बुर की भूख XXX Hindi Sex Kahani
”बुर की भूख” आज कल के ज़माने में कोई ऐसा मर्द नही होगा जिसे औरतों की ”बुर की भूख” नही होगी. दुनिया का हर मर्द अपनी काम वासना मिटाने के लिए महिला के पास ही जाता है. इन किस्सों में ज्यादातर मर्द अपने आस पास या अपने ही घर की औरतों के साथ ऐसा करने का प्रयास करता है।
वासना एक ऐसी चीज है जो हर किसी के भीतर होती है. ऐसा मामला नई पीढ़ी के साथ ज्यादातर होता है कि वो अपने किसी करीबी से शारीरिक संबंध बनाने की तमन्ना को अपने मन में बसाये होते है. वो अपने घर की बड़ी बुज़ुर्ग औरतों में भी अपनी हवस देखने लगते है।
आज मैं आपको अपनी एक वास्तविक कहानी बताने जा रहा हूँ. मैं राज एक छोटे से मिड्ल क्लास फैमिली का लड़का हूँ. मेरी फैमिली में बस हम 3 लोग है. मैं , मम्मी पापा और मेरी दादी हमारा फैमिली सुखी फैमिली है. मेरे पापा नेवी में काम करते है तो वो अपनी ड्यूटी के चलते घर पर नही रहते थे. वो 6 महीनों में एक दफे आया करते है।

मैं घर में एक अकेला मर्द था, जो अपनी मम्मी और दादी के साथ रहता था. सब कुछ नार्मल ही चल रहा था. वक्त के साथ मेरी उम्र भी बढ़ रही थी और औरतों के प्रति मेरी तमन्ना बदलने लगी थी।
एक दफे मेरे एक फ्रेंड ने मुझे ब्लू फिल्म दिखा दी मैं अभी तक ये सब गलत पाप समझता था. तो मैंने अपने फ्रेंड को बहुत खोरी खोटी सुनाई थी. और गुस्से में अपने घर चला आया किन्तु मुझे क्या पता था कि वो 5 मिनट की वीडियो मेरी सोच ही बदल के रख देगी।
जब मैं उस नाईट सोया तो मुझे चुदाई के सपने आने लगे मुझे पता ही नही चला कि कब मैं नींद में ही झड़ गया. अगली मोर्निंग जब मेरी नींद खुली तो मेरा मन बड़ा बेचैन था. और मेरा फौलादी लण्ड अभी भी टनका हुआ था. जिसे मैं अपने हाथ से अपनी पैंट में दबाये जा रहा था. कुछ देर बाद मैं कमरे से बाहर निकला और आंगन की तरफ बढ़ा
जैसे ही मैं आंगन में पहुँचा तो देखा दादी और मम्मी दोनों नहाने बैठी हुई थी. दोनों अधनंगी होकर आंगन में नहा रही थी. मैंने ऐसा पहली बार नही देखा था. मैं सीधा स्नानघर में घुस गया और बैठकर मोर्निंग का काम करने लगा. तब मेरी नज़र स्नानघर के दरवाज़े में बनी एक छेद पर पड़ी जिससे बाहर आंगन का सब कुछ दिख रहा था।
उस छेद में से नहाने बैठी मेरी मम्मी और दादी साफ दिख रही थी. पता नही उन्हें देखकर मुझे क्या हुआ मेरा फौलादी लण्ड आहिस्ता आहिस्ता खड़ा होने लगा. मेरे मन में अजीब अजीब ख्याल आने लगे मुझे मम्मी और दादी के अधनंगे शरीर को देखने में मज़ा आने लगा. दोनों केवल पेटीकोट में बैठकर नहा रही थी।
मम्मी का पेटीकोट उनके चुचियों के नीचे पेट तक आ चुका था. मैं मम्मी के लटके हुए चुचियों के काले काले निपल्लों को देख पा रहा था. दादी भी अपने पेटीकोट को नीचे अपने पेट तक सरका कर अपने चुचियों और पेट पर साबुन मल रही थी. जब मम्मी अपने शरीर पर साबुन लगा रही थी. तो उनकी दोनों चुचियाँ बाउंस कर अगल बगल झूल रही थी।
मेरी हालत खराब होने लगी थी मैं भीतर पसीने से भीग चुका था. अब बस मुझे उन दोनों की बुर देखने की लालसा होने लगी मैं बस यही इनतज़ार करने लगा कि कब मुझे इनकी चूत के दर्शन हो जाये तब मम्मी ने बैठे बैठे अपनी पेटीकोट को थोड़ा और नीचे करते हुए अपने पेट के निचले हिस्से तक कर दिया।
