जब मेरा बदन उसके माँसलयोनीड़ से टकराता. तभी उसकी अम्मी ने करवट बदली… और मैं शान्त हो गया. वो अब मुझे हटा कर सीधा लेट गई और अपने पैर को घुटनों से मोड़ कर अपना जाँघ खोल दिया. उसकी बूर पर बाल थे, करीब आधा ईंच के, शायद वो १५२० दिन पहले झाँट साफ़ की थी. उसके इशारे पर मैं अब फ़िर ऊपर से उसकी खतरनाक चुदाई करने लगा. फ़चफ़च…फ़चफ़च की आवाज हो रही थी. तुलना करूं तो कंचन के ज्यादा खुला हुआ और ज्यादा फूली हुई थी नेहा की बूर.
करीब १५ मिनट बाद मैं फ़िर से झड़ने वाला था, जब मैं बोला, “अब निकलेगा मेरा गरमा गरमा माल…”, वो बोली, “कोई बात नहीं अभी कल हीं मेरा मासिक धर्म खत्म हुआ है, अभी सबसे सेफ़ वक्त है फुद्दी में माल लेने का…. मेरे फुद्दी में हीं निकाल लो।” उसकी बात खत्म होतेहोते मेरा लण्ड ठुनकी मारने लगा और तीसरे ठुनकी पर स्पर्म की पिचकारी उसकी बूर के भीतर हीं छुट गई. मैं अब थक कर निढाल हो गया था. नेहा बोली, “जाओ जा कर अपनी गरम माल बहन के पास सो जाओ, मैं अब यहीं सो जाऊँगी…” और फ़िर मेरे होठ पर हल्के से चुम्मा लिया, “थैन्क्यु…”. मैं चुपचाप उस बर्थ से नीचे उतर गया. नेहा ने भी अब बिना किसी फ़िक्र के अपनी पैन्टी पहन ली, उसके बूर से तब भी मेरा स्पर्म बाहर की तरफ़ बह रहा था.
मैं अब फ़िर से मेरी जवान सेक्सी बहन कंचन के पास आ गया था. वो अभी अभी सीधा लेटी थी, जब मैं बर्थ पर चढ़ रहा था. वो भी मुझसे नेहा को चुदाते हुए वैसे हीं देखी थी जैसे नेहा देखी थी जब वो अपने भाई से चुदवा रही थी. हम बहन के लंड दोनों अब एकदूसरे से चिपक के सो गए. अब कोई लाजशर्मझिझक परेशानी नहीं ही. सवा दो बज रहा था. हम सब को नींद आ गई. – सुबह जब मेरी नींद खुली तब मुझसे पहले हीं वो मड़वाड़ी दमपत्ति ऊठ चुका था. नेहा मेरे साथ हीं उठी, मुझे देख कर मुस्कुराई और मेरे नीचे उतरने से पहले हीं उठ कर स्नानघर की तरफ़ चली गई. उसकी अम्मी अपने बाल कंघी कर रही थी, जबकि उसके पापा हमारे बर्थ के सामने वाले बर्थ पर नीचे बैठे थे और हमारी बर्थ की तरफ़ देख रहे थे.
कंचन अपने बाँए बाँह को मेरे सीने से लपेते हुए थी. उसके एक पैर मेरे कमर को लपेटे हुए था और वो अभी भी बेसुध सोई थी. इस तरह सोने से उसकी नाईटी उसके आधे जाँघ से भी उपर उठ गई थी और नेहा का बाप मेरी जवान सेक्सी बहन की न्यूड जाँघों को घुर रहा था. मैंने कंचन की पकड़ से अपने को आजाद किया और फ़िर हल्के से उठ कर घड़ी देखा. ६:३० हो चुका था, और डब्बे में हलचल शुरु हो गया था. मुझे जागा देख कर उस माड़वाड़ी ने मुझे “गुडमार्निंग” कहा , मैंने भी उत्तर देते हुए नीचे उतरा. गरम मूत जोरों की लगी हुई थी, सो मैं अपना ब्रशटौवेल ले कर टायलेट के तरफ़ चला गया. लौट कर आया तब तक कंचन भी जाग गई थी, और मुझसे नजर भी नहीं मिला रही थी. मेरा भी यही हाल था।
नाईट की सारी चुदाई याद आ रही थी. नेहा को इस सब से कोई फ़र्क नहीं पड़ा था. वो मुस्कुराते हुए बोली, “नाईट अच्छी कटी…है न?” मैं कुछ बोलूँ उसके पहले ही उसके पापा ने कहा , “नाईट कौन कराह रहा था….हल्के हल्के किसी लड़की की आवाज थी…आआह्ह आअह्ह्ह जैसा कुछ…मुझे लगा कि रीमा (नेहा की अम्मी) की आवाज है, सो एक दफे उसकी तरफ़ घुम कर देखा भी, पर वो तो नींद की गोली ले कर सोई थी. फ़िर मुझे भी नींद आ गई….”. नेहा मुस्कुराते हुए बोली, “अरे नहीं पापा, मुझे भी लगा था आवाज, देखी कि कम जगह की वजह से कंचन, भाई साहब से दब जाती थी… तो वही कराहने जैसा आवाज हो जाता था. फ़िर शायद दोनों को एक साथ सोने आ गया तो फ़िर वो लोग शान्ति से सोए नाईट भर.।”
वो साली छिनाल रांड , कंचन मेरे नीचे दब कर कराह रही थी कह रही थी, और अपना नहीं सुना रही थी खुद कैसे कुतिया वन कर चुदी और कैसीकैसी आवाज निकाल रही थी. रीमा जी भी बोली, “हाँ दो बड़े लोग को एक बर्थ पर सोने में परेशानी तो होती ही है…”. मुझे यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि ये दोनों कैसे माँबाप हैं कि बेटी जिस बर्थ पर सोई, उसके सामने वाले बर्थ पर जागी, और वो दोनों हम भाई बहन की बात कर रहे थे…फुद्दीिये साले. सफ़र में मिली अनजान लड़की नेहा ने उन सब से नजर बचा कर मुझे आँख मार दी. खैर कुछ समय ग्पशप के बाद हम सब से नाश्ता किया और फ़िर कंचन बोली, “सलवारसूट पहन लेते हैं अब…”, पर उसकी बात नेहा ने काट दी, “करना है सलवारसूट पहन कर.. ऐसे आराम से जब मन तब ऊपर जा कर सो रहेंगे, इतना लम्बा सफ़र बाकि है।”
इसके बाद मेरे से नजर मिला कर बोली, “नाईट में तो फ़िर नाईटी हीं पहनना है, इसमें खुब आराम रहता है, जैसे चाहो वैसे हो जाओ…इस तरह का आरामदायक कपड़ा लड़कों के लिए तो सिर्फ़ लूँगी ही है”, फ़िर मुझसे पूछी, “आप लूँगी नहीं पहनते?” मुझे लगा कि अगर मैं थोड़ी हिम्मत करूँ तो साली बाप के सामने चूदने को तैयार हो जाएगी. मैंने बस हल्के से अपना सर नहीं में हिला दिया. फ़िर सब इधरउधर की बात करने लगे. कंचन और नेहा एक सीट पर बैठ कर फ़ुस्फ़ुसाते हुए बातें करने लगी, जैसे दो सहेलियाँ करती हैं. नाईट करीब 11 बजे दोनों लड़कियाँ सोने के मूड में आ गई….मैं और प्रोमोद जी (नेहा के पापा) आमने सामने बैठे आपस में राजनीति की बातें कर रहे थे.
नेहा मेरे सामने वाले बर्थ के ऊपर चढ़ने लगी और कंचन प्रोमोद जी के सामने वाले बर्थ पर. नाईटी पहन कर ऊपर की बर्थ पर चढ़ना इतना आसान भी नहीं होता, सो वो जब नाईटी ऊपर चढ़ा कर बर्थ पर चढ़ने लगी तो उसकी पैन्टी साफ़ दिखने लगी. मेरे स्पर्म से उसपर एक निशान सा बन गया था. मुझे उसकी पैन्टी को ऐसे घुरते हुए रीमा जी ने देखा तो अपनी बेटी से कहने लगी, “नाईटी नीचे करो ना थोड़ा… बेशर्म की तरह लग रहा है”. मैं समझ गया कि वो क्या कह रही है. मेरा ध्यान अब प्रोमोद जी की तरफ़ गया. वो बेचारा मुँह आधा खोले मेरी जवान सेक्सी बहन की तरफ़ देख रहा था. मैंने कंचन की तरफ़ सर घुमाया. उसने एक पैर ऊपर की बर्थ पर रख लिया था और एक अभी भी सीढ़ी पर हीं था।
पैन्टी तो नहीं पर उसकी जाँघ पूरी दिख रही थी. मुझे थोड़ा संतोष हुआ… साला मेरे घर के माल का सिर्फ़ जाँघ देखा और मैंने उसके घर की माल की पैन्टी तक देखी. फ़िर ख्याल आया, उसकी मेरे से क्या बराबरी… मैंने तो उसकी बेटी की बूर की छेद में अपना माल तक थूका था. साला कहीं मेरे बच्चे का नाना बन गया तो…, मुझे अब अपने ख्याल पर हँसी आ गई. जल्दी हीं दोनों बेसुध सो गईं. करीब ३ घन्टे बाद २ बजे हमने उन दोनों को जगाया, जब खाना खाने की बारी आई. फ़िर सब बैठ कर ताश खेलने लगे. कंचन तो ताश खेलना आता नहीं था सो वो नेहा के पास बैठी देख रही थी. उन दोनों लड़कियों के सामने वाले बर्थ पर हम बहन के लंड दोनों थे.
मैं और रीमा जी पार्टनर थे और नेहा और उसके पापा एक साईड थे. मेरे और रीमा जी की टीम घन्टा भर बाद आगे हो गई. अब हम बोर होने लगे थे, सो गेम खेल बन्द करना चाहते थे… पर नेहा की जिद थी कि वो जीतते हुए गेम खेल को बन्द करेगी…सो हम गेम खेल रहे थे. थोड़े वक्त बाद वो भी बोर हो गई, सो अब आखिरी बाजी फ़ेंटी गई. नेहा ने जोश से कहा , “पापा यह अंतिम बाजी हम हीं जीतेंगे….अंत भला तो सब भला…”. फ़िर उसने अजीब काम किया. – अपने पैर ऐसे मोड़ कर बैठ गई कि घुटने के ऊपर छाती के पास जाने से नाईटी के सामने वाला भाग घुटने के सथ ऊपर चला गया और नाईटी के पीछे का भाग उसकी योनीड़ से दबा हुआ सीट के नीचे लटका रह गया.
उसकी गोरी गोरी जाँघ और उन गोरी जाँघों के बीच फ़ँसी हुई हल्के पीले कलर की पैन्टी अब मेरे और उसके पापा के सामने थी. उसकी पैन्टी पर उसकी बूर के ठीक सामने मेरे स्पर्म से बना एक धब्बा साफ़ दिख रहा था. मेरा ध्यान अब बँटने लगा था. प्रोमोद जी ने भी देखा सब पर अब जवान बेटी से कहें कैसे कि वो गन्दे और बेशर्म तरीके से एक जवान लड़के के सामने बैठी हुई है. पता नहीं वो कैसा महसूस कर रहे ते…पर वो बारबार देख जरूर रहे थे अपनी बेटी के उस सबसे प्राईवेट अंग को. रीमा जी को तो यह सब पता हीं नहीं चल रहा था, वो बैठी हीं ऐसे कोण पर थीं.