वो देखकर मेरे होश उड़ गए मुझे मम्मी की काली काली झांटो का गुच्छा दिख गया फिर मम्मी ने अपनी चुत पर साबुन मलना प्रारम्भ करा वो अपनी चुत पर बड़े आराम से साबुन मलने लगी. कुछ हि देर में मम्मी की झाँटे साबुन के झाग से ढक गयी. मुझे मम्मी की बुर तो सही से दिखी नही पर उस वक़्त उनकी झांटो के दर्शन ही मेरे लिए काफी थे।
अब दादी का नहाना हो चुका था वो पेटीकोट चेंज करने वाली थी तो मैंने सोचा चलो अब दादी की चूत के ही दर्शन हो जाये तभी दादी ने ऊपर से दूसरी पेटीकोट को अपने गले में पहना और गीली वाली पेटीकोट को नीचे सरकाने लगी जैसे ही दादी का गिला पेटीकोट उनकी कमर तक आया वो दूसरी तरफ घूम गयी और गिला पेटीकोट नीचे गिरा दिया जिससे मुझे उनकी गोरी बड़ी सी चूतड़ दिख गयी।
वाह” क्या चूतड़ थी दादी की मेरे पूरे जीवन में आज की तारीख तक मैंने कभी सोचा भी नही था कि मेरी दादी इतनी तंग माल होगी उनकी चौड़ी चूतड़ देखकर तो मेरा फौलादी लण्ड बिना मुट्ठ मारे ही झड़ गया. और मैं अपने आप को हल्का महसूस करने लगा. फिर दादी वहां से चली गयी।
अब मम्मी भी अपने शरीर पर पानी डालकर नहाने लगी फिर वो खड़ी होकर अपने शरीर पर पानी डालने लगी जिसे उनका पेटीकोट पानी के बहाव से नीचे आता हुआ उनकी कमर पर अटक गया मम्मी भी अपनी चुचियों पर पानी डालते हुए अपनी चुचियों पर से साबुन धोने लगी. फिर उन्होंने खड़े खड़े अपनी पेटीकोट को नीचे कर अपनी जाँघों पर कर दिया।
फिर अपनी चुत में पानी मारकर अपनी चुत को सहलाते हुए धोने लगी. मम्मी की वो फूली हुई कोमल चुत क्या मस्त लग रही थी. मम्मी अपनी चुत को धोते हुए अपनी चुत में उंगली डालकर उंगली बाहर निकाल कर अपनी उंगली को देख रही थी. मुझे नही पता कि वो ऐसा क्यों कर रही थी. पर उन्होंने दो तीन बार अपनी चुत में अपनी बीच की उंगली घुसाई थी।
उसके बाद मम्मी ने फिर से अपने ऊपर पानी डाल जिससे उनका पेटीकोट नीचे जमीन पर आ गयी वो अब बिना कपड़े के नहा रही थी. और अपनी गद्देदार गांड को पानी से साफ करती हुई नहाने लगी. मम्मी का वो गोरा नंगा बदन मेरी बेचैनी बढ़ा रहा था. मम्मी अपनी गद्देदार गांड की दरार को भी फैला फैला कर पानी से धो रही थी. उन्हें और दादी को कोई अंदाजा नही था कि मैं उन्हें नंगा देख रहा हूँ।
उसके बाद मम्मी ने अपना शरीर पोछा और दूसरी पेटीकोट डालकर रूम में चली गयी. ईधर मेरी नियत हिल चुकी थी मैं अपनी मम्मी और दादी को हवस भरी नजरों से देखने लगा था।
उसदिन के बाद मैं जान बूझकर मम्मी और दादी के निजी अंगों को देखने का प्रयास में लगा रहता मैं जान बूझकर उसी वक़्त बॉथरूम में जाता था. जब वो दोनों आंगन में नहाने बैठी होती थी. मैं छुप कर उनके निजी अंगों को बड़े गौर से निहारता था।
खास कर जब मम्मी घर में नाइटी पहनती थी, तो मुझे बहुत प्रसनि होती थी. क्योंकि मम्मी या दादी को पैंटी पहनने की आदत तो थी नही!! तो जब वो कभी कभी घर के काम करने के लिए बैठती थी. तब कभी कभार मुझे उनकी चुत दिख जाती थी. मैं भी मम्मी की चुत देखने के लिए उनके पास ही बैठकर उनकी सहायता करने के बहाने मम्मी की चुत के उभारो के दर्शन कर लेता था।