अंतिम दो पत्ते हाथ में थे, और अगर सब ठीक हुआ तो मेरी टीम जीत जाती, पर जब मेरे चाल चलने की बारी आई तो मेरी निगाहें फ़िर से नेहा की पैन्टी की तरफ़ ऊठी और उसने अपने बूर से सटे पैन्टी के एलास्टीक के पास ऐसे खुजाया कि वो एलास्टीक एक तरफ़ हो गया और मुझे (और शायद प्रोमोद जी को भी) उसकी फुद्दी के साईड में जमे हुए कालेकाले झाँटों के दर्शन हो गए. – एक जरा सा और कि मुझे उसकी कोमल बूर की फ़ाँक दिख जाती. तभी उसे लग गया कि उसका बाप भी उसकी बूर को इस तरह से खुजाते हुए देख रहा है… वो थोड़ा हड़बड़ाई, सकपकाई और जल्दी से अपने पैर नीचे कर लिए. पर मैंने उसको इस शादार अदा का ईनाम दे दिया, एक गलत पत्त फ़ेंक कर…इस तरह से वो प्यारी लड़की जीत गई.
करीब ६ बजे मैं जब एक स्टेशन पर नीचे उतरा तो वो भी साथ में उतरी. कंचन फ़िर से ऊपर लेटने चली गई थी. वहाँ स्टेशन पर हम बहन के लंड दोनों कुत्ते कमीनो ने कोल्डड्रीन्क पी. और फ़िर वहीं नेहा ने मुझसे सब राज खोला. उसी ने कंचन को जब कहा कि आज नाईट उसके मजे हैं वो पूरी नाईट जवान मर्द से चिपक कर सोएगी तो कंचन उसको कहने लगी थी कि उससे क्या होगा, मेरे भाई साहब हैं वो…कोई और होता तो कितना आनंद आता, हिलते हुए रेल गाड़ी में निचले होठ से केला खाते…. तब नेहा ने उसको हिम्मत दिया कि वो इशारा करेगी और फ़िर अवसर मिलने से कंचन न शर्माए….
दोनों गदराई और जवान लड़कियाँ यह सब पहले हीं तय कर चुकी थीं और उसी प्लान से दोनों नाईटी पहन कर चुदवाने के लिये तैयार भी थी. फ़िर मुझे उकसा कर उसने आखिर मुझे नेहा के ऊपर चढ़ा दिया. फ़िर वो बोली, “आज नाईट में मैं आपके साथ सोऊँगी…फ़िर पता नहीं अवसर मिले या ना मिले रेल गाड़ी में चुदवाने का. चलती ट्रेन के हिचकोले और साथ में फुद्दी के भीतर लण्ड के शोर्ट एक साथ कमाल का आनंद देते हैं।” – मैंने उस से कहा, “और तुम्हारे अम्मी पापा…?” वो बोली, “मैं उन्हें नींद की गोली दे दुँगी एक माईल्ड सी…अम्मी तो वैसे हीं लम्बे सफ़र में खा कर हीं सोती है, पापा को किसी तरह दे दुँगी. वैसे भी उनकी नींद गहरी होती है. आज नाईट भर में कम से कम तीन बार चुदाना है मुझे….”
मैं बोला, “मेरा तो बैण्ड बज जाएगा…” वो हँसते हुए बोली, “अब बैण्ड बजे या बानाईट निकले, पर तीन से कम में मैं सब से कह दुँगी की तुम मुझे और अपनी गरम माल बहन दोनों की खतरनाक चुदाई करते हो नाईट में….सोच लो।” वो अब खुल कर हँस रही थी…हाहाहाहा… मैं उसको डब्बे के तरफ़ ले जाते हुए कहा , “साली बहुत कमीनी चीज हो तुम…पक्का रांड हो…” और मैं भी हँस दिया. वो मेरी गाली का उत्तर दी, “और तुम हो पक्के रांडबाज….साले बहिनचोद…” – हम अब फ़िर से अपने सीट पर आ गए थे. इधरउधर की बातें करते हुए वक्त कट गया….और फ़िर से करीब ८ बजे खाने के बाद सोने का मूड बनने लगा.
दिन भर बातें वातें करके वैसे भी सब थकने लगे थे और कुछ लोग तो लगभग सो गए थे. अंत मैं नेहा ने बड़ी चालाकी एक आधे बोतल पानी में एक गोली घुला दी, फ़िर आदतन जब सोने के पहले प्रीतन जी ने पानी माँगा तो वही पानी देते हुए मुझे आँख मारी…यनि अब सब सेट है. ९:३० बज रहा था और रीमा जी सो चुकी थी. कंचन जागी हुई थी, और उसको लग रहा था कि आज भी उसे चुदना होगा सो वो इसी चक्कर में थी कि वो चुद जाए फ़िर सोएगी. वो अब सोने के पहले गरम मूत करने के लिए गई, और जब लौटी तो कहने लगी कि चार कम्पार्ट्मेन्ट बाद जा कर देखिए….हमसे भी आगे के लोग है इस रेल गाड़ी में.
मैं और नेहा उस तरफ़ चल दिए. वहाँ एक प्रेमी जोड़ा रेल गाड़ी में बेझिझक चुदाई करते हुए अपनी कामवासना शान्त करने में लगा हुआ था. नीचे के एक बर्थ पर दोनों कमर से नीचे पूरी तरह से नंगे थे. करीब २४२५ साल की लड़की के मुँह में शायद उसकी पैन्टी हीं घुसा दी गई थी कि उसके मुँह से ज्यादा आवाज न हो. गूँगूँ की आवाज निकल रही थी फुद्दी में लगने वाले हर शोर्ट के साथ. – सिर्फ़ एक ब्लाऊज था बदन पर. काली दक्षिण भारतीय लड़की थी वो. उसको एक करीब ३० साल का मर्द जो पूरी तरह से नंगा था चोद रहा था. आसपास में सब सोए थे, या पता नहीं कहीं सोने का नाटक करके उनकी खतरनाक चुदाई देख हीं रहे हों. उस काली लड़की की चुद रही फुद्दी के भीतर का भाग गजब का लाल दिख रहा था।
हमारे देखते देखते उस मर्द ने उसकी फुद्दी के भीतर हीं पानी छोड़ दी और जब उसने अपना लन्ड बाहर खींचा तो सफ़ेद मलाई फुद्दी से बाहर बह निकला. आब उन दोनों ने हमें देखा और झेंप गए. लड़की ने जल्दी से साड़ी उठा कर अपना बदन ढ़का और सर नीचे करके बैठ गई. उस लड़के ने बताया कि वो उसकी जोरू है….. नेहा ने तुरन्त कहा , “शुभकामनाएँ…अगर यह जोरू न होती तो ज्यादा शुभकामना देती…”. पता नहीं वो क्या समझा, पर हम बहन के लंड दोनों वहाँ से हँसते हुए अपने जगह पर चले आए. कंचन पूछी,”देखे…कैसे बेशर्म थे, नीचे की सीट पर यह सब कर रहे थे?” नेहा बोली, “ये कौन सी बेशर्मी थी, यह तो कुछ नहीं था….आज मुझे देखना, पूरी नाईट बिल्कुल न्यूड हो कर चुदाऊँगी और पूरा आवाज निकालनिकाल कर. सब जान लें कि अच्छे से चुद रही हूँ।” कंचन बोली, “चलो देखते हैं तुमको भी….
वो लोग तो नीचे हीं बिना किसी से लजाए शुरु हो गये थे, और इसके बाद तुम कौन सा तीर मार लोगी…”. उसने भी कंचन का चैलेंज स्वीकार किया और फ़िर वहीं खड़े खड़े अपना नाईटी खोल दिया. अभी हमारे कंपार्टमेंट की बत्ती पूरी तरह से जली हुई थी. उसके अम्मी पापा वहीं बर्थ पर सोए थे और यह बेशर्म उन दोनों के बीच में अधनंगी खड़ी हो गई. लाल पैडेड ब्रा और हल्के पीले कलर की पैन्टी में. ५’ २” लम्बी नेहा का सफ़ेद बुस्शाक बदन पूरी रोशनी में दमक उठा था. एक संपन्न घर की माड़वाड़ी लड़की थी. पिछली नाईट को तो कपड़े उतारे नहीं थे मैंने दोनों में से किसी लड़की के सो, अब पहली बार बिना नाईटी के नेहा का बदन दमक रहा था.
उसने फ़िर अपने बाल की क्लीप खोली और अपने कंधे तक लम्बे बाल अपने चेहरे के दोनों तरफ़ ठीक से फ़ैला लिए. उसकी काँख में भी बाल थे जैसे उसकी बूर पे थे, करीब १५२० दिन पहले के साफ़ किए गए. बालों को ठीक करते हुए वो अपने गोरीगोरी काँखों के गढ़्ढ़े में निकले हुए काले घने हल्के से घुंघराले बालों का खूब जम कर दीदार कराई. मुझे डर था कि कहीं उसके माँ बाप में से कोई जाग न जाए. पर वो आज खुद को बेशर्म साबित करने में लगी हुई थी. वहीं खड़े खड़े उसने मुझे निमंत्रण दिया, “आ जाओ अब यहीं मैं टेबुल पकड़ कर झुकती हूँ तुम पहले मुझे मादा कुतिया बनाकर पीछे से चोदो, यहीं नीचे… कंचन को भी पता चले कि उस महिला से ज्यादा गंदी मैं हूँ।” मैं घबरा गया और बोला, “हट… पागल हो गई है क्या … ये लोग जाग गए तो…तुम तो उनकी बेटी हो, मुझे वो कहीं का नहीं छोड़ेगे. यहाँ ऊपर कम से कम कुछ पर्दा तो होगा।”
मुझ बहनचोद की बहन कंचन आराम से सब तमाशा देख रही थी. नेहा ने मेरे न का पक्का ईरादा महसूस किया तो हथियार डाले और बोली, “ठीक है, फ़िर पर नाईट भर में कमसेकम तीन बार मुझे चुदना है, बहन को आज की नाईट छोड़ो…उसको तो कभी भी चोद लोगे।” फ़िर उसने अपनी ब्रापैन्टी नीचे खड़ेखड़े हीं खोली और अपनी प्यारी माँ के बर्थ पर डालते हुए कहा , “कैसे हरामी हो कि तुम्हें एक जवान लड़की को तब पेलने का अवसर मिल रहा है जब उस लड़की की एक तरह माँ लेटी है और एक तरफ़ उसके पापा… फ़िर भी तुम उसे वहाँ नहीं चोदोगे… अपने पलंग पर हीं चोदोगे, बेवकूफ़…।” मैंने अब कह दिया, “सब के अलग अलग संस्कार होते हैं…”.
वो अब ऊपर मेरे बर्थ पे चढ़ते हुए बोली, “हाँ बे बहनचोद…तुम्हारा संस्कार मुझे पता है…एक मिनट में बहन की फुद्दी में अपना लण्ड घुसा कर उसमें से अपना बच्चा पैदा कर दोगे।” मुझे बहुत शर्म आई ऐसे उसकी बात सुन कर और कंचन तो शर्म से लाल हो गई पर अब हम बहन के लंड दोनों के लिए यह बात सौ फ़ीसदी सच थी सो हम बहन के लंड दोनों उस बात पर नजर नीची करने के अलावे और क्या कर सकते थे? मैंने बत्ती बन्द कर दी तो उसने नाईट बल्ब जला लिया और बोली, “कल तो जैसेतैसे हुआ…आज मुझे बिल्कुल एक सुहागन दुल्हन जिसे सुहाग रातको चुदती है वैसे प्यार और मोहब्बत से चोदो, पूरी तरह से गरम करके, फ़िर मुझे चोदकर ठण्डा करो” और इसी के साथ वो मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे होठ चुसने लगी.
मेरे पास अब कोई ऊपाय नहीं था सो मैं भी शुरु हो गया. कुछ वक्त की चुम्माचाटी के बाद मैंने उसको नीचे लिटा लिया और उसकी झाँटों भरी बूर पर अपने होठ लगा दिया, और इस बार वो जिस तरह से वो उईई माँ बोली, मैं डर गया. आवाज कम से कम २० फ़ीट गई होगी दोनों तरह…लगभग पूरी बौगी ने सुना होगा (अगर जो कोई जगा हुआ हो तो). मैंने अपना मुँह हटा लिया, तो उसको समझ में आया, वो कहने लगी “अच्छा अब चाटो, मैं हल्ला नहीं करुँगी… – ” सच में इसके बाद वो हल्केहल्के सिसकी भरने लगी और मैं अब आराम से उसके बूर को चाटता हुआ मजे लेने लगा.
मेरे दिमाग में था कि यह सब कंचन देख रही है…अब अगली बार उसकी बूर भी पहले चाटुँगा फ़िर चोदुँगा. क्या वो मुझसे अपना बूर चटवाएगी, या शर्म से ना कह देगी? क्या मैं उसके साथ जबरद्स्ती करके उसकी बूर चाट पाऊँगा? फ़िर ख्याल आया – अरे वो तो मुझसे पहले ही किसी और से सेक्स करती रही है, ऐसी मस्त कमसिन माल लड़की को कोई वैसी हड़बड़ी में तो चोदा नहीं होगा जैसी कल नाईट मैंने चोदी… और क्या पता कहीं मेरी जवान सेक्सी बहन लण्ड भी चूसती हो, अब तो बिना उसके मुँह से सुने कुछ जानना कठिनाई है. नेहा अब कसमसाने लगी थी. वो कभी जाँघ भींचती तो कभी कमर ऊठाती. मुझे पता चल गया कि अब यह लैण्डिया चुदास से भर गई है सो मैं उठा और उसकी जाँघो को खोलते हुए उसके टाँगों के बीच में घुटने के बल बैठा.
वो समझ गई कि अब उसकी फुद्दी चुदाई होने वाली है सो वो भी अब शान्त हो कर आने वाले पल का इंतजार करने लगी. मैंने उसके बूर की फ़ाँकों को खोल कर उस पर अपना लण्ड भिरा दिया और फ़िर उसकी काँख के नीचे से अपने दोनों हाथ निकाल कर उसके कँधों को पकड़ लिया फ़िर अपने मांसल जाँघों से उसकी खुली हुई आमंत्रण देती जाँघो को दबा कर एक तरह से ऐसे स्थिर कर दिया कि अब अगर वो कुँवारी होती और उसकी सील तोड़ी जा रही होती तब भी उसके हिलन सकने की संभवना कम हीं थी.
अपनी फुद्दी चुदाई में देर होता देख वो बोली, “ओह, ऐसे सेट करके भी इतना देर…” मैंने अब उसको कहा , “तुम्हीं कहने लगी थी ना कि ऐसे चुदना है जैसे सुहागरात पर अनचुदी दुल्हन चुदती है…सो मैंने अब तुमको वैसे हीं जकड़ लिया है जिस तरीके से ज्यादातर सुहागन दुल्हन की सील टुटती है सुहागरात में. अब अगर एक झटके में भी लड़की की अनचुदी फुद्दी की सील टुटेगी तब भी आँख से चाहे जितना आँसू बहे पर वो बिना अपनी सील टुटवाए निकल नहीं सकेगी मर्द की गिरफ़्त से।” इसके बाद मैंने उसकी बूर में लण्ड पेल दिया….फ़ीच्च… की आवाज हुई और पूरा का पूरा लण्ड जड़ तक भीतर. नेहा भी इस लण्ड से प्रहार से हल्के से मस्त तरीके से आआअह्ह्ह्ह्ह्ह…. की और फ़िर अपने आँख बन्द कर लिए. मेरे लिए यह इशारा थ कि अब मैं अपनी चोदनकला का प्रदर्शन करूँ, सो भी अब शुरु हो गया.
मैंने अपनी गरम माल बहन की तरफ़ देखा, जो आराम से अब रोशनी में मुझे एक जवान लड़की को चोदते हुए देख कर मुस्कुरा रही थी. उसने मुझे एक थम्सअप दिया और आँख मारी. मैंने अब उसकी चिन्ता छोड़ दी और नीचे पड़ी नेहा की खतरनाक चुदाई करने लगा….गच्च गच्च फ़च्च फ़च्च… गच्च गच्च फ़च्च फ़च्च… की आवाज उसकी चुद रही बूर से निकल कर माहौल को हसीन बना रही थी, और मैं उसके भूल गया कि जिस बर्थ पर उसको चोद रहा हूँ उसके नीचे उसका सगा बाप सोया हुआ है और सामने की बर्थ पर उसकी माँ सोई है. बल्कि उसकी अम्मी का चेहरा तो हमारी बर्थ की तरफ़ हीं था और उसकी बेटी भी इस सब से बेफ़िक्र हो कर मस्त हो कर एक अजनबी से रेल गाड़ी में ठीकठाक रोशनी में आह आह… ओह ओह.. करके चुदा रही थी.
करीब ५० शोर्ट अपनी बूर में लगवाने के बाद नेहा बोली, “अब तुम लेटो और मैं तुम्हारी सवारी करती हूँ।” फ़िर मुझे नीचे लिटा कर नेहा मेरे ऊपर चढ़ गई और ऊपर से उछलउछल कर मुझे पेलने लगी. इसी तरह मेरे चुदाई करने वाले डंडे से अपनी बूर को रगड़ते हुए उसका बदन काँपा तो मैं समझ गया कि अब यह खलास हो रही है, तभी मैं भी झड़ गया, बिना उसको बताए…उसकी बूर में मेरे चुदाई करने वाले डंडे ने भरपूर थुक निकाला, सफ़ेदसफ़ेद….लसलसा…चिपचिपा सा मेरा स्पर्म उसकी बूर को भर दिया. उसे इसका आभास हो गया था, वो मुस्कुराते हुए मेरे ऊपर से हटी और न्यूड ही नीचे उतर गई।
नीचे की बर्थ पर एक तरफ़ उसकी माँ सोई थी और दूसरी तरफ़ उसका बाप और वो बेशर्म अपनी बूर में मेरा सफ़ेदा लिए बीच में खड़ी थी. उसकी झाँटों पर मेरा सफ़ेदा लिसड़ा हुआ साफ़ दिख रहा था और उसकी बूर से पानी उसकी भीतरी जाँघों पर बह रहा था. उसने आराम से अपनी अम्मी के रुमाल से अपनी बूर पोछी और मुझे नीचे आने का इशारा किया. मेरा दिल धक से किया, क्या फ़िर इसको नीचे चुदवाने का भूत सवार हो गया. मेरे ना में सिर हिलाने पर उसने गुस्से से मुझे जोर से डाँटते हुए कहा , “नीचे और नहीं तो मैं जोरजोर से चिल्लाने लगुँगी” और उसने एक दफे पुकारा भी “आह… अम्मी,,,अम्मी…”. मेरा तो अब उसका यह ड्रामा देख चूतड़ फ़टने लगी मैं तोलिया लपेट जल्दी से नीचे आया.
कंचन यह सब देख कर हँस पड़ी. नेहा वहीं नीचे खिड़्की पकड़ कर झुक गई और अपना एक हाथ अपने जाँघों के बीच से निकाल कर अपने बूर की फ़ाँक खोल दी. किसी बछिया की बूर जैसी दिख रही थी उसके बूर की अधखुली फ़ाँक. मेरे पास अब कोई चारा नहीं था. मेरा लन्ड एक दफे हीं झड़ा था और उसमें अभी भी पूरा कसाव था. मैंने एक नजर उसके खर्राटे लेते बाप के चहरे पर डाली और फ़िर बिना कुछ सोचें उसकी बूर में लन्ड घुसा दिया. एक मीठी आआअह्ह्ह्ह्ह के साथ नेहा अपने बूर में मेरे लन्ड को महसूस करके शान्त हो गई. मैं अब हल्केहल्के उसको पेलने लगा था, कि आवाज कम से कम हो. – नेहा भी शान्त हो कर चुद रही थी, हाँ बीचबीच में वो अपने माँबाप की तरफ़ भी देख लेती थी. जल्दी हीं मेरा ब्लड गर्म हो गया और मैंने सही वाले शोर्ट लगाने शुरु कर दिए. आअह्ह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह ओह ओह से शमां बंधने लगा था.
जल्द हीं मैं उसकी बूर में फ़िर से झड़ गया. वैसे भी किसी लड़की को ऐसे कुतिया के तरह पेलने में मैं जल्दी स्खलित हो जाता हूँ, मुझे ऐसा लगता है. वो यह समझ गई पर मुझे नहीं रुकने को कहा और फ़िर १५२० सेकेण्ड बाद वो भी शान्त हो गई. हमदोंनो अलग हुए. नेहा ने फ़िर से अपनी अम्मी के रुमाल में अपना बूर पोछा और फ़िर उस लिसड़े हुए रुमाल को अपनी अम्मी के पास रख दिया. इसके बाद वो वैसे हीं नंगधड़ंग टायलेट की तरफ़ बढ़ गई. मुझे भी गरम मूत लग गया था, तो मैं भी हिम्मत करके उसके पीछे चल दिया. वैसे भी उस तरफ़ हीं वो जवान जोड़ा था जिसकी खतरनाक चुदाई हमने देखी थी. मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि वो दोनों अभी भी जगे हुए हैं और मोबाईल पर कोई फ़िल्म देख रहे थे शायद.
हम बहन के लंड दोनों को ऐसे नंगे देख कर दोनों मुस्कुराए, तो मैं भी मुस्कुराया. टायलेट में पहले नेहा हीं गई, पर उसने दरवाजा बन्द नहीं किया और आज पहली बार मैंने एक जवान लड़की को गरम मूत करते देखा. छॊटी बच्चियों को मैं अधिकतर देखता था जब कभी भी अवसर मिला. बिना नजर हटाए मुझे बूर की उस फ़ाँक से निकलती गरम मूत की धार को देखते हुए अपने लन्ड में हमेशा से कसाव्व महसूस होता था. आज मेरे सामने एक जवान लड़की जिसकी बूर पर झाँट भी थे, मेरे सामने बैठ कर मूत रही थी, मेरे से नजर मिलाए. मेरा लन्ड तो जैसे अब फ़ट जाता, कि तभी वो उठी और अपने बूर पर हाथ फ़िराया. उसकी हथेली पर उसके गरम मूत के बूँद लग गए थे और उसने अपनी हथेली मेरी तरफ़ बढ़ाया.