मैं मन ही मन सोचता था कि क्या किस्मत है. मेरी घर में दो-दो न्यूड चुत मेरे सामने घूमती है. पर मुझे मेरे पूरे जीवन में आज की तारीख तक बुर का सुख नही मिला. ऐसे ही महीने बीत गए मैं बस मम्मी दादी की चूत,चुचियाँ और चूतड़ देखकर अपना लण्ड हिलाया करता था. ज्यादा से ज्यादा मैं उन्हें चोदने के सपने देख मुट्ठ मार लिया करता था।
मुझे मेरी घर की दोनों चुतों ने ऐसा दीवाना बना दिया था कि मुझे और कुछ सूझता ही नही था. एक दिन मोर्निंग जब मैं सो कर उठा तो मम्मी घर में नही थी. वो मोर्निंग सुबह बाज़ार चली गयी थी. घर मे केवल मैं और मेरी दादी थे।
मैं अपने कमरे से निकलते हुए फिर से अपने कमरे के दरवाजे को बंद कर दिया ताकि लगे मैं अभी भी कमरे में सोया हुआ हूँ. उस वक़्त दादी शायद अपने कमरे में ही थी. जो नहाने के लिए अपने साफ कपड़े निकाल रही थी. मैंने बिना कोई आवाज किये सीधे बॉथरूम में जाकर बैठ गया।
और दादी के आने का इंतजार करने लगा कुछ देर बाद दादी आयी मैं बॉथरूम के दरवाज़े की छेद से देख रहा था. दादी आंगन में आकर खड़ी हो गयी. और कुछ देर कमरे और छत की तरफ देखते हुए बॉथरूम के दरवाजे के सामने आकर खड़ी हो गयी।
फिर एक दफे दादी ने कमरे की तरफ देखा और अपनी साड़ी उठाती हुई मूतने बैठ गयी उस वक़्त मुझे दादी की काली सफेद झांटो से भरी चुत देखने को मिली मैं दादी की बुर देख हड़बड़ा सा गया. फिर मुझे दादी की चुत से निकलती मूत की धार सुनाई पड़ने लगी. मैं उनकी चुत को नजदीक से देखने के लिए दरवाज़े की छेद में अपनी आंख सटा दी।
और दादी की चुत देखने लगा मगर उनके पेट की वजह से मुझे कुछ साफ नही दिख रहा था. बस झांटो के बाल दिखाई दे रहे थे. फिर से दादी इधर उधर देखने लगी और कमरों और छत की तरफ नज़र दौड़ाने लगी. शायद उन्हें जब संतुष्टि हो गयी कि उन्हें कोई नही देख रहा था. तब दादी ने अपनी मुट्ठी में छुपाई कोई चीज देखने लगी जब मैंने गौर से देखा तो उनके हाथ में रेज़र था।
तुरंत दादी ने रेज़र निकाली और अपनी झांटो पर चलाने लगी. मैं ये सब देखकर थोड़ा हैरान हो गया. कुछ ही पलों में दादी की झांटो के कतरन जमीन पर आने लगे और उनके पेट के नीचे का हिस्सा थोड़ा साफ होने लगा. पर दादी जल्द बाजी में अपनी झाँटे छील रही थी. तभी दरवाज़े की घंटी बजी और दादी हड़बड़ा कर अपनी झांटो पर पानी मारकर उन्हें बहाने लगी।
जब दादी उठी तो मैंने उनकी चुत देख ली अभी भी चुत सही से साफ नही हुई थी. चुत पर अभी भी बाल थे कही बड़े कही छोटे दादी दरवाज़ा खोलने चली गयी. मैं भी जल्दी से बॉथरूम से निकल कर अपने कमरे में पहुंच गया. और दादी के बारे में सोचने लगा कि इस उम्र में भी झाँटे छीलकर दादी अपनी चुत की सजावट में लगी हुई है।
मैं दादी के चुत के दर्शन पा कर बहुत प्रसन था जैसे मुझे कोई अजूबा दिखा हो. मेरी मम्मी वापस आ चुकी थी. दोपहर का वक्त था मैं अपने कमरे में बैठा बोर हो रहा था. कि तभी मेरा वो फ्रेंड मेरे घर आ गया उसने कहा कि उसके पास नई वीडियो है. और मुझे देखने के लिए पूछने लगा. मैं थोड़ा जिझकते हुए कहा ठीक है लगाओ।
दोस्तों उस वीडियो में एक महिला गहरी नींद में सोई हुई थी. और एक लड़का उसको नींद में ही चोद रहा था. वीडियो देखकर तो मेरे लण्ड में हलचल मच गई. वीडियो इतना जबरदस्त था कि मेरा पैंट में ही छूट गया।
कुछ देर बाद मेरा फ्रेंड अपने घर चला गया और मैं उस विडिओ के बारे में ही सोचने लगा तभी मुझे भी ख्याल आया कि क्यों न मैं भी ऐसा ही करू पर मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था. पर मुझपर चुत का नशा हावी हो चुका था. मैंने मन ही मन कहा कि बस एक दफे प्रयास कर लेता हूँ।
शाम हो ही चुकी थी अब बस आधी नाईट का इंतजार था. रोज़ की तरह सब खा पी कर सोने चले गए. मैं अपने कमरे में और दादी और मम्मी बाहर वाले कमरे में चली गयी. मम्मी और दादी एक साथ ही सोती है. मैं करवट बदल बदलकर वक्त काट रहा था और मम्मी और दादी दोनों के चुत को चोदने की प्लानिंग कर रहा था।
इन्ही सब ख़यालो में नाईट के 12:30 बज चुका था. किन्तु मैं डर के मारे करू या न करू यही सोच रहा था. आखिर मेरी हवस मुझपर भारी पड़ने लगी. मैं चुपके से अपने रूम का दरवाजा खोलकर बाहर वाले कमरे में चला गया जहाँ मम्मी और दादी सो रही थी. कमरे में जाकर उनके टांगों के तरफ खड़ा हो गया और नाईट बल्ब की रोशनी में मैं उनका बदन देखने लगा।
मम्मी और दादी घोड़े बेचकर सो रहे थे. मम्मी अपनी एक टांग सीधी और एक टांग मोड़कर सोई हुई थी. जिससे उनकी दोनों टांगों के बीच मे काफी जगह थी. और उनकी नाइटी उसके सीधी वाली टांग पर घुटनों के ऊपर तक ही थी. मैं उनकी मोटी जांघ के पास जमीन पर बैठ गया और धीरे से उनके दोनों टाँगों के बीच अपना हाथ रख दिया।
इसके बाद मैंने उनकी सीधी वाली टांग पर से आहिस्ता आहिस्ता करके उनकी नाइटी और पेटिकोट को हटाने लगा कुछ ही देर में मैंने उनकी नाइटी और पेटिकोट को उनकी सीधी वाली टांग से हटाकर उनके कमर तक कर दिया. अभी तक मम्मी ने कोई हरकत नही की थी. अब वास्तविक काम था अभी भी उनकी चुत को उनके पेटिकोट ने ढक रखा था. तो मैंने अपनी दो उंगलियों से मम्मी की पेटीकोट को पकड़ा और धीरे से ऊपर कर दिया।
पेटिकोट ऊपर करते ही मम्मी की चुत खिलकर बाहर आ गयी मुझे मम्मी के चुत के उभार सामने दिखाई पड़ने लगे. नीचे बैठे बैठे मेरा फौलादी लण्ड भी खड़ा हो चुका था. इसके बाद मैंने मम्मी के दोनों टाँगों के बीच अपना एक हाथ रखा और आहिस्ता आहिस्ता अपनी उँगलियाँ उनकी चुत की ओर बढ़ने लगा।
ऐसा करते हुए मैं घबराहट से पसीना पसीना हो चुका था फिर मेरी उंगलियाँ मम्मी के चुत के उभारों से सट गयी मुझे उनकी चुत की गर्माहट का एहसास होने लगा था. पहली बार मैंने किसी महिला की चुत को स्पर्श करा था. थोड़ी देर के लिए मैं उतने पर ही रुक गया. 5 मिनट बाद फिर से मैंने अपनी एक उंगली बढ़ाई और मम्मी की चुत की सीधी वाली रेखा तक पहुँच गया।
मेरी उंगली उनकी चुत की बाहरी चमड़ी को छूने लगी जो उनके चुत के बाहर लटक रही थी. कुछ देर मैंने उनकी चुत की चमड़ी को सहलाया इसके बाद मैंने उसके चुत के दोनों साइड के उभारों पर अपनी उंगलियों से दबाने और सहलाने लगा।