मैंने भी बिना कुछ सोंचे, उसकी गरम मूत की बूँद को उसकी हथेली पर से चाट लिया. उसने मेरे होठ चूम लिए और फ़िर एक तरफ़ हट गई. उसके दिखाते हुए मैंने भी गरम मूत किया और फ़िर जब मैं लन्ड हिला कर गरम मूत की आखिरी कुछ बूँद निकाल रहा था नेहा झुकी और मेरे लन्ड को चाट ली. मेरा लन्ड अब कुछ ढ़ीला हो गया था और नेहा के पीछेपीछे मैं भी अब वापस अपनी बर्थ की तरफ़ चल पड़ा. जाते हुए जब हमने फ़िर से उस दक्षिणभारतीय जोड़े को देखा तो हम दंग रह गए. मेरे और नेहा को ऐसे डब्बे में घुमते देख उन्हें भी शायद जोश आ गया था और अब उस मर्द के लन्ड को चूस कर उसके साथ की लड़की कड़ा कर रही थी. नेहा ने एक दफे उन्हें देखा फ़िर मुझे देखा और फ़िर वो नंगे हीं उस जोड़े की तरफ़ बढ़ गई. उसको पास आता देख वो लड़की सकपकाई और लन्ड को अपने मुँह से बाहर करके एक तरफ़ हट गई।

नेहा वहीं सीट के पास अपने घुटनों पर बैठी और उस अनजाने मर्द के काले कलुटे लन्ड अपने मुँह में ले कर चुसने लगी. मेरी अब फ़िर से फ़तणे लगी थी, ये रांड साली अब क्या करने लगी. मैं अब वहाँ से जल्दी से जल्दी भागना चाहता था. पर नेहा ने उस लड़की को मेरी तरफ़ इशारा कर दिया और मुझसे कहने लगी, “अपना लन्ड भी इस लड़की से चुसवाओ और कड़ा करो, फ़िर एक आखिरी बार मुझे चोद देना”. मेरे पास कोई चारा था नहीं सो मैं भी अब उनकी तरफ़ बढ़ा और वो लड़की सब समझ कर मेरे लन्ड को अपने मुँह में ले ली. यह लड़की अभी तक ब्लाऊज पहने हुए थी, और साया भी ठीक से बदन पर था. पाँच मिनट के बाद हीं नेहा वहीँ नीचे पीठ के बल लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया.
उस मर्द ने भी अपनी वाली लड़की के सर पर चपत लगा कर अपनी तरफ़ बुलाया और फ़िर उसके साया के डोरी को खींच कर खोल दिया. अब बर्थ पर वो लड़की और नीचे नेहा दोनों साथसाथ चुद रहीं थीं. भाषा में फ़र्क के बाद भी दोनों चुद रहीं उत्तर और दक्षिण भारतीय लड़कियों में मुँह से एक हीं किस्म की सिसकी निकल रही थी. आह्ह्ह आअह्ह्ह की दो आवाजों ने सामने की बर्थ पर सोए एक अंकल जी की नींद खोल दी. उस बुढ़े ने जब देखा कि जो जवान जोड़ा चुदाई में मस्त है तो तमिल मिले अंग्रेजी में बड़बड़ाया, “३४ दिन इंतजार नहीं होता है, इतनी गर्मी अब के जवानों को चढ़ती है कि बिना जगह वक्त देखे शुरु हो जाते हैं”, फ़िर उठ कर गरम मूत करने चला गया.
हम सब को अब इस सब बात से कोई फ़र्क तो पड़ना नहीं था. हमारा चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा. उसके वापस आने तक हम बहन के लंड दोनों मर्द अपनीअपनी लड़की की बूर में खलास हो गए. पहले उस जोड़े का गेम खेल खत्म हुआ और जब तक वो सब अपना कपड़ा ठीक करते मैं भी नेहा मी बूर में झड़ गया था, आज तीसरी बार झड़ने के बाद अब मेरे में दम नहीं बचा था अभी. मैं नेहा के ऊअप्र से हटा तो वो भी उठी और फ़िर उस लड़की का मुँह चूम कर बाए कहने लगी और फ़िर अपने फुद्दी में मेरे माल को भर कर फ़िर अपने सीट पर आई और फ़िर अम्मी वाले रुमाल में हीं अपना बूर पोछी. उस रुमाल का बूरा हाल था.
फ़िर वहीं नीचे ही अपने कपड़े पहने, अपने अम्मी पापा के बीच में खड़ा हो कर. नाईट के २:३० बज चूके थे. सो मैंने कहा कि अब कुछ वक्त सो लिया जाए। ट्रेन थोड़ा लेट है तो हम लोग को कुछ आराम का अवसर मिल जाएगा. फ़िर मैं अपनी गरम माल बहन कंचन के साथ लिपट कर सो गया और वो सामने के बर्थ पर करवट बदल कर लेट गई. ट्रेन पहले हीं लेट थी अब शायद नाईट में और लेट हो गई और करीब ६ बजे जब मैं जागा तो देखा कि नेहा के अम्मी पापा उठे हुए हैं और अपना कपड़ा वगैरह भी ठीक कर चुके हैं.
मैं भी ऊठा तो प्रोमोद जी बोले, “अभी करीब दो घन्टे और लगेगा. आप आराम से तैयार हो लीजिए।” मैं टायलेट से हो कर आया तो कंचन आराम से जगह मिलने पर पसर कर सो गई थी और कंचन की न्यूड गोरी जाँघ पर प्रोमोद जी की नजर जमी हुई थी और उनकी जोरू टायलेट के बाहर के आईने में अपना बाल ठीक कर रही थी कंघी ले कर. मुझे यह देख कर आनंद आया. मैंने कंचन की उसी न्यूड जाँघ को प्रोमोद जी के देखतेदेखते पकड़ा को जोर से हिलाया, “कंचन, उठो अब देर हो जाएगा।” – कंचन भी हड़बड़ा कर उठी और और मैंने इशारा किया कि वो साईड वाले रास्ते की तर्ह बनी सीढ़ी के बजाए दोनों सीट के बीच में मेरे सहारे उतर जाए.
मैंने अपने बाँह को ऐसे फ़ैला दिया जैसे मैं उसको सहारा दे रहा होऊँ. उसने भी आराम से अपने पैर पहले नीचे लटकाए. प्रोमोद जी सामने की सीट पर बैठे थे और सब दे ख रहे थे. कंचन के ऐसे पैर लटकाने से उसकी नाईटी पूरा उपर उठ गई और अब उसकी दोनों जाँघ खुब उपर तक प्रोमोद जी को दिख रही थी. मैंनें कंचन को इशारा किया और वो धप्प से मेरे गोदी में कुद गई. उसकी योनीड़ को मैंने अपने बाहों में जकड़ लिया था और धीरे से उसको नीचे उतार दिया. मेरे बदन से उसकी नाईटी दबी और उसके पूरे सपाट पेट तक का भी दर्शन प्रोमोद जी को हो गए. कंचन तो पहले ही दिन बिना ब्रापैन्टी सोई थी तो आज की नाईट क्यों अपने अंडर्गार्मेन्ट्स पहनती.
मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि प्रोमोद जी की गोलगोल आँख मेरी जवान सेक्सी बहन की मक्खन जैसी न्यूड बूर से चिपक गई थी एक क्षण के लिए, तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा , “कंचन, अब जल्दी से आओ और अपना कपड़ा सब ठीक से पहनो अब दिन हो गया है और मैंने प्रोमोद जी से नजर मिलाया।” बेचारा शर्म से झेंप गया. स्वीती भी अब अपने बालों को संभालते हुए टायलेट चली गई और मैं प्रोमोद जी से बोला, “देख रहे हैं, इतने बड़ी हो गई है और बचपना नहीं गया है इसका, पता नहीं यहाँ अकेले कैसे रहेगी।” प्रोमोद जी हीं झेंपते हुए बोले, “हाँ सो तो है, नेहा भी ऐसी ही है… नहा लेगी और सिर्फ़ पैन्ट पहन कर ऐसे ही खुले बदन घुमने लगेगी कि अपने घर में क्या शर्म…, अब बताईए जरा इस सब को… खैर सब सीख जाएगी अब जब अकेले रहना होगा।”
हमारी बातचीत से नेहा भी उठ गई और वो भी नीचे आ गई. आधे घन्टे में हम सब उतरने को तैयार हो गए और करीब ७ बजे ट्रेन स्टेशन पर आ गई. हम सब साथ हीं स्टेशन के पास के एक होटल में रूम लिए, दोनों फैमिली ने एकएक रूम बुक किया. प्रोमोद जी का वापसी का टिकट दो दिन बाद का था और मेरा तीन दिन बाद का. खैर करीब दो घन्टे बाद ९.३० बजे हम सब कौलेज के लिए निकल गए. उस दिन हम सब खुब बीजी रहे, दोनों बच्चियों का नाम लिखवाया गया फ़िर करीब ४ बजे उन दोनों को एक हीं होस्टल रुम दिलवा कर हम सब चैन में आए. इसके बाद हमने साथ हीं एक जगह खाना खाया और फ़िर शाम में एक मौल में घुमे, और करीब ९ बजे थक कर चूर होटल में आए.
सब थके हुए थे सो अपनेअपने कमरे में सो रहे. हालाँकि मैं कंचन के साथ हीं बिस्तर पर था बन्द कमरे में पर थकान ऐसी थी कि उसको छूने तक का मन नहीं था. वही हाल उसका था सो आराम से सोए. नाईट १० बजे से करीब ६ बजे मोर्निंग तक एक लगातार सोने के बाद मेरी नींद खुली, देखा कंचन स्नानघर से निकल कर आ रही हैं. मुझे जागे हुए देखा तो वो सीधे मेरे बदन पर हीं गिरी और मुझसे लिपट गई. मुझे भी गरम मूत लग रही थी तो मैंने उसको एक तरफ़ हटाया और बोला, “रूको, गरम मूत करके आने दो…”. मुझे स्नानघर में ही लगा कि कंचन ने कमरे की बत्ती जला दी है. मैं जब लौटा तो देखा कि मेरी १८ साल की कामुक बहन कंचन पूरी तरह से न्यूड हो कर अपने पैर और हाथ दोनों को फ़ैला कर बिस्तर पर गदराई अंदाज में बिछी हुई है.
अब कुछ न समझना था और ना हीं सोचना. सब समझ में आ रहा था सो मैं भी अपने गंजी और पैन्ट को खोल कर पूरी तरह से नंगा हो कर बिस्तर की ओर बढ़ा. – मेरी जवान सेक्सी बहन अब अपने केहुनी के सहारे थोड़ा उठ कर मेरे नंगे बदन को निहार रही थी. ५’१० का मेरा साँवला बदन दो ट्युबलाईट की रोशनी में दमक रहा था. मैं बोला, “क्या देख रही हो ऐसे, बेशर्म की तरह…” कंचन बोली, “बहुत हैंडसम हैं भाई साहब आप, भाभी की तो चाँदी हो जाएगी”. मैं भी उसको अपने बाहों में समेटते हुए बोला, “भाभी जब आएगी तब देखा जाएगा, अभी तो तुम्हारी चाँदी हो गई है… बेशर्म कहीं की. ” कंचन ने मेरे छाती में अपना मुँह घुसाते हुए कहा , “सब आपके कारण हीं हुआ है… आपके लिए तो बचपन से हम रांड बनने के लिए बेचैन थे, अब रहा नहीं जा रहा था सो रेल गाड़ी में साथ सटने का अवसर मिला तो हम भी रिस्क उठा लिए।”
मैंने उसकी नन्हीं नन्हीं चूचियों को मसलते हुए कहा , “मेरे लिए…. पहले से अपना बूर का सील तुड़वा ली और बात बना रही है…. अच्छा बताओ न अब मेरी गुड़िया, किसके साथ करवाई थी पहले, कौन सील तोड़ा तुम्हारा?” अब कंचन मेरे से नजर मिला कर बोली, “कोई नहीं भाई साहब, अपने से ४ बार प्रयास करके खीरा से अपना सील तोड़ी थी, एक सप्ताह पहले. जब पक्का हो गया कि अब घर से बाहर होस्टल में जाने को मिल जाएगा तब अपने से सील तोड़ी काहे कि मेरी फ्रेंड सब कहने लगी कि अगर कहीं बाहर अवसर मिला सेक्स का और ऐसेवैसे जगह पर चुदाना पर गया या फ़िर परेशानी ज्यादा हुई तब क्या होगा… घर पर तो जो दर्द होगा घर के आराम में सब सह लोगी सो सील तोड़ लो. इसीलिए, रोशनी के घर पर पिछले मंगल को गई थी तो उसी के रूम में खीरा घुसवा ली उसी से. अपने से ३ बार घुसाने का प्रयास की पर दर्द से हिम्मत नहीं हुआ.
फ़िर रोशनी हीं खीरा मेरे हाथ से छीन कर हमको लिटा कर घुसा दी. दिन में उसका घर खाली रहता है सो कोई परेशानी नहीं हुई. इसके बाद वही गर्म पानी ला कर सेंक दी. फ़िर करीब दो घन्टे आराम करने के बाद सब ठीक होने के बाद मोमबत्ती से रोशनी हमको १२१५ मिनट चोदी तब जा कर हमको समझ में सब आ गया और हिम्मत भी कि अब सब ठीक रहेगा।” मेरा लन्ड तो यह सब सुन कर हीं झड़ गया. मेरे उस मुर्झाए लन्ड को देख वो अचम्भित थी तो मैंने उसको चुसने को बोला. वो झुकी और चुसने लगी मैं भी उसको अपने तरह घुमा लिया और हम दोनो ६९ में लग गए. कंचन मेरा लन्ड चूस रही थी और मैं उसका बूर जिसमें से अभी भी गरम मूत का गन्ध आ रहा था और जवान लड़की की बूर कैसी भी हो लन्ड को लहरा देती है.
२ मिनट में लन्ड टनटना गया तो मैंने उसको बिस्तर पर सीधा बिछा कर उसके उपर चढ़ गया और लगा उसकी कसी बूर की चूदाई करने. वो अब मजे से कराह रही थी… यहाँ कोई डरभय था नहीं, कोई न देखने वाला न सुनने वाला सो आज वो बहुत जोश में थी और पूरा सहयोग कर रहे थी. मैं भी अपनी सगी बहना की खतरनाक चुदाई खुब मन से मजे ले लेकर करने में मशगुल था. वो एकदम जोर से काँपी और निढ़ाल सी शान्त हो गई. मैं समझ गया कि उसको आनंद आ चुका है. मेरे पूछने पर वो बोली, “हाँ भाई साहब अब हो गया अब छोड़ दीजिए हमको…प्लीज।” उसकी आवाज मस्ती से काँप रही थी. मैंने भी उसको पकड़ कर अब तेज और जोर के शोर्ट लगाए, वो अब नीचे छटपटाने लगी थी.
मैं बिना रिआयत किए उसकी खतरनाक चुदाई किए जा रहा था. बेचारी रो पड़ी कि मेरा भी पानी छुटने को हुआ तो मैंने अपना लन्ड बाहर खींचा और उसकी बूर से निकलतेनिकलते झड़ गया. गनीमत थी कि मेरा स्पर्म उसकी बूर के बाहर होने के बाद निकला वर्ना मामला सेकेण्ड भर का भी नहीं था. वो घबड़ा गई थी, और रो दी थी, फ़िर मैंने उसको समझाया कि परेशानी की कोई बात नहीं है. एक बूँद भी भीतर नहीं निकला है, तब कहीं जा कर वो शान्त हुई… आखिर वो मेरी जवान सेक्सी बहन थी और मैं उसका भाई…. मैंने उसके पेट पर से सब कुछ साफ़ किया. वो अब शान्त हो गई थी, मैंने उसको प्यार और मोहब्बत से लिप्स पर चूमा, वो अब भी थोड़ा सीरियस थी उसको लग रहा था कि मैंने अपना माल का कुछ हिस्सा उसकी बूर की भीतर गिरा दिया है, हालाँकि ऐसा हुआ नहीं था. अब जब वो शान्त थी तो मैं यही सब उसको समझाने में लगा हुआ था.
मैंने उसको अब कहा , “देखो कंचन, तुम मेरी जवान सेक्सी बहन हो इस लिए यह सब तो किसी हाल में मेरे से होगा ही नहीं कि तुम्हारे बदन के भीतर मेरा निकल जाए… अब बेफ़िक्र हो जाओ और प्रसन हो जाओ, नहीं तो हम तुमको जोर से गुदगुदी कर देंगे”, कहते हुए मैंने उसके बगलों में अपनी ऊँगली चलाई. वो भी यह देख कर थोड़ा हँसी… और माहौल हल्का हुआ तो मुझे लगा कि अब एक दफे और उसको चोदें. मैंने आनंदक करते हुए कहा , “लड़की हँसी… तो फ़ँसी, जानती हो ना, और तुम अब हँस रही हो… समझ लो, मेरे से फ़ँस जाओगी।” वो भी मेरी बात सुन कर मुस्कुराई, तो मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों के बीच ले कर अपने होठ उसके लिप्स पर रख दिए.
अब वो भी मेरे चुम्मा का उत्तर देने लगी थी, मैंने अपने जबान को उसके मुँह के भीतर घुसा दिया और बोला, “अब एक दफे गदराई चूतड़ मराओगी मेरी जान…?” वो तुरन्त बिदकी…”नहींहींईईई… हरगीज नहीं, जो कर रहें है आपके साथ उससे संतोष नहीं है क्या आपको?” मैंने बात संभाली, “नहीं मेरी रानी, तुम तो हमको खरीद ली इतना प्यार दे करके”, और अब मैं उसके चूचियों को चुसने चाटने लगा था. उसका लाल निप्पल एकदम से कड़ा हो कर उभर गया था. वो बोली, “बस आज भर हीं इसके बाद यह सब बन्द हो जाएगा, फ़िर कभी आप इसका जिक नहीं कीजिएगा… नहीं तो फ़िर हमको बहुत शर्म आएगा. अब से फ़िर वही पहले वाला भाई साहब और कंचन बन जाना है. अभी बहुत कठिनाई पढ़ाई करना है आगे. इस कारण से आजभर यह सब कर लीजिए जितना मन हो, फ़िर मत कहिएगा कि हम आपको ठीक से प्यार नहीं दिए”, और उसने मेरा मुँह हल्के से चूम लिया.
मैंने मेरी कंचो जैसी मोटी मोटी आँखों से देखा कि अब एक दफे फ़िर उस पर पढ़ाई का भूत चढ़ने लगा था, सो एक तरह से अच्छा ही था. मैंने भी कहा , “ठीक ही है, अभी मेरे पास है न २४ घन्टा… फ़िर ठीक है” और मैंने उसको बिस्तर पर सीधा लिटा दिया, वो समझ गई. मैं अब उसकी बूर पर अपना होठ चिपका कर चूसने लगा था. उसकी साँस तेज होने लगी थी. मैं अब उसके बूर के भीतर जहाँ तक जबान घुसा सकता था घुसा कर खुब मन से अपनी छॊटी बहन की बूर का स्वाद लेने में मगन था. वो इइइइस्स्स्स इइइइस्स्स्स कर रही थी, अपने सर को कभी दाएँ तो कभी बाएँ घुमा रही थी. मुझे पता चल रहा था कि उस पर चुदास चढ़ गया है.
मैंने अपनी गरम माल बहन से कहा , “पलट कर झुको न मेरी जान, पीछे से मादा कुतिया बनाकर चोदेंगे अब तुमको…बहुत आनंद आएगा।” उसको कुछ ठीक से समझ में नहीं आया, वो पीछे मतलब समझी कि मैं उसकी गदराई चूतड़ मारने की बात कर रहा हूँ. वो तुरन्त बिदकी, “नहींईईई… पीछे चूतड़ के छेद में नही, प्लीज भाई साहब।” मैंने उसको समझाया, “धत्त पगली…, पीछे से तुम्हारी बूर का छेद हीं चोदेंगे. कभी देखी नहीं हो क्या सड़क पर कैसे कुत्ता सब कुतिया को चोदता है बरसात के अंत में.., वैसे ही पीछे से तुमको चोदेंगे।” वो अब सब समझी और बोली, “ओह, मतलब अब आप अपनी गरम माल बहन को कुतिया बना दीजिएगा…

हम तो पहले से आपके लिए रांड बने हुए हैं।” मैंने उसको ठीक से पलट कर पलंग के सिरहाने पर हाथ टिका कर बिस्तर पर हीं झुका दिया, और फ़िर उसके पीछे आ कर उसके बूर की फ़ाँक जो अब थोड़ा पासपास हो कर सटी हुई लगने लगी थी उसको खोल कर सूँघा और फ़िर चातने लगा. उसको उम्मीद थी कि मेरा लन्ड घुसेगा, पर मेरी जबान महसूस करके बोली, “भाई साहब अब चोद लीजिए जल्दी से गरम मूत, पैखाना दोनों लग रहा है… मोर्निंग हो गया है।” मुझे भी लगा कि हाँ यार अब सब जल्दी निपटा लेना चाहिए, सवा सात होने को आया था.
मैं अब ठीक से उसके पीछे घुटने के बल बैठा और फ़िर अपना लन्ड के सामने वाले हिस्से पर अपना थूक लगाया और फ़िर उसकी बूर की फ़ाँक पर भीरा कर बोला, “जय हो…, मेरी कुत्तिया, मजे कर अब…” और धीरे से लन्ड को भीतर ठेलने लगा. इस तरह से बूर थोड़ा कस गया था, वो अपना घुटना भी पासपास रखी थी बोली, “ऊओह भाई साहब, बहुत रगड़ा रहा है चमड़ा ऐसे ठीक नहीं हो रहा है”, और वो उठना चाही. मैंने उसका इरादा भाँप लिया और उसको अपने हाथ से जकड़ दिया कि वो चूट ना सके और एक हीं शोर्ट में उसकी बूर में पूरा ७” ठोक दिया भीतर. हल्के से वो चीखी…. पर जब तक वो कुछ समझे, उसकी खतरनाक चुदाई शुरु हो गई.
मैंने उसको सामने के आईने में देखने को कहा जो बिस्तर के सिरहाने में लगा हुआ था. जब देखी तो दिखा उसका नंगा बदन, और उस पर पीछे से चिपका मेरा नंगा बदन…, उसकी पहली प्रतिक्रिया हुई, “छी: कितना गंदा लग रहा है… हटिए, हम अब यह नहीं करेंगे।” मैंने उस से कहा, “अब कहा ँ से रानी…. अब तो आराम से चूदो. लड़की को ऐसे निहूरा कर पीछे से पेलने का जो आनंद है उसके लिए लड़का लोग कुछ भी करेगा।” – वो आआह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्ह कर रही थी और मस्ती से चूद भी रही थी, कहने लगी “आप लड़का हैं कि भिअया हैं मेरे….?” मैंने उस से कहा, “भाई साहब और सैंया में बस हल्के से मात्रा का फ़र्क है, थोड़ा ठीक से पूकारो जान।”
वो चूदाई से गर्मा गई थी, बोली, “हाँ रे मेरे बहनचोद….भैया, अब तो तुम मेरा सैयां हो ही गया है और हम तुम्हारी सजनी.. इइइस्स .आआह्ह्ह, इइस्स्स्स उउउउउउउ आआह्ह्ह्ह्ह भाई साहब बहुत आनंद आ रहा है और अपना सिर नीचे झुका कर तकिए पर टिका ली. उसका कमर अब ऊपर ऊठ गया था और मुझे भी अपने को थोड़ा सा घुटने से ऊपर उठाना पड़ा ताकि सही तरीके से जड़ तक उसकी बूर को लन्ड से मथ सकूँ. उसके बूर में से फ़च फ़च, फ़च फ़च आवाज निकल रहा था. बूर पूरा से पनिआया हुआ था. मेरे जाँघ के उसकेयोनीड़ पर होने वाले टक्कर से थपथप की आवाज अलग निकल रही थी.