इतना सब करने के बाद मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी. मैंने अपनी मम्मी की चुत को अच्छे से टटोल लिया था. मुझे उनकी चुत की गहराई नापने के मन किया तो मैं मम्मी की चुत को टटोलते हुए उनकी चुत की छेद को ढूंढा और अपनी एक उंगली को छेद की सिद्ध में करके आहिस्ता आहिस्ता उंगली को भीतर धेकेलने लगा देखते ही देखते मेरी उंगली उनकी चुत में घुस गयी।
पर अभी तक गहराई का अंत नही मिला था. नही मेरी उंगली उनके चुत में जाने से उन्हें कोई असर पड़ा था. इसके बाद मैंने अपनी उंगली चुत से बाहर निकाली जिसपर चिपचिपी गोंद जैसी कुछ चीज लगी लगी हुई थी पहले तो मुझे घिन्न आयी पर मैंने इसबार दो उंगलियों को उनकी चुत में डालने को सोचने लगा।
फिर से मैंने अपने हाथ को उनके दोनों टाँगों के बीच ले गया और उनकी चुत में पहले अपनी एक उंगली घुसाई फिर दूसरी उंगली से उनकी चुत को फैलाते हुए उस उंगली को भी मम्मी की चुत में डाल दिया अब मेरी दो उंगलिया मम्मी की चुत में थी. मैं उन दोनों उंगलियों को उनकी चुत में ऊपर,नीचे दाये और बाएं आहिस्ते आहिस्ते घुमाने लगा।
अब जब मेरी नज़र मेरी दादी पर पड़ी तो मेरी आँखों मे चमक आ गयी मेरी दादी अपनी दोनों टाँगे फैलाये आराम से सोई हुई थी. उनके दोनों पैर मोड़े होने की वजह से उनकी साड़ी पूरी तरह से उनके पेट तक सरक गयी थी. जिससे उनकी चुत और गांड की छेद तक मुझे दिखाई दे रहे थे. ऐसा लग रहा था कि दादी की चुत आज खुले मन से मुझे न्योता दे रही हो।
मैंने सोचा दादी तो गहरी नींद में होंगी क्यों न आज दादी की चुत मारू वैसे भी दादी की चुत मारने का मौका मैं अपने हाथ से कैसे जाने दु. तो मैंने आराम से मम्मी की चुत से अपनी उंगली निकाली और खड़ा हो गया. फिर दादी के टांगों के पास से बिस्तर पर चढ़ गया. इसके बाद मैंने अपनी पैंट नीचे करके अपना लण्ड बाहर निकाला और दादी के टांगों के बीच जाकर बैठ गया।
मेरा फौलादी लण्ड इतना कड़क हो चुका था कि पैंट से निकलते ही सीधा खड़ा होकर मेरी टुंडी तक आने लगा. मैंने अपने लण्ड को पकड़कर दादी की चुत पर रखा और उनकी चुत की छेद को टटोलते हुए लण्ड का सूपड़ा उनकी चुत में घुसा दिया दादी की चुत इतनी ढीली थी कि मेरा फौलादी लण्ड आराम से दूसरी ही बार में पूरा भीतर घुस गया।
लण्ड चुत में घुसने का सुख जो पहली बार मुझे महसूस हुआ वो मैं शब्दों में नही बता सकता कुछ देर मैंने लण्ड को दादी की चुत में डाले बैठा रहा जा सब सही लगा तो मैंने लण्ड को भीतर बाहर करने लगा उस वक़्त मुझे बस स्वर्ग जैसा महसूस हो रहा था मेरी दादी की चुत में भी थोड़ा चिपचिपा पन था तो लण्ड बिना किसी दिक्कत उनकी चुत में सरपट दौड़ने लगा।
पर मैं खुद पे काबू नही कर पाया और मैंने एक थोड़ा लंबाशॉट दादी की चुत में चिपका दिया. जिससे दादी का पूरा शरीर हिल गया. और दादी नींद में बड़बड़ाते हुए अपनी करवट फेर ली जिससे मेरा फौलादी लण्ड दादी की चुत से बाहर निकल गया और मेरी तो डर से चूतड़ फटने लगी. पर दादी करवट लेकर चुप चाप सो गई।
दादी के करवट बदलने से मेरी मम्मी की जो टांग जो उन्होंने मोड़ रखी थी. वो अब सीधी हो गयी और मम्मी ने अपनी दोनों टाँगे दूर दूर फैलाये अपनी न्यूड चुत के रास्ते को खोल दिया था. फिर क्या मैंने कुछ देर इंतेज़ार किया इसके बाद मैंने मम्मी की दोनों टाँगों के बीच बिना उनके शरीर पर सटे अपनी हाथों के सहारे लेट गया।