मैं बोला, “तुम्हारा बूर कैसे फ़चफ़च बोल रहा है सुन रही हो…”, वो हाँफ़ते हुए उत्तर दी, “सब सुन रहे हैं… कैसा कैसा आवाज हो रहा है, कितना आवाज कर रहे हैं बाहर भी सुनाई दे रहा होगा।” मैंने उस से कहा, “तो क्या हुआ, जवान लड़कालड़की रूम में हैं तो यह सब आवाज होगा हीं…” और तभी मुझे लगा कि अब मैं खलास होने वाला हूँ, सो मैंने उस से कहा, ” अब मेरा निकलेगा, सो अब हम बाहर खींच रहे हैं तुम जल्दी से सीधा लेट जाना तुम्हारे ऊपर हीं निकालेगें, जैसे ब्लू फ़िल्म की हीरोईन सब निकलवाती है वैसे ही।” मेरे लन्ड को बाहर खीचते हीं पिचकारी छुटने को हो आया, तो मैं उसको बोला, “मुँह खोल कुतिया जल्दी से… ”
बिना कुछ समझे वो अपना मुँह खोली और मैंने अपना लन्ड उसकी मुँह में घुसेड़ दिया औरुसके सर को जोर से अपने लन्ड पर दबा दिया. वो अपना मुँह से लन्ड निकालने के लिए छ्टपटाई… पर मेरे जकड़ से नहीं छूट सकी और इसी बीच मेरे लन्ड नेशॉट दिया और माल कंचन की मुँह के अंदर, एक के बाद एक कुल पाँच झटके, और करीब दो बड़ा चम्मच माल उसके मुँह को भर दिया और कुछ अब बाहर भी बह चला. कंचन के न चाहते हुए भी कुछ माल तो उसके पेट में चला हीं गया था. मैं अब पूरी तरह से संतुष्ट था.
कंचन अब फ़िर अजीब सा मुँह बना रही थी… फ़िर आखिर में समझ गई कि क्या हुआ है तो उसके बाद बड़े नाज के साथ बोली, “हरामी कहीं के….एक जरा सी दया नहीं आई अपनी ही बहन को पूरी रांड बना दिया…. बेशर्म कहीं के, हटो अब…” और एक तौलिया ले कर बाथरुम की तरफ़ चली गई. मुझे लगा कि वो नाराज हो गई है मेरे इस आखिरीगन्दी गन्दी बदमाशी से, पर ठीक स्नानघर के दरवाजे पर जा कर वो मुड़ी और मुझे एक फ़्लाईंग किस देते हुए दरवाजा बन्द कर ली. करीब २० मिनट के बाद कंचन नहा कर बाहर आई, तौलिया उसके सर पर लिपटा हुआ था और वो पूरी न्यूड हीं बाहर आई और फ़िर मुझे बोली, “अब जाइए और आप भी जल्दी तैयार हो जाइए, कितना देर हो गया है, नेहा अब आती होगी, आज तो अंकलआँटी के लौटने का दिन है।”
मैं उठा और स्नानघर की तरफ़ जाते हुए कहा , “हाँ ७ बजे शाम की ट्रेन है।” कंचन तब अपने बाल को तौलिए से सुखा रही थी. करीब ९ बजे हम बहन के लंड दोनों तैयार हो कर कमरे से बाहर निकले, तब तक प्रोमोद जी का फैमिली भी तैयार हो गया था. नेहा उसी मंजिल पर एक और बंगाली फैमिली टिका हुआ था उसी फैमिली की एक लड़की से बात कर रही थी. उसको अगले साल बरहवीं की परीक्षा देनी थी और वो लड़की नेहा से इंजीनियरींग के नामाकंन प्रक्रिया के बारे में समझ रही थी. हम सब फ़िर साथ हीं नास्ता करके फ़िर घुमने का प्रोग्राम बनाकर एक टैक्सी ले कर निकल गए.
दिन भर में हम पहले एक प्रसिद्ध मंदिर गए और फ़िर एक मौल में चले गए. सब लोग कुछ=कुछ खरीदारी करने लगे. दोनों लड़कियों ने एकएक जीन्स पैन्ट खरीदी और फ़िर एक ब्रैन्डेड अंडर्गार्मेन्ट्स की दुकान में चली गई. हम सब अब बाहर हीं रूक गए. फ़िर हम सब ने वहीं दिन का लंच लिया और फ़िर करीब ४ बजे होटल लौट आए. आज शाम ७ बजे प्रोमोद जी और उनकी वाइफ लौट रहे थे, मेरा टिकट कल का था. कुछ समय मैं नेहा हमारे कमरे में आई और एक छोटा सा बैग रख गई जो उसका था और साथ में हम बहन के लंड दोनों को बताई कि उसका इरादा आज होस्टल जाने का नहीं है.
आज नाईट वो हमारे साथ रुकने वाली है और फ़िर कल दोनों सखियाँ साथ में हीं होस्टल जाएँगी. मेरी समझ में आ गया कि अब आज नाईट मेरा क्या होने वाला था. बस एक हीं हौसला था कि कंचन समझदार है और वो मुझे अब परेशान नहीं करेगी. वैसे भी उसका इरादा अब क्यादा सेक्स करने का नहीं था. ६ बजे के करीब हम सब स्टेशन आ आ गए और फ़िर प्रोमोद जी को ट्रेन पर चढ़ा दिया. वो और उनकी जोरू अपनी बेटी को हजारों बात समझा रहे थे, पर मुझे पता था कि उसको कितना बात मानना था. खैर ठीक वक्त से ट्रेन खुल गई और हम सब वापस चल दिए. रास्ते में हीं हमने नाईट का खाना भी खाया. वहीं खाना खाते वक्त हीं नेहा ने अपना इरादा जाहिर कर दिया, “आज नाईट सोने के पहले तीन बार सेक्स करना होगा मेरे साथ, मैं देख चुकी हूँ कि तुमको लगातार तीन बार करने के बाद भी कोई परेशानी नहीं होती है।”
फ़िर उसने कंचन से कहा , “क्यो कंचन, तुम्हें परेशानी नहीं न है अगर मैं आज नाईट मैं तुम्हारे भाई साहब के साथ सेक्स कर लूँ”. कंचन का उत्तर मेरे अंदाजे के हिसाब से सही थी, “नहीं, हम तो जितना करना था कर लिए, अब भाई साहब जाने तुम्हारे साथ के बारे में।” ९.३० बजे हम लोग अपने कमरे पर आ गए. और आने के बाद कंचन ड्रेस बदलने लगी पर नेहा आराम से अपने कपड़ी उतारने लगी और मुझे कहा कि मैं अभी रूकूँ. नेहा ने आज लाल सलवार सूट पहना हुआ था. पूरी तरह से न्यूड होने के बाद उसका गोरा बदन उस कमरे की जगमगाती रोशनी में दमक रहा था. काली घुँघराली झाँट उसकी बूर की गरमी में चार चाँद लगा रही थी.
वो आराम से नंगे हीं मेरे पास आई और फ़िर मेरे कमीज फ़िर गंजी और इसके बाद मेरा जीन्स उतार दिया. फ़िर जमीन पर घुटनों के सहारे बैठ गई और मेरा फ़्रेन्ची नीचे सरार कर मुझे भी नंगा कर दिया. कंचन भी अब स्नानघर से आ गयी थी और विस्तर पर बैठ कर हम बहन के लंड दोनों को देख रही थी, “तुमको भी न नेहा, जरा भी इंतजार नहीं हुआ…”. नेहा ने उसको उत्तर दिया, “अरे अब इंतजार का क्या करना है, तीन बार सेक्स करने में बारह बज जाएगा, अभी से शुरु करेंगे तब… फ़िर सोना भी तो है. दिन भर घुम घाम कर इतना थक गई हूँ।” कंचन बोली, “वही तो मेरा तो अभी जरा भी मूड नहीं है इस सब के लिए….”.
नेहा मेरा लन्ड चूसना शुरु कर दी थी. मैंने उस से कहा, “तुम लोग थक गई और मेरे बारे में कुछ विचार नहीं है…”, नेहा बोली, “ज्यादा बात मत बनाओ मुफ़्त में दो माल मिल गई है मारने के लिए तो स्टाईल मार रहे हो… नहीं तो हमारी जैसी को पेलने के लिए दस साल लाईन मारते तब भी मैं लाईन नहीं देती, क्यों कंचन…?” फ़िर हम सब हँसने लगे और मैंने नेहा के चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसको जमीन से उठाया और फ़िर उसके होठ को चुमते हुए उसको बिस्तर पर ले आया. कंचन एक तरफ़ खिसक गई तो मैंने नेहा को वही लिटा दिया और फ़िर उसकी चूचियों को सहलाते हुए उसकी बूर पर अपना मुँह भिरा दिया. झाँट को चाटचाट कर गिला कर दिया और फ़िर उसके जाँघों को फ़ैला कर उसकी बूर के भीतर जबान ठेल कर नमकीन चिपचिपे पानी का आनंद लिया.
उसकी सिसकी निकलनी शुरु हो गई तो मैं उठा और फ़िर उसके जाँघ के बीच बैठ कर अपने खड़े लन्ड को उसकी फ़ाँक पर लगा कर दबा दिया. इइइइइइइस्स्स्स की आवाज उसके मुँह से निकली और मेरा ८” का लन्ड उसकी बूर के भीतर फ़िट हो गया था. मैंने झुक कर उसके होठ से होठ भिरा दिए और फ़िर अपनी कमर चलानी शुरु कर दी. वो अब मस्त हो कर चूद रही थी और बगल में बैठी मेरी जवान सेक्सी बहन सब देख रही थी. मेरी जब कंचन से नजर मिली तो उसने कहा , “इस ट्रिप पर आपकी तो लौटरी निकल आई है भाई साहब, कहा ँ तो सिर्फ़ मेरा हीं मिलने वाला था, वो भी अगर आप हिम्मत करते तब, और कहा ँ यह नेहा मिल गई है जो लगता है सिर्फ़ सेक्स के लिए हीं बनी है।”
मैं थोड़ा झेंपा, पर बात सच थी. मैंने उसकी परवाह छोड़ कर नेहा की खतरनाक चुदाई जारी रखी. आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह्ह…हुम्म्म हुम्म्म हुम्म्म… हम बहन के लंड दोनों अब पूरे मन से सिर्फ़ और सिर्फ़ एक दूसरे के बदन का सुख भोगने में लगे हुए थे. – करीब १० मिनट की धक्कमपेल के बाद मैं खलास होने के करीब आ गया, मैंने अपना लण्ड बाहर खींच लिया. नेहा भी शायद समझ गई थी फ़िर वो बोली, “अरे निकाले क्यों मेरे भीतर हीं गिरा लेते, अभी तो मेरे पूरे जीवन में आज की तारीख तक कोई डर नहीं है आज तो तीसरा दिन ही है… खैर मेरे मुँह में गिराओ… आओ” और उसने अपना मुँह खोल दिया तो मैं अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया.

वो अब अपना मुँह को थोड़ा जोर से लन्ड पर दाब कर आगे पीछे करने लगी तो लगा जैसे म्रेरे लन्ड का मूठ मारा जा रहा है. साली जब की चीज थी… बेहतरीन थी सेक्स करने में. ८१० बार में हीं पिचकारी छूट गया और वो आराम से शान्त हो कर मुँह खोल कर सब माल मुँह में ले कर निगल गई. एक बूँद बेकार नहीं हुआ. कंचन यह सब देख कर बोली, “छी: कैसे तुम यह सब खा लेती हो, गन्दी कहीं की…”. नेहा हँसते हुए बोली, “जब एक दफे चस्का लग जाएगा तब समझ में आएगा, पहली बार तो मैगी का स्वाद भी खराब हीं लगता है सब को. अब थोड़ा आराम कर लो…” कहते हुए वो उठी और पानी पीने चली गई. मुझे गरम मूत महसूस हुआ तो मैं भी बिस्तर से उठा तो वो बोली, “किधर चले, अभी दो राऊन्ड बाकि है…”.