मैंने अपनी कमर को मम्मी के कमर के ऊपर हवा में रखा और अपने लण्ड को उनकी चुत पर टकरा कर उनकी चुत के छेद को टटोलने लगा. अब दोस्तों मैं अपने दोनों हाथों के सहारे बिना मम्मी के शरीर को टच किये उनके ऊपर चढ़ा हुआ था. मैं अपने हाथ का इस्तेमाल नही कर पा रहा था।
तो मुझे अपने लण्ड से मम्मी की बुर की छेद ढूंढनी पड़ रही थी आखिर थोड़ी प्रयासों के बाद मेरा फौलादी लण्ड सही निशाने पर बैठ गया इसके बाद मैंने मम्मी की चुत में अपने लण्ड को दबाने लगा तो मेरे लण्ड का सूपड़ा मम्मी की चुत में फिसलकर घूस गया. मम्मी की चुत में भी मेरा फौलादी लण्ड आसानी से घुसा किन्तु मम्मी की चुत दादी की चुत से तंग थी।
जब मैंने दूसरी बार लण्ड को मम्मी की चुत में ढेला तो लण्ड का बीच का मोटा हिस्सा उनकी चुत को फैलाते हुए भीतर तक पहुच गया. मेरी गोटियां मम्मी की चुत पर टकराने लगी. इसके बाद मैंने आहिस्ता आहिस्ता लण्ड को भीतर सरकाने लगा मैं मम्मी की चुत में बड़े आराम से लण्ड पेल रहा था ताकि मम्मी जाग न जाये. मैं लण्ड को एक इंच ही बाहर खींचता और भीतर ठेलता
15 मिनट तक ऐसे ही मैंने अपनी मम्मी की चुत मारी अब मैं थक चुके था. और मेरे भीतर अजीब सी बेचैनी आने लगी मेरा फौलादी लण्ड अकड़ने लगा और मेरा ज़ोर ज़ोर से शोर्ट मारने का मन करने लगा. पर मैं पूरा का पूरा लण्ड उनकी चुत में रखकर बस लण्ड के एक इंच के हिस्से को ही चुत के बाहर निकाल कर फिर घुसा रहा था. एकदम मेरे लण्ड से पिचकारी निकली जो मम्मी की चुत के भीतर ही निकल गयी. मुझे भी मम्मी की चुत में कुछ गर्म चिपचिपी चीज महसूस होने लगी।
मेरा सारा माल गलती से मम्मी की चुत में ही निकल गया था मैं ऐसा नही करना चाहता था. पर मेरा ख़ुद पर ही काबू नही था. मम्मी की चूत के अंदर गर्म स्पर्म निकलते ही मम्मी जागने लगी पर उनकी आंखें बंद थी. उनकी आंखें खुलती देख मैंने जल्दी से अपना लण्ड उनकी चुत से बाहर निकाला और दबे पांव भागकर अपने कमरे में आ गया
उसके बाद मुझे पता ही नही चला कि क्या हुआ मम्मी की चुत ने सारा राज खोला दिया या मम्मी सपना समझ के फिर सो गई होंगी. दोस्तों आप लोग ही बताओ कि क्या मेरी मम्मी सब जान गई होंगी या उन्हें पता ही नही चला होगा।
भाभी, आंटी और लड़कियों आपको क्या लगता है कि क्या मेरी मम्मी को पता चल गया होगा उस चुदाई के बारे में जब मैंने उन्हें गहरी नींद में चोदा, कृपया comment करके बताए।
तो मेरे प्यारे भाई और बहनों हम www.xxxvale.com फैमिली के सदस्य उम्मीद करते हैं की आप को हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में “बुर की भूख” बहुत पसंद आई होती इस हिंदी फ्री अश्लील XXX सेक्स कहानी हिंदी में को अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करना. इन इंडियन सेक्स स्टोरीज के अलावा यदि आप इंडियन देसी पोर्न विडियो देखना चाहते है या फिर न्यूड नंगी फोटो देखना चाहते है तो www.indiansexbazar.com वेबसाइट ज़रूर देखें…
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