मैं बोला, “आ रहा हूँ, गरम मूत करके…” तब वो कहने लगी मैं भी चल रही हूँ. हम बहन के लंड दोनों साथ साथ हीम एकदूसरे के सामने दिखा कर गरम मूत किए. तभी मैंने नेहा से कहा कि एक दफे कंचन को भी बोलो ना आ कर गरम मूत करे, मैं भी तो देखूँ उसके बूर से धार कैसे निकलती है।” नेहा हँसते हुए बोली, “देखे नही क्या, बहन है तुम्हारी” और फ़िर वहीं से आवाज लगाई, “कंचन…ए कंचन, जरा इधर तो आओ।” कंचन भी यह सुन कर आ गई तो नेहा बोली, “जरा एक दफे तुम भी गरम मूत करके अपने भाई साहब को दिखा दो, बेचारे का बहुत मन है कि देखे कि उसकी बहन कैसे मूतती है।”
हमारी चुदाई का गेम खेल देख कर कंचन गर्म न हुई हो ऐसा तो हो नहीं सकता था, आखिर जवान माल थी वो. हँसते हुए वो अपना नाईटी उठाने लगी तो मैं हीं बोला, “पूरा खोल हीं दो न… एक दफे तुम्हारे साथ भी सेक्स करने का मन है मेरा और तुम तो मोर्निंग कहने लगी थी कि आज तुम हमको मना नहीं करोगी, जब और जितना बार हम कहेंगे, चुदाओगी।” – कंचन ने मुझसे नजरें मिलाई और बोली, “बदमाश…” और फ़िर एक झटके में नाईटी अपने बदन से निकाल दी. पैडेड ब्रा पहनी नहीं थी सो पैन्टी भी पूरी तरह से निकाल दी और फ़िर टायलेट की सीट पर बैठी, तो मैं बोला, “अब दिखा रही हो तो नीचे जमीन पर बैठ के दिखाओ न, अच्छे से पता चलेगा, नहीं तो कमोड की सीट से क्या समझ में आएगा।”
कंचन ने फ़िर मेरे आँखों में आँखें घुसेड़ कर कहा , “गुन्डा कहीं का…” और जैसा मैं चाह रहा था मेरे सामने नीचे जमीन पर बैठ गई और बोली, “अब गरम मूत आएगा तब तो…” और मेरी निगाहें उसकी खुली हुई बूर की फ़ाँक पर जमी हुई थी. नेहा भी सामने खड़ी थी और मैं था कि कंचन के ठीक सामने उसी की तरह नीचे बैठा था अपने लन्ड को पेन्डुलम की तरह से लटकाए. करीब ५ सेकेन्ड ऐसे बैठने के बाद एक हल्की सी सर्सराहट की आवाज के साथ कंचन की बूर से गरम मूत की धार निकले लगी. मेरा रोआँ रोआँ आज अपनी मासूम छोटी बहन के ऐसे मूतते देख कर खिल गया.
करीब आधा ग्लास गरम मूत की होगी मुझ बहनचोद की बहन, और तब उसका गरम मूत बन्द हुआ तो दो झटके लगा कर उसने अपने बूर से अंतिम बूँदों को भी बाहर किया और फ़िर उठते हुए बोली, “अब प्रसन…”. मैंने उसको गले से लगा लिया, “बहुत ज्यादा…” और वहीं पर उसको चूमने लगा. मेरा लन्ड उसकी पेट से चिपका हुआ था. वैसे भी मेरे से लम्बाई में १०” छोटी थी वो. मैंने उसको अपने गोद में उठा लिया और फ़िर उसको ले कर बिस्तर पर आ गया. फ़िर मैंने नेहा को देखा जो हमारे पीछेपीछे आ गई थी तो उसने मुझे इशारा किया को वो इंतजार कर सकती है, मैं अब कंचन को चोद लूँ.
मैंने कंचन को सीधा लिटा दिया और सीधे उसकी बूर पर मुँह रखने के लिए झुका. वो अपने जाँघों को सिकोड़ी, “छी: वहाँ गरम मूत लगा हुआ है।” नेहा ने अब कंचन को नसीहत दिया, “अरे कोई बात नहीं है दुनिया के सब जानवर में मर्दजात को अपनी मादा का बूर सूँघनेचाटने के बाद हीं पेलने में आनंद आता है. लड़की की बूर चाटने के लिए तो ये लोग दंगा कर लेंगे, अगर तुम किसी चौराहे पर अपना बूर खोल के लेट जाओ।” मैंने ताकत लगा कर उसका जाँघ फ़ैला दिया और फ़िर उसकी बूर से निकल रही गरम मूत और जवानी की मिलीजुली गंध का आनंद लेते हुए उसकी बूर को चूसने लगा.
वो तो पहले हीं मेरे और नेहा की खतरनाक चुदाई देख कर पनिया गई थी, सो मुझे उसके बूर के भीतर की लिसलिसे पदार्थ का आनंद मिलने लगा था. वो भी अब आँख बन्द करके अपनी जवानी का आनंद लूटने लगी थी. नेहा भी पास बैठ कर कंचन की चूची से खेलने लगी और बीच बीच में उसके दूध के निप्पल को चूसने लगती. कंचन को यह आनंद आज पहली बार मिला था. दो जवान बदन आज उसकी अल्हड़ जवानी को लूट रहे थे. अभी ताजाताजा तो बेचारी चूदना शुरु की थी और अभी तक कुल जमा ४ बार चूदी थी और इस पाँचवीं बार में दो बदन उसके जवानी को लूटने में लगे थे.

जल्दी हीं मैंने उसकी दोनों टांगों को उपर उठा कर अपने कन्धे पर रख लिया और फ़िर अपना फ़नफ़नाया हुआ लन्ड उसकी बूर से भिरा कर एक हीं शोर्ट में पूरा भीतर पेल दिया. उसके मुँह से चीख निकल गई. अभी तक बेचारी के भीतर प्यार और मोहब्बत से धीरधीरे घुसाया था, आज पहली बार उसकी बूर को सही तरीके से पेला था, जैसे किसी रांड के भीतर लन्ड पेला जाता है. मैंने उसको धीरे से कहा , “चिल्लाओ मत…आराम से चुदवाओ…”. वो बोली, “ओह आप तो ऐसा जोर से भीतर घुसाए कि मत पूछिए…आराम से कीजिए न, भाई साहब…”.
मैंने उस से कहा, “अब क्या आराम से.. इतना चोदा है और अभी भी आराम से हीं चुदोगी, हम तुम्हारे भाई हैं तो प्यार और मोहब्बत से कर रहे थे, नहीं तो अब अकेले रहना है, पता नहीं अगला जो मिलेगा वो कैसे तुम्हारी मारेगा. थोड़ा सा मर्दानाशॉट भी सहने का आदत डालो अब” और इसके बाद जो खुब तेज… खतरनाक चुदाई मैंने शुरु कर दी. – करीब ५ मिनट वैसे पेलने के बाद मैंने उसके पैर को अपने कमर पे लपेट दिया और फ़िर से उसको पेलने लगा. करीब ५ मिनट की यह वाली चुदाई मैंने फ़िर प्यार और मोहब्बत से आराम से की, और वो भी खुब सहयोग कर के चुदवा रही थी.
इसके बाद मैनें उसके दोनों जाँघों के भीतरी भाग को अपने दोनों हाथों से बिस्तर पर दबा दिया और फ़िर उसकी बूर में लन्ड के खतरनाक शोर्ट लगाने शुरु कर दिए. जाँघों के ऐसे दबा देने से उसका बूर अपने अधिकतम पर फ़ैल गया था और मेरा लन्ड उसके भीतर ऐसे आजा रहा था जैसे वो कोई पिस्टन हो. इस तरह से जाँघ दबाने से उसको थोड़ी असुविधा हो रही थी और वो आनंद और दर्द दोनों हीं महसूस कर रही थी. वो अब आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह कर तो रही थी, पर आवाज मस्ती और कराह दोनों का मिलाजुला रूप था. मैंने उसके इस असुविधा का बिना कुछ ख्याल किए चोदना जारी रखा और करिब ५ मिनट में झड़ने की स्थिति में आ गया.
मेरा दिल कर रहा था कि मैं उसकी बूर के भीतर हीं माल निकाल दू~म, पर फ़िर मुझे उसका मोर्निंग वाला चिन्तित चेहरा याद आ गया तो दया आ गई और मैंने अपना लन्ड बाहर खींचा और उसकी नाभी से सटा कर अपना पानी निकाल दिया. पूरा एक बड़ा चम्मच निकला था इस बार. मैं थक कर हाँफ़ रहा था और वो भी दर्द से राहत महसूस करके शान्त पड़ गई थी. मैंने पूछा, “तुमको आनंद मिला, हम तो इतना जोरजोर से धक्का लगाने में मशगुल थे कि तुम्हारे बदन का कोई अंदाजा हीं नहीं मिला।” हाँफ़ते हुए उसने कहा , “कब का… और फ़िर बिस्तर पर पलट गई.
बिस्तर की सफ़ेद बेडशीट पर दो जगह निशान बन गया, एक तो उसकी बूर के ठीक नीचे, क्योंकि जब वो चुद रही थी तब भी उसकी पनियाई बूर अपना रस बहा रही थी और फ़िर जब वो अभी पलटी तो उसके पेट पर निकला मेरा माल भी एक अलग धब्बा बना दिया. मैंने हल्केहल्के प्यार और मोहब्बत से उसकेयोनीड़ों को सहलाना शुरु कर दिया और फ़िर जब मैंने उसकी कमर दबाई तो वो बोली, “बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है, थोड़ा ऐसे हीं दबा दीजिए न…” मैंने उसकेयोनीड़ों पर चुम्मा लिया और फ़िर उसकी पीठ और कमर को हल्के हाथों से दबा दिया. वो अब फ़िर से ताजा दम हो गई तो उठ बैठी और फ़िर मेरे होठ चूम कर बोली, “थैन्क्स, भाई साहब… बहुत आनंद आया।” और बिस्तर से उठ कर कंघी ले कर अपने बाल बनाने लगी जो बिस्तर पर उसके सर के इधरउधर पटकने के कारण अस्तव्यस्त हो गए थे.

मैंने अब नेहा पर धयान दिया तो देखा कि वो एक तरफ़ जमीन पर बैठ कर हेयर ब्रश अपने बूर में घुसेड़ कर हिला रही है. उसके बूर से लेर बह रहा था. उसने मुझे जब फ़्री देखा तो बोली, “चलो अब जल्दी से चोदो मुझे…सवा ११ हो गया है और अभी दो बार मुझे आज चुदाना है तुमसे.”. मैं थक कर निढ़ाल पड़ा हुआ था, लन्ड भी ढ़ीला हो गया था पर नेहा तो साली जैसे चुदाई का मशीन थी. मेरे एक इशारे पर वो बिस्तर पर चढ़ गई और लन्ड को मुँह में लेकर जोरजोर से चूसने लगी. वो अब स्वीती को बोली, “तुम्हारी बूर की गन्ध तो बहुत तेज है, अभी तक खट्टाखट्टा लग रहा है नाक में”. कंचन मुस्कुराई, कुछ कहने लगी नहीं बस पास आ कर नेहा मी बूर पर मुँह रख दी और उसके बूर से बह रहे लेर को चातने लगी.
कंचन का यह नया रूप देख कर, खतरनाक चुसाई से लन्ड में ताव आ गया और जैसे हीं वो कड़ा हुआ, नेहा तुरन्त मेरे कमर के दोनों तरफ़ पैर रख कर मेरे कमर पर बैठ गई. अपने दोनों हाथ से अपनी बूर की फ़ाँक खोली और मुझे बोली, “अब अपने हाथ से जरा लन्ड को सीधा करो कि वो मेरे बूर में घुसे।” मैं थका हुआ सा सीधा लेटा हुआ था और मेरे कुछ करने से पहले हीं मेरी जवान सेक्सी बहन कंचन ने मेरे खड़े लन्ड को जड़ से पकड़ कर सीधा कर दिया जिससे नेहा उसको अपने बूर में निगल कर मेरे उपर बैठ गई. कंचन अब सिर्फ़ देख रही थी और नेहा मेरे उपर चढ़ कर मुझे हुमचहुमच कर चोद रही थी.
कभी धीरे तो कभी जोर से उपरनीचे हो होकर तो कभी मेरे लन्ड को निगल कर अपनी बूर को मेरे झाँटों पर रगड़ कर वो अपने बदन का सुख लेने लगी. मैं अब आराम से नीचे लेटा था और कभी नेहा तो कभी कंचन को निहार लेता था. करीब १२१५ मिनट बाद वो थक कर झड़ गई और अब हाँफ़ते हुए मेरे से हटने लगी कि मैंने उसको कमर से पकड़ा और फ़िर उसको लिए हुए पलट गया. अब वो नीचे और मैं उसके उपर था. वो अब थक कर दूर भागना चाहती थी सो मुझे अब छोड़ने को बोली, पर मैं अभी झड़ा नहीं था और मेरा इरादा अब उसको रगड़ देने का था. मैंने फ़ुर्ती से उसको अपने गिरफ़्त में जकड़ा और फ़िर उपर से उसकी बूर को जबर्दस्त शोर्ट लगाए.

वैसे भी अब तक के आराम से मैं ताजा दम हो गया था. वो अब मेरी जकड़ से छूटने के लिए छटपटाने लगी, पर मैंने अपनी पकड़ ढ़ीली नहीं की. वो अब पूरा दम लगा रही थी और मैं उसको अपने तरीके से चोदे जा रहा था. नेहा की बेबसी देख कर कंचन ने उसका पक्ष लिया, “अब छोड़ दीजिए बेचारी को, गिड़गिड़ा रही हैं”, नेहा लगातार प्लीज, प्लीज, प्लीज… किए जा रही थी. पर सब अनसुना करके मैं थपा थप उपर से जोर जोर से चोद रहा था. आवाज इतना जोर से हो रहा था कि अगर कोई दरवाजे के बाहर खड़ा होता तो भी उसको सुनाई देता. वैसे मुझे पता था कि अब आज की नाईट होटल की उस मंजिल पर सिर्फ़ एक वही बंगाली फैमिली (मियाँ, जोरू और दो बेटियाँ) टिका हुआ था और उस परिवार से किसी के मेरे दरवाजे के पास होने की संभावना कम हीं थी.
हालाँकि पिछले दिन से अब तक दोचार बार कंचन और नेहा की थोड़ी बहुत बातचित उस फैमिली से हुई थी. करीब ७८ मिनट तक उपर से खतरनाक चुदाई करने के बाद मैं नेहा के उपर पूरी तरह से लेट गया. उसका पूरा बदन अब मेरे बदन से दबा हुआ था और मेरा लन्ड उसकी बूर में ठुनकी मार कर झड़ रहा था. नेहा कुछ बोलने के लायक नहीं थी. अब मेरे शान्त पड़ने के बाद वो भी शान्त हो कर लम्बीलम्बी साँस ले रही थी. करीब ३० सेकेन्ड ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं नेहा के बदन से हटा, और फ़क्क की आवाज के साथ मेरा काला नाग उसकी गोरी बूर से बाहर निकला और पानी के कलर का मेरा सब माल उसकी बूर से बह कर बिस्तर पर फ़ैल गया. आज तो उस हाईवे किंग 5 स्टार होटल के बिस्तर की दुर्दशा बना दी थी हमने.
हम सब अब शान्त हो कर अलग अलग लेते हुए थे. कुछ समय बाद नेहा हीं बोली, “कंचन जरा पानी पिलाओ डार्लिन्ग…. तुम्हारा भाई सिर्फ़ देखने में शरीफ़ है, साला हरामी की तरह आज चोदा है मुझे।” कंचन ने मुझे और नेहा को पानी का एकएक ग्लास पकड़ाया और बोली, “सच में, हमको उम्मीद नहीं था कि भाई साहब तुमको ऐसे कर देंगे. पूरा मर्दाना ताकत दिखा दिए आज आप उसको नीचे दबाने में. हम सोच रहे थे कि ऐसे हीं न चीरहरण होता होगा लड़कियों का”. मैंने हँसते हुए कहा , “चीरहरण तो नेहा की थी मेरा, मेरे उपर बैठ कर… जब कि मुझे थोड़ा भी दम नहीं लेने दी. अब समझ आ गया कि एक दफे अगर लन्ड भीतर घुसा तो तुम लाख चाहो पेलने में जो एक्स्पर्ट होगा वो तुमको फ़िर निकलने नहीं देगा, जब तक वो तुम्हारी फ़ाड़ न दे।”
इधर उधर की बातें करने के बाद करीब १२ बजे कंचन कहने लगी अब चलिए सोया जाए, बहुत हो गया यह सब. मैंने हँसते हुए नेहा को देख कर कहा , “अभी एक दफे का बाकी है भाई जान नेंहा का….” नेहा कुछ कहने लगी नहीं पर कंचन बोली, “कुछ नहीं अब सब सोएँगे…” अब जो बचा है कल दिन में कर लीजिएगा. इसके बाद हम सब वैसे हीं नंग धड़ग सो गए. थकान की वजह से तुरन्त नींद भी आ गई. वैसे दोस्तों आप सब को भी पता होगा कि मोर्निंग में कैसे हम सब का लन्ड कुछ ज्यादा हीं कड़ा हो जाता है. सो जब मोर्निंग करीब साढ़े पाँच में मेरी नींद खूली तो देखा कि कंचन एक तकिया को अपने जाँघ में फ़ँसा कर थोड़ा सिमट कर सोई हुई है और नेहा एकदम चित सोई थी पूरी तरह से फ़ैल कर.

मेरा फौलादी लंड पूरी तरह से तना हुआ था, गरम मूत भी करने जा सकता था फ़िर वो ढ़ीला हो जाता पर अभी ऐसा भी नहीं था कि गरम मूत करना जरुरी हो. बस मैंने सोचा कि अब जरा नेहा को आनंद चखा दिया जाए, अब कौन जाने फ़िर कब अवसर मिले ऐसा. वो जैसे शरारती तरीके से रेल गाड़ी में और यहाँ भी मुझे सताई थी तो मुझे भी अब एक अवसर मिल रहा था. मैंने अपने तगड़े लन्ड पर आराम से दो बार खुब सारा थुक लगाया और फ़िर हल्के हाथ से उसके खुले टांगों को थोड़ा सा और अलग कर दिया फ़िर उसके टाँगों की बीच बैठ कर अपने हाथ से लन्ड को उसकी बूर की फ़ाँक के सीध में करके एक जोर के झटके से भीतर ठेल दिया. मेरा लन्ड उसकी बूर से सटा और मैंने उसको अपने नीचे दबोच लिया.
वो अनजान लड़की नेहा नींद में थी सो उसको पता नहीं था, वो जोर से डर गई और चीखी, “आई माँ…..” और तब उसको लगा कि उसकी नासमझ फुद्दी की खतरनाक चुदाई हो रही है. उसको समझ में नहीं आया कि वो क्या करे और उस वक्त उसक चेहरा देखने लायक था… आश्चर्य, डर, परेशानी, बिना पानी आई बूर में मेरेलन्ड के रगड़ से होने वाले दर्द से वो बिलबिला गई थी. नेहा की ऐसी चीख से कंचन भी जाग गई और जब देखा कि हम बहन के लंड दोनों चोदनखेला में मगन हैं तो वो अपना करवट बदल ली. नेहा भी अब तक संयत हो गई थी और अपना पैसे मेरे कमर के गिर्द लपेट दी थी. मैंने उसके होठ से अपने होठ सटा दिए और प्यार और मोहब्बत से उसको पेलने लगा. वो भी अब मुझे चुमते हुए सहयोग करने लगी थी.
सुबह मोर्निंग की वजह से मुझे उसके मुँह से हल्की बास मिली पहली बार चूमते वक्त पर फ़िर तो हम बहन के लंड दोनों का थुक एक हो गया और बास का क्या हुआ पता भी नहीं चला. मैंने अपना फ़नफ़नाया हुआ लन्ड अब उसकी बूर से बाहर खींचा और कहा कि अब चलो तुम मेरा चूसो मैं तुम्हारा चाटता हूँ. फ़िर हम ६९ में शुरु हो गए, पर मुझे लगा कि यह ठीक नहीं है, तो मैंने अपना लन्ड उसकी मुँह से खींच लिया और फ़िर उसको कमर से पकड़ कर घुमाया तो वो मेरा इशारा समझ कर अपने हाथ टांगों के सहारे चौपाया बन गई और मैं उसके पीछे आ कर उसको पेलने लगा. इसी क्रम में मैं उसकी गदराई गांड की लाल छेद देख ललचाया और बोला, “गाँड मरवाओगी नेहा… एक दफे प्लीज.”.

वो कहने लगी अभी नहीं, बाद में अभी प्रेशर बना हुआ है और अगर तुम बोले होते तब पहले से तैयारी कर लेती, एक दिन पूरा जूस पर रहने के बाद गदराई चूतड़ मरवाने में कोई परेशानी नहीं होती है. वो अभी तो चूतड़ का छेद थोड़ा गंदा होगा उसमे टट्टी भरी हुई होगी और बदबू भी आ रही होगी ।” मैंने फ़िर कहा , “बड़ा मन है मेरा…” और मैं उसकी गदराई चूतड़ के लाल छेद को दबाने और सहलाने लगा. वो मुझसे चुदवाते हुए बोली, “ठीक है, अभी ९ बजे जब मार्केट खुलेगा तो दूकान से एक दवा मैं नाम लिख कर दुँगी ले आना.
उसके बाद उसको अपने गदराई गांड के अंदर घुसेड़ कर मैं टट्टी करके अपना पेट थोड़ा खाली कर लूँगी तो तुम दोपहर में मेरी गदराई चूतड़ मार लेना, जाने से पहले।” मैं आश्चर्य में था, साली रांड छिनाल क्या क्या जुगाड़ जानती है… सेक्स के मजे लेने का और मजे देने का भी. मैं तो उस रांड छिनाल का मुरीद हो गया था. यहाँ भी देखें >> भोसड़ी फोटो Ladki Ki Chudai Ki Photos XXX Nangi Chut ke photo Images Showing Boobs Pussy तो मेरे प्यारे भाई और बहनों आप सभी को मेरी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में “Brother And Sister Sex Stories – रेल गाड़ी में चुदाई करी गहरी नींद में सो रही अनजान लड़की और बहन की Hindi Chudai Ki Kahani” पसंद आई हो तो इस देसी हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में को आगे अपने दोस्तों को ज़रूर फॉरवर्ड करना